मुस्लिम समाज का अल्पसंख्यक दर्जा समाप्त करे सरकार: अमित आर्यन





गाजियाबाद। जय शिव सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित आर्यन ने अल्पसंख्यक आयोग को लेकर सरकार पर निशाना साधा है। गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए श्री आर्यन ने कहा कि भारत के गृह मंत्रालय के एक संकल्प (1978) की परिकल्पना के तहत जिस अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की गई, उस आयोग के गठन के समय विशेष रूप से यह भी उल्लेख किया गया था कि भारत के संविधान व कानून में किसी भी वर्ग व जाति के लिए कोई भी असमानता अथवा भेदभाव नहीं है और सभी को बराबर का स्थान मिला हुआ है। फिर भी राष्ट्रीय एकता के नाम पर भारत सरकार द्वारा वोट बैंक की राजनीति के तहत अल्पसंख्यकों के लिए एक अलग आयोग की स्थापना की गई। 

 

भले ही सन 1984 में अल्पसंख्यक आयोग को गृह मंत्रालय से कुछ समय के लिए अलग कर दिया गया था। लेकिन बाद में कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत बिल्कुल नए रूप में इसे गठित किया गया और केंद्रीय कल्याण मंत्रालय द्वारा 1993 में एक अधिसूचना जारी कर अल्पसंख्यक समुदाय के तौर पर पांच धार्मिक समुदाय यथा मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी और बौद्ध को सूचीबद्ध कर दिया गया। और तो और, बाद में जैन समाज को भी अलग धर्म बनाकर अल्पकसंख्यक की श्रेणी में ला दिया गया।

 

यही वजह है कि जय शिव सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित आर्यन ने कहा कि मुस्लिम समुदाय वर्तमान समय में अल्पसंख्यक नहीं रह गया है बल्कि हालात यह है कि कई राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक होने की कगार पर हैं, जिसमें उत्तर प्रदेश, बंगाल, जम्मू-कश्मीर, असम, केरल, लक्ष्यद्वीप और बिहार, जहां मुस्लिम जनसंख्या लगातार आश्चर्यजनक रुप से बढ़ रही है। फिर भी अल्पसंख्यक योजना का बड़ा हिस्सा मुसलमानों पर ही खर्च हो रहा है। 

 

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आर एस लोहाटी ने एक निर्णय में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भंग करने का सुझाव दिया और कहा कि राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की स्थापना के बाद अल्पसंख्यक आयोग की प्रासंगिकता समाप्त हो जाती है। उनके अलावा, भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने पर अल्पसंख्यक मंत्रालय की मंत्री रहीं नजमा हेपतुल्ला ने अपने वक्तव्यों में साफ कहा कि मुस्लिम समाज अब अल्पसंख्यक समाज में नहीं आता हैै। बस, इतना कहने पर उन्हें पद से भी हटना पड़ा। 

 

उन्होंने कहा कि हैरान करने वाली बात यह है कि अल्पसंख्यक के नाम से जितनी भी योजना लाभ मिल रहे हैं, वह एकतरफा मुस्लिम समाज को ही मिल रहे हैं।मुस्लिम क्षेत्रों में विद्यालय, कोचिंग सेंटर, बैंकिंग सेवा मुस्लिम बच्चियों को ₹50000 की सहायता व क्लास 9 से मुस्लिम बच्चियों को स्कॉलरशिप व ₹50000 उनके अकाउंट में फिक्स डिपॉजिट कर दिए जा रहे हैं। बाद में यह रकम शगुन के नाम पर उनके विवाह पर दे दी जाती है। यह सुविधा केवल मुस्लिम बालिकाओं के लिए ही है। 

 

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा अल्पसंख्यक को लेकर कोई भी नियमावली नहीं बनाई है कि कितने प्रतिशत तक कोई समुदाय अल्पसंख्यक श्रेणी में आता है। इसके अलावा, जिन राज्यों में इनकी संख्या अत्यधिक हो गई है, उन राज्यों में भी उन्हें लगातार यह सुविधा प्राप्त हो रही है। साथ में 'आरक्षण' के नाम पर भी अलग से सुविधाएं प्राप्त की जा रही है। 

 

लिहाजा, अमित आर्यन ने केंद्र सरकार व उत्तर प्रदेश की सरकार से मांग की कि मुस्लिम समुदाय को अल्पसंख्यकों की श्रेणी से तुरंत हटाया जाए। साथ ही,  मुस्लिम समुदाय को सबसे अधिक तेजी के साथ बढ़ने वाली जनसंख्या वाले समुदाय के नाम से घोषित किया जाए। आर्यन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से आग्रह किया है कि हिंदू समाज अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है, इसलिए गम्भीरता पूर्वक मेरी बातों पर अमल करें। आर्यन ने सरकार को आगाह किया कि यदि सरकार ऐसा नहीं करती तो ऐसी स्थिति में वह हिंदू समाज को लेकर आंदोलन भी करेंगे। प्रेस वार्ता में डॉ हरपाल सिंह , सर्वेश मित्तल, कैलाश शरण, अमरीष त्यागी, प्रियंका भारद्वाज, ज्योति शर्मा, दुर्गा प्रसाद शास्त्री आदि उपस्थित रहे।