सात समंदर पार भी नहीं भूले परम्परा वाशिंगटन की पोटॉमॅक नदी में छठ करते थे बिहारी

पटना। बिहार के लोग जहां गए, वहां अपनी संस्कृद्यति? को जीवंत किया। यही कारण है कि छठ महापर्व की गूंज अमेरिका के वाशिंगटन डीसी तक है। वाशिंगटन डीसी की पोटॉमॅक नदी को छठ के लिए तैयार किया जा रहा है। पूजा की तैयारी आरंभ हो चुकी है। नहाय-खाय लोग अपने-अपने घरों में करते हैं, लेकिन इसके बाद की पूजा सामूहिक होती है। पोटॉमॅक नदी में देते अर्घय पटना के मीठापुर की अंजू कुमारी बीते पांच साल से वाशिंगटन में छठ भाईयों की लंबी कर रहीं हैं। वे बताती हैं कि बिहार और नेपाल के लगभग 500 से अधिक लोग वाशिंगटन में रहने वाले गोपालगंज के कृपा शंकर सिंह के घर खरना के दिन इकट्ठा होते हैं। खरना का प्रसाद सभी लोग साथ खाते हैं। उन्हों ने बताया कि छठ का अर्घय देने के लिए पोटॉमॅक नदी की सफाई और सजावट कराई जा रही है। वहां वाशिंगटन डीसी के साथ मेरीलैंड, वर्जिनिया और न्यू जर्सी तक के लोग छठ व्रत करते हैं। शाम और सुबह के अर्धय नदी में होते हैं। अंजू की बहन व मगध विवि की पूर्व शाखा कार्यालय प्रभारी प्रो. आशा सिंह बताती हैं कि छठ को लेकर वहां पूरा उत्सवी माहौल रहता है। वे हर दिन वाट्सऐप वीडियो कॉल के माध्यम से पूजा की तैयारियों की जानकारी ले रहीं हैं। वहां बिहार के ही विजय प्रसाद सिंह घाट की पूरी व्यवस्था कराते हैं। दरभंगा के पं. गोविंद झा खरना और घाट पर हवन पूजा कराते हैं। गया के संदीप अग्रवाल सुबह घाट पर प्रसाद के साथ चाय- समोसा व पकौड़ा की व्यवस्था करते हैं। प्रो. आशा सिंह बताती हैं कि पूजा का प्रसाद बनाने के लिए एक जगह ही पैसा इकट्ठा होता है। सामूहिक रूप से प्रसाद बनता है। और डाला भी सामूहिक होता है। छुट्टी लेकर महिलाएं घी और आटा से 300 किलोग्राम ठेकुआ बनाती हैं। विदेशों में भी नहीं भूले परंपरा अमेरिका के वर्जीनिया में रहने वाले राजीव झा मूल रूप से मुंगेर जिला के निवासी हैं। वे बताते हैं कि पहले वे लोग अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर छठ के मौके पर घर आते थे, लेकिन अब ऐसा संभव नहीं हो पाता। इस कारण परंपरा को जीवंत रखने के लिए वे लोग 2009 से पूरी आस्था के साथ। वर्जीनिया में ही छठ मना रहे हैं। यहां रहने वाले बिहारी मूल के सैकड़ों परिवार एक साथ छठ मनाते हैं। छठ पर आती घर की याद राजीव की पत्नी तृप्ति हॉस्टन । यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। वहीं दरभंगा के विनय आनंद एक पेट्रोलियम कंपनी में सीनियर डायरेक्टर हैं। वे कहते हैं कि छठ में घर की बहुत याद आती है, लेकिन कुछ नहीं कर सकते।