कोई तो वजह होगी




यूँ ही तो सागर का जल खारा नही हुआ यारो ,

ना जाने इसने कितने नदियों को निगला होगा।

 

ये बड़ी - बड़ी हवेलियों में लोग ऐसे ही नही रहते यारो,

ना जाने कितने गरीबो की नींद को इन्होंने छीना होगा।

 

पेड की एक पतली सी डाल यूँ ही छुरी नही बनती यारो,

कोई बैर नही,पर जड़ से इस तक ना पानी पहुँचा होगा।

 

क्यों हुआ मन कड़वा किसी एक का बड़े से कुनबे में,

कोई बैर नही,पर किसी ने उस का दिल दुखाया होगा।

 

उबलते  हुए  जल  का रंग भी यूँ ही नही बदलता यारो,

हुनर थोड़ी सी चायपत्ती का था इसका रंग बदल दिया।

 

ये  जीवन  भी  कुछ  ऐसे  ही  रंग  दिखाता  है  यारो,

एक  छोटा  सा कंकर ही सागर को हिला देता यारो।