जड़ों की तलाशः श्री आर. के. सिंह के बुलावे पर दुनिया भर से आए भारतीय मूल के 39 प्रतिनिधि

विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री आर. के. सिंह ने कहा, “भारत ने टिकाऊ विकास का मार्ग चुना है और हम अपनी भावी पीढ़ियों के लिए हरा-भरा ग्रह छोड़कर जाना चाहते हैं। इसीलिए हम नवीनीकृत ऊर्जा पर जोर दे रहे हैं। हमारा उद्देश्य अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप में 100 प्रतिशत नवीनीकृत ऊर्जा पहुंचाने का है। भारत दूसरे छोटे द्वीपीय देशों के साथ अपनी विशेषज्ञता को साझा करने को तैयार हैं।” श्री सिंह मॉरिशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद एवं टोबागो, दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों से आए प्रतिनिधियों को ‘भारत को जानो कार्यक्रम’ को संबोधित कर रहे थे।‘भारत को जानो कार्यक्रम’ विदेश मंत्रालय का भारतीय मूल के युवाओं (18 से 30 साल के बीच के) से जुड़ने का एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य उनमें भारत, उसकी सांस्कृति विरासत, कला के बारे में जागरूकता फैलाना है। इस कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी।विद्युत और एमएनआरई मंत्रालय के अधिकारियों के साथ संवाद के दौरान प्रतिनिधिमंडल को भारत के विद्युत और नवीनीकृत ऊर्जा क्षेत्रों के विभिन्न आयामों से अवगत कराया गया। उन्होंने बताया गया कि भारत एक जिम्मेदार राष्ट्र के तौर पर वर्ष 2030 तक विद्युत उत्पादन में गैर जीवाश्म आधारित ईंधन की हिस्सेदारी बढ़ाकर 40 प्रतिशत करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत में स्थापित क्षमता में गैर जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी अभी तक 33 प्रतिशत हो चुकी है और निर्धारित समय सीमा से पहले यह लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि केंद्रित रणनीति और महत्वाकांक्षी लक्ष्य से भारत नवीनीकृत ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक लीडर के तौर पर सामने आएगा। भारत की विद्युत व्यवस्था की खास विशेषता का उल्लेख करते हुए प्रतिनिधिमंडल को बताया गया कि भारत का एक व्यापक सिंगल ग्रिड है जो एक समान फ्रीक्वेंसी के साथ परिचालित होता है।उन्होंने कहा कि भारत ने एक लोकतांत्रिक संघीय व्यवस्था को चुना है, जहां संविधान स्वतंत्रता और समानता की गारंटी देता है। उन्होंने भावनात्मक जुड़ाव पर बात करते की और भारत को बेहतर भविष्य के लिए शुभकामना दी।