बिल्डर्स के विलम्बित 19,965 फ्लैट्स में से 13,387 फ्लैट्स बायर्स को सौंपे गए






गाजियाबाद। सुखमय जीवन के लिए एक अदद छत की तलाश तो हर किसी को होती है, लेकिन किसी का यह सपना शीघ्र साकार हो जाता है, तो बहुतों का अधूरा रह जाता है। किसी का पैसों के अभाव में तो किसी के पैसों के फंस जानेे के चलते। कोई अपनी किस्मत को कोसता है तो बहुतेरे अपने प्रयासों की कमी में तेजी लाते हैं।कहना न होगा कि भले ही कल तक प्रोपर्टी बाजार निरन्तर पसर रहा था, लेकिन कुछ लचीले कानूनों के सख्त होने और उससे उपजेे दाव-पेंंचों के चलते आज यह पूरी तरह से बिखर चुका है। कहीं कहीं पर कुछ कुछ सिमट भी रहा है जिसके चलते इसके निवेशकों और जरूरतमंदों की घबराहट बढ़ी है। 

अमूमन, कतिपय मामलों में धोखाधड़ी की बू भी आती रहती है। अतिरिक्त मोटे लाभ के लिए छल प्रपंच तो यहां आम बात बन चुकी है, जिसके खिलाफ धरना-प्रदर्शन होते रहते हैं। वर्ष 2018 भी कुछ ऐसे ही यादगार आंदोलनों का साक्षी बन चुका है। जिला समाहरणालय से लेकर जीडीए कार्यालय और आवास विकास परिषद से लेकर निबंधन कार्यालय तक, प्रायः हर दर और दीवार इसके साक्षी बन चुके हैं। 

जीडीए के आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018 के प्रारंभ में विभिन्न बिल्डर्स प्रोजेक्ट्स में 19,965 फ्लैट्स की डिलीवरी पूर्व निर्धारित समय के अनुरूप नहीं हो पाई थी, लेकिन जब यह बात जीडीए अधिकारियों के संज्ञान में आई तो उनके द्वारा बिल्डरों की नकेल कसी गई। फलाफल यह निकला कि जुलाई तक 13,387 फ्लैट्स उनके बायर्स को सौंपे जा चुके थे। 



इस बाबत गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा गत 6 जुलाई को 12 बिल्डरों के साथ स्टॉक-मीटिंग की गई थी, जिसके बाद उक्त घोषणा की गई। प्राधिकरण के ओएसडी वीके सिंह ने कहा कि " उस बैठक में भाग लेने वाले बिल्डरों द्वारा प्रस्तुत स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, 4,723 नए होमबॉयर्स को 27 परियोजनाओं में उनके फ्लैटों पर कब्जा दे दिया गया है।" उन्होंने आगे यह भी बताया कि "इससे पहले भी 8,664 फ्लैटों को होमबायर्स को सौंप दिया गया था। क्योंकि जीडीए के निरंतर प्रयासों ने बिल्डरों को 19,965 फ्लैटों में से कुल 13,387 फ्लैटों को बायर्स को सौंपने के लिए मजबूर किया, जिनमें देरी हुई थी।"

इस सम्बन्ध में जीडीए ने जोनवार आंकड़े भी उपलब्ध करवाए हैं। ओएसडी वी के सिंह के मुताबिक, "उनके आठ ज़ोनों में से, सबसे ज्यादा फ्लैट हैंडओवर जोन 5 से आए हैं, जिसके अंतर्गत क्रॉसिंग रिपब्लिक आता है, जहां पहले 3,048 की तुलना में 3,264 फ्लैट दिए गए थे। इस क्षेत्र में सात परियोजनाओं के बीच 6,917 फ्लैट थे जो देरी से कब्जे को लेकर विवाद में थे। लेकिन अब 605 फ्लैट बचे हैं, जिन्हें पूरा करने के विभिन्न चरण निर्धारित हैं।" 















ओएसडी सिंह ने आगे बताया कि ज़ोन 7 में 576 ताजे फ्लैटों को सौंपा गया, जबकि पहले 1,198 अपार्टमेंट संपत्ति सौंपी जा चुकी है। इस प्रकार कुल 1,768 अपार्टमेंट सम्पत्ति हैंडओवर करवाई जा चुकी है। 

इसी प्रकार जोन 1 में 518 ताजा संपत्ति दी गई है और अब तक कुल 2,594 सम्पत्ति हैंडओवर की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में छह परियोजनाओं के बीच केवल 1642 फ्लैट शेष हैं जबकि कुल 4,236 फ्लैट्स  वितरण के लिए बने हुए हैं। 

ओएसडी वी के सिंह ने आगे बताया कि जोन 6 में तीन बिल्डरों के बीच देरी से कब्जे को लेकर विवाद सामने आया था जिसके तहत 1,162 कुल फ्लैट थे। जिनमें से  बिल्डरों ने बायर्स को 686 फ्लैट दे दिए हैं, जिसमें 365 नए हैंडओवर शामिल हैं। हालांकि ज़ोन 3, 4 और 8 में, कोई भी नए हैंडओवर नहीं हुए हैं। जोन 3 में दो बिल्डरों के बीच 258 फ्लैट को लेकर विवाद था जिनमें से 129 को सौंप दिया गया था। उसी तरह से जोन 4 में चार बिल्डरों के बीच विवाद के तहत 3,646 फ्लैटों का कब्जा देना था जिनमें से 1,835 फ्लैट्स को सौंप दिया गया था। इसी तरह से जोन 8 में केवल 63 खरीददारों को सम्पत्ति दी गई है, जबकि 172 संपत्ति देनी थी।

उन्होंने कहा कि उस बैठक में विवादों में लिपटे 27 बिल्डर्स में से पंद्रह बिल्डरों ने भाग लिया था। लेकिन जो बिल्डर्स बैठक में शामिल नहीं हुए थे, उन्हें नोटिस जारी किए गए थे।" 

जीडीए ओएसडी वी के सिंह ने इस बात पर बल दिया कि जीडीए अपने अधिकार क्षेत्र में किसी भी बायर्स के साथ गलत नहीं होने देगा। जिनकी ऐसी मंशा होगी, वे बख्शे नहीं जाएंगे और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि जुलाई में फ्लैट्स मिलने से पहले बायर्स एसोसिएशन ने भी खूब धरने-प्रदर्शन किए थे, जिसके सकारात्मक परिणाम उन्हें मिले।