जीडीए और मेटल स्क्रैप ट्रेडिंग कॉरपोरेशन के बीच हुए करार से घर बैठे ही मिलेगी प्रॉपर्टी

ऑनलाइन नीलामी के मार्फत 500 करोड़ के कॉमर्शियल भूखंड बेचेगा जीडीए


जीडीए की सेक्टर रेट फ्रीज, अब पुराने रेट पर ही बेचेगा 2000 वर्गमीटर के 46 भूखंड


जीडीए उपाध्यक्ष ने बनाई एप्रुवल कमेटी, सचिव संतोष कुमार राय, ओएसडी विजय कुमार सिंह, विधि अधीक्षक राजेंद्र त्यागी और सीएटीपी इश्तियाक अहमद को मिली जगह





गाजियाबाद। यदि आप जीडीए की प्रॉपर्टी खरीदना चाहते हैं तो तैयार हो जाइए, क्योंकि शीघ्र ही आप किसी भी शहर या राज्य से घर बैठे ही गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की प्रॉपर्टी ऑनलाइन ही खरीद सकेंगे। दरअसल, केंद्रीय इस्पात मंत्रालय की कंपनी एमएसटीसी और जीडीए के बीच करार हो गया है, जिसके तहत जीडीए अब ऑनलाइन नीलामी के जरिए तकरीबन 500 करोड़ रुपए मूल्य के भवन-भूखंड व कॉमर्शियल भूखंड को पुराने रेट पर ही बेचेगा। जीडीए ने अब ऑनलाइन नीलामी कराने के लिए 26 दिसंबर से 6 जनवरी तक यानी कि 10 दिन की नीलामी कराने की प्लानिंग शुरू कर दी है।गौरतलब है कि जीडीए के सेक्टर रेट फिलवक्त फ्रीज हैं, इसलिए वह पुराने रेट पर ही ऑनलाइन नीलामी करवाएगा। खबरहै कि 2000 वर्गमीटर या इससे अधिक के कॉमर्शियल और अन्य भूखंड को बेचने के लिए यह ऑनलाइन नीलामी कराई जाएगी। बता दें कि जीडीए के कोयल एंक्लेव, मधुबन-बापूधाम समेत कई योजनाओं में 2000 वर्गमीटर तक के भूखंड खाली पड़े हुए हैं। इनमें से लगभग 46 बड़े भूखंडों को ऑनलाइन नीलामी में बेचने के लिए रखा जाएगा। इसके अलावा, जीडीए के पास लगभग 400 भवन, भूखंड खाली पड़े हैं, जिन्हें नीलामी में बेचने की प्लानिंग बाद में की जाएगी। उल्लेखनीय है कि जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने इसकी एप्रुवल कमेटी भी गठित कर दी है। जिनकी एप्रुवल मिलने के बाद ऑनलाइन नीलामी में यह भी बेचे जा सकेंगे। दिलचस्प बात तो यह है कि ऑनलाइन नीलामी में भूखंड का क्षेत्रफल, साइट फोटो, स्थल समेत पूरी डिटेल कंप्यूटर पर ऑनलाइन आप देख सकेंगे और इस बाबत कोई फैसला शीघ्र ही कर
सकेंगे।दरअसल, जीडीए और भारत सरकार की एमएसटीसी कंपनी के बीच हुए करार के बाद अब दिल्ली के ताज मान सिंह होटल की तर्ज पर जीडीए ने ऑनलाइन नीलामी में यह भूखंड बेचने की प्लानिंग है। इस संबंध में जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा का कहना है कि बिल्डर या अन्य कोई भी जब प्रॉपर्टी खरीदेगा तो उसका आईडी बनाने के साथ प्रोफाइल भी बनाई जाएगी। उसके बाद, संपत्ति विभाग इसकी डिटेल अपलोड कर शर्ते रखेगा। जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने इसके लिए सचिव संतोष कुमार राय, ओएसडी विजय कुमार सिंह, विधि अधीक्षक राजेंद्र त्यागी, सीएटीपी इश्तियाक अहमद की कमेटी बनाई है जो इसका निर्धारण करेगी। इनकी एप्र्रुवल मिलने के बाद ही प्रॉपर्टी बेची जाएगी। संतोष की बात यह
है कि इसके एवज में जीडीए को कंपनी को देने के लिए कोई पैसा खर्च नहीं करना होगा और वह प्रॉपर्टी खरीददार से ही इसका चार्ज लेगी। बताया गया है कि टेक्नीकल कमेटी की एप्रुवल के बाद रिजर्व प्राइज से अधिक पैसा खातेमें जमा कराना होगा। फिर इन भूखंडों की टेक्नीकल और फाइनेंशियल बिड भी मांगी जाएंगी।जीडीए के असिस्टेंट इंजीनियर एवं संपत्ति प्रभारी एआर राही ने बताया कि ऑनलाइन नीलामी में 46 बड़़े भूखंड बेचने के लिए 26 दिसंबर से 6 जनवरी तक की प्लानिंग की गई है। हालांकि जीडीए की करीब 1364.33 करोड़ रुपए की 447 संपत्तियां हैं जिनमें 2000 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल की 46 संपत्तियां हैं जिनकी कीमत लगभग 500 करोड़ रुपए से अधिक है। बता दें कि जीडीए की इंदिरापुरम, न्यायखंड, कोयल एंक्लेव, इंद्रप्रस्थ योजना, कौशाम्बी,इंद्रप्रस्थ योजना, तुलसी निकेतन, वैशाली सेक्टर-6, कूर्परीपुरम,स्वर्णजयंतीपुरम योजना में ग्रुप हाउसिंग, हाईस्कूल भूखंड, व्यवसायिक भूखंड, सामुदायिक केंद्र, औद्योगिक भूखंड, फिलिंग स्टेशन आदि के भूखंड शामिल हैं। इन्हें पुराने रेट वर्ष 2012 के रेट पर ही बेचने की प्लानिंग हो चुकी है।इस संबंध में जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने बताया कि जीडीए और भारत सरकार की एमएसटीसी कंपनी के बीच करार हो गया है। जिसके बाद अब देश के किसी भी शहर से या फिर राज्यों से कोई भी व्यक्ति घर बैठे ही ऑनलाइन
नीलामी मेें भाग लेकर प्रॉपर्टी खरीद सकेगा। ऐसे लोगों की सहूलियत के लिए ही ऑनलाइन भूखंड का क्षेत्रफल, साइट, फोटो आदि पूरी डिटेल कंप्यूटर पर रहेगी। उन्होंने आगे बताया कि  जीडीए के 46 भूखंड खाली हैं जो 2000 वर्गमीटर या इससे अधिक के हैं, वे पुराने रेट पर ही ऑनलाइन नीलामी में बेचे जाएंगे। फ़िलहाल लगभग 500 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी ऑनलाइन बेचने की प्लानिंग की गई है जो आगामी 26 दिसंबर से 6 जनवरी तक 10 दिन नीलामी रखी जाएगी। इसके लिए बड़े बिल्डरों से लेकर अन्य की आईडी बनाई जाएगी। उनके प्रोफाइल के आधार पर एप्रुवल कमेटी की संस्तुति के बाद ही उन्हें बेचे जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह  कंपनी ऑनलाइन नीलामी में संपत्तियां बेचती हैं। लेकिन जीडीए की ओर से कंपनी को कोई पैसा नहीं दिया जाएगा। ऑनलाइन नीलामी में भाग लेने वालों से ही रिजर्व प्राइज के साथ खाते में पैसा जमा कराया जाएगा। यह व्यवस्था फिलहाल ट्रॉयल के लिए की जा रही है, जिसका विस्तार इससे अर्जित अनुभवों के बाद ही किया जा सकेगा।