टाइटेनिक अमेरिका के खुफिया मिशन से था जुड़ा

छिपाने के लिए रची गई कहानी


वर्ष 1912 में समुद्र में डूबे उस समय के विशालकाय और विलासिता से भरपूर टाइटेनिक जहाज को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। इसका खुलासा करने से पहले आपको बता दें कि ये जहाज अपनी पहली ही यात्रा के दौरान बर्फ की चट्टन से टकराकर पानी में डूब गया था। वर्षों बाद 1985 में पहली बार दुनिया के सामने जलमग्न हुए इस जहाज की तस्वीर सामने आई थी। दरअसल, इसी दौरान इसका मलबा खोजा गया था। लेकिन अब इस तथ्य को लेकर ही सबसे बड़ा खुलासा किया गया है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक इसके पीछे एक सोची समझी चाल थी जिसको अमेरिका ने गढ़ा था। सीएनएन ने टाइटेनिक को समुद्र में तलाशने वाले रोबर्ट बलार्ड के हवाले से लिखा है कि यह मिशन पूरी तरह से डीक्लासीफाइड था। उनके मुताबिक यूएस मिलिट्री की तरफ से चलाया गया यह मिशन पूरी तरह से टॉप सीक्रेट था। लेकिन इस मिशन से टाइटेनिक का कोई लेना देना नहीं था। दरअसल, यह पूरा मिशन समुद्र की तलहटी में समाई अमेरिकी परमाणु सबमरीन को लेकर था, जिसको हर हाल में रिकवर करना था। लेकिन मिशन की शरुआत तक अमेरिका को नहीं पता था कि इसकी जानकारी दुनिया को हो चुकी है। इस मिशन को कवर करने के लिए टाइटेनिक को तलाशे जाने की एक चाल चली गई थी। आपको बता दें कि इससे जुड़ी पूरी जानकारी वाशिंगटन के नेशनल जियोग्रफिक म्यूजियम में है। छिपाने के लिए रची गई कहानी बलार्ड का कहना था कि सबमरीन की खोज के ढंकने के लिए टाइटेनिक को बड़ी कवर स्टोरी बनाकर पेश किया गया, लेकिन वो खुद इस अमेरिकी चाल से पूरी तरह से अंजान रहे। उनके मुताबिक गहरे समुद्र में दोनों सबमरीन को तलाश कर लेने के करीब 12 दिनों के बाद उन्होंने टाइटेनिक को खोजने का काम शुरू किया था। नॉर्थ अटलांटिक में करीब 12 हजार फीट की गहराई में उन्होंने इस काम को बखूबी अंजाम दिया। जब उन्होंने पहली बार समुद्र की तलहटी में मौजूद टाइटेनिक की पहली झलक देखी तो उनकी खुशी का अंदाजा ही नहीं रहा। यह काफी मुश्किल काम था, लेकिन उन्होंने इसको बखूबी अंजाम दिया था। वह अपना दूसरा मिशन भी पूरा कर चुके थे। इस खोज का अमेरिका को सबसे बड़ा फायदा वही जो उन्होंने सोचा था। टाइटेनिक की खोज की खबर देखते देखते पूरी दुनिया में आग की तरह फैली और दुनिया का ध्यान सबमरीन की खोज की तरफ से पूरी तरह से हट गया। इस खोज के बाद न्यूयार्क टाइम्स ने कई ऐसी स्टोरी छापी जिसमें सबमरीन खोज को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों की तरफ से इंकार किया गया था। नेवी के प्रवक्ता केप्टन ब्रेट बेकर के मुताबिक उस वक्त सबमरीन की खोज केवल ओशियोनोग्रफिक सिस्टम को टेस्ट करने के लिए चलाया गया था। उन्होंने इसमें वैज्ञानिकों की संलिप्तता से भी इंकार किया है। बलार्ड के मुताबिक उन्होंने कभी अपने इस मिशन को लेकर कहीं किसी से पहले कभी बात नहीं की। इसलिए ही यह मिशन अब तक भी टॉप सीक्रेट रह पाया।