महामण्डलेश्वर महन्त नवल किशोर महाराज जी ने मीडिया को सम्बोधित करते हुए कहा जिस प्रकार परमात्मा सबके हैं उसी प्रकार भगवान सबके हैं हनुमान सबके हैं हनुमान मतलब वायुपुत्र और सांस तो सभी लेते हैं चाहे वह आर्य हो या अनार्य है इसीलिए महापुरुष व भगवान को संकीर्णता में नहीं बांधना चाहिए मैं तो कहता हूं हनुमान जी वनवासी भी थे वनवासियों में रहकर उन्होंने चेतना प्रदान की। राम जी की सेवा करके राज दरबार में भी रहे। हनुमान जी वास्तव में समन्वय का प्रतीक है उन्होंने सब को जोड़ा, गृहवासी, वनवासी जो समाज को जोड़ने का कार्य करते हैं चाहे कोई भी है इसलिए हनुमान जी सबके हैं हनुमान जी हमारे हैं यह कहना इससे छोटी बात नहीं हो सकती। हां हम हनुमान जी के हैं यह कहना चाहिए। मुसलमान कहें कि हनुमान जी हमारे हैं बल्कि उन्हें कहना चाहिए कि हम हनुमान जी के हैं। क्योंकि हनुमान जी उनके भी पूर्वज है हनुमान जी को किसी भी जाति-पंथ क्षेत्र में बांटना यह संकीर्णता छोड़नी चाहिए। परमात्मा व्यापक होता है और व्यापकता की बात करनी चाहिए। हनुमान जी सबके है और सबको मुक्ति एवं निरोगता प्रदान करने वाले है। इसलिए महापुरूषों और भगवान आराधना का केन्द्र हैं व्यवधान का नहीं। हनुमान जी किस जाति के है भगवान किस जाति के हैं कहना मूर्खता व अपरिवक्तता होगी।
कार्य को सफल बनाने में विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष बृज मोहन सेठी, विहिप के स्वदेश चड्ढा जी, मा भारतीय सेवा न्यास के विनोद शर्मा , नरेन्द्र बर्थवाल एवं अनेकों कार्यकर्ताओं की सहभागिता रही।