गाजियाबाद। जीडीए सीमा क्षेत्र में अवैध निर्माण किसी से छिपी हुई बात नहीं है, लेकिन जीडीए उपाध्यक्ष ने अब इस प्रवृत्ति पर शिकंजा कसने की रणनीति तैयार कर ली है। इस पर आने वाले दिनों में त्वरित अमल भी किया जायेगा। खबर है कि दीपावली बाद लखनऊ की एक कंपनी द्वारा अबतक हुए अवैध निर्माण कार्यों का होरिजेंटल सर्वे पूरा कर लिया जाएगा। बताया गया है कि सर्वे में अवैध निर्माण वर्ष-2016 को आधार मानते हुए स्कैप सर्वे होगा। जिसमें मई-2017 से रेरा के लागू होने के बाद से आधार भी माना जाएगा। साथ ही, वर्तमान आधार पर अवैध निर्माण तक का यह सर्वे होगा। । आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, सर्वे होने के बाद जीडीए के सभी 8 जोन के प्रभारियों की जिम्मेदारी भी बढ़ेगी। क्योंकि लखनऊ की रिमोट । सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर कंपनी को जीडीए ने फाइनल कर दिया हैं। यह कम्पनी ऊंचाई, चौड़ाई और लंबाई के आधार पर अवैध निर्माण का मुआयना करेगी। इस अहम कार्य के लिए वह जीडीए से 1.50 लाख रुपए प्रति किलोमीटर का रेट लेते हुए सर्वे करेगी। जबकि, अवैध निर्माण का होरिजेंटल सर्वे सिर्फ एक बार ही कराया जाएगा। बता दें कि जीडीए ने सर्वे कर सभी जोन के नक्शे तैयार करने के लिए रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर लखनऊ को चयनित किया है जो महज 10 दिन में ही सभी 8 जोन के नक्शे जीडीए को दे देगा। क्योंकि शासन ने पिछले दिनों रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर (आरएसएसी) और गूगल प्रो से सभी जोन 8 जोन अंतर्गत अब तक हुए अवैध निर्माण का सर्वे करने और नक्शे बनवाने का निर्देश दिया था। जिसके मद्देनजर जीडीए ने रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर को फाइनल कर दिया है। बताया जाता है कि होरिजेंटल नक्शे के लिए इस कंपनी को 30 हजार रुपए दिया जाएगा। बताया जाता है कि आरएसएसी महज 15 दिनों में ही सभी 8 जोन के नक्शे तैयार कर जीडीए को सौंप देगा। खबर है कि सेंटर एक नक्शा पूरे प्राधिकरण क्षेत्र का देगा। उसके बाद अलग अलग जोन का भी नक्शा तैयार किया जाएगा। इसमें हर जोन में 15 दिन के अंदर नक्शा तैयार कराया जाएगा। ताकि पता लग सके कि किस जोन में कितने अवैध निर्माण हैं, और कितने नए अवैध निर्माण हुए हैं। इस सम्बंध में जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने बताया कि पूरे जीडीए सीमा क्षेत्र का आधार वर्ष2016 और 2017 से लेकर नवंबर-2018 तक होरिजेंटल सर्वे कराकर नक्शे तैयार कराए जाएंगे। इस बाबत सर्वे होने के बाद अवैध निर्माण करने वालों को नोटिस जारी किए जाएंगे। इसके अलावा, जोन में श्री डी तकनीक का भी प्रयोग होगा। क्योंकि जीडीए के सबसे ज्यादा अवैध निर्माण के लिए स्पेशल जोन में जोन-1, जोन-3 और जोन-8 को रखा गया हैं। लिहाजा, इन तीनों जोनों में श्री डी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, क्योंकि इस तकनीक से हर एंगल से फोटो लिया जाएगा।
निकट भविष्य में अवैध निर्माण होने पर जोनल प्रभारी होंगे जिम्मेवार