पटना। लोक आस्था के महापर्व छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान रविवार को नहाय- खाय के साथ शुरू हो गया है। व्रती सुबह में गंगा सहित नदी घाटों पर उमड़ पड़े। वहां स्नान-ध्यान-दान का सिलसिला अपराह्न काल तक जारी रहा। आज लोहडा-खरना होगा। फिर, मंगलवार को भगवान भास्कर को सायंकालीन व बुधवार को प्रातकालीन अर्घय दिए जाएंगे। व्रती गंगा सहित विभिन्न नदियों व तालाबों के घाटों पर अर्धय प्रदान करेंगी। व्रतियों ने जगह-जगह अपने घरों के बाहर तथा छतों पर भी छठ व्रत करने की तैयारी की है। वर्षों बाद ग्रह-गोचरों का ऐसा शुभ संयोग पंडित बुद्धन ओझा ने कहा कि चार दिवसीय अनुष्ठान में ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बन रहा है। रविवार को नहाय-खाय से षष्ठी व्रत का आरंभ होना व्रती के लिए शुभ फल देने वाला है। षष्ठी व्रत का आरंभ रवि योग व सर्वार्थ सिद्धि योग में होने से कार्तिक छठ व्रत का महात्म्य और बढ़ गया है। पंडित ओझा ने कहा कि ऐसा संयोग काफी वर्षों बाद आया है कि रविवार के दिन से चार दिवसीय व्रत का आरंभ हो रहा है। सायंकालीन अर्घय मंगलवार को उतरा खाड नक्षत्र में गंड एवं अमृत योग में पड़ेगा। बुधवार की सुबह में प्रातःकालीन अर्घय का समय उदया तिथि में गंड व छत्र योग में । पड़ेगा। सूर्य को अर्घय देने से नष्ट होते कई जन्मों के पाप कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा ने कहा कि सूर्य को अर्घय देने से कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही यह निरोगी । काया एवं सभी मनोरथ को पूर्ण करने वाला। होता है। पंडित झा ने कहा कि भगवान सूर्य । को अर्घय देने के दौरान व्रती पीतल व तांबे के पात्रों का प्रयोग करें। इसके अलावा किसी प्रकार के बर्तनों का प्रयोग करना । वर्जित माना गया है। पीतल के पात्रों से दूध का अर्घय देना सही है, वहीं तांबे के पात्र में जल से अर्घय देना चाहिए। व्रती पर बनी रहती षष्ठी माता की कृपा छठ व्रत करने वालों पर भगवान सूर्य और षष्ठी माता की कपा बनी रहती है। मान्यता है कि नहाय-खाए से लेकर पारण तक व्रती पर भगवान सूर्य अपना आशीष प्रदान करते हैं। श्रद्धा पूर्वक व्रत करने वाले व्रती का आशीष लेने के लिए अपने व्यवहार और आचरण को शुद्ध बनाए रखने की जरूरत है। पंडित बद्धन ओझा ने स्कंद पुराण के हवाले से कहा कि सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्य प्राप्ति के साथ सौभाग्य एवं संतान की कुशलता के लिए रखा जाता है। भगवान भास्कर की मानस बटन है पपी देवी पंडित दीपक ओझा ने बताया कि षष्ठी देवी भगवान भास्कर की मानस बहन हैं। यही कारण है कि भगवान भास्कर के साथ उनकी बहन षष्ठी देवी की पूजा होती है।
लोक आस्था का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ आरंभ