निराश्रित व छुट्टा पशुओं के आश्रय स्थल शीघ्र बनेंगे : जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी









गाजियाबाद। बेसहारा व निराश्रित गोवंश के संरक्षण हेतु व अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना एवं संचालन के संबंध में जिलाधिकारी रितु माहेश्वरी की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में एक बैठक आहूत की गयी। जिसमें जिलाधिकारी ने सभी उप जिलाधिकारी, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद को निर्देशित किया कि  मुख्यमंत्री की सर्वोच्च प्राथमिकता वाला ये कार्यक्रम कल 10 जनवरी तक निर्धारित समय सीमा में प्रत्येक दशा में सम्पादित किया जाना है। 

उन्होंने आगे कहा कि उप्र पशुधन संख्या की दृष्टिकोण से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। इसलिए जनपद में लगातार बढ़ रहे निराश्रित/बेसहारा गोवंश को आश्रय देने हेतु राज्य सरकार विभिन्न योजनाएं चलाकर निराश्रित पशुओं की समस्या के निदान एवं संख्या में कमी लाने का लगातार प्रयास कर रही है। जिसके लिए जनपद के समस्त ग्रामीण व शहरी स्थानीय निकायों जैसे ग्राम पंचायत क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम में अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल की स्थापना कर नीति स्थापित की जा रही है।

जिलाधिकारी ने नगर निगम के अधिकारियों से इस कार्य में उदासीनता बरतने पर गहरी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि आवारा पशु कम मात्रा में पकड़े जा रहे हैं। यदि नगर निगम के द्वारा 30 जनवरी, तक टीन शेड  डालकर अस्थाई गौशाला का निर्माण नहीं कराया गया तो सख्त कार्यवाही की जायेगी। उन्होंने सख्त लहजे में कहा कि जो डेरी संचालक अपना गौवंश छोड़ देते हैं, उन्हें बिना जुर्माने व एफआईआर के उनको वापस किया जाये। 

जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि अस्थाई गौवंश आश्रय स्थलों की तारबन्दी कर व टीन शेड डालकर उसमें गौवंश शिफ्ट कराएं और गौशाला का बोर्ड लगवा दिया जाये। साथ ही, लोगों को अधिक से अधिक संख्या में इस कार्य से जोड़ें। आश्रय स्थल व गौशालाओं के आस-पास वृक्षारोपण भी कराया जाये। गौवंश की चारे की व्यवस्था ग्राम सभाओं के द्वारा व शहरी क्षेत्र में नगर निगम व नगर पालिकाएं कराएंगी। 

उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि चरागाह वाली जमीनों में चारा उगाया जाये, ताकि गौवंश के लिए चारे की समस्या न रहे। उनके पेयजल की व्यवस्था सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई नेडा व नगर विकास के द्वारा करायी जायेगी। उन्होंने कहा कि ग्राम विकास विभाग व पंचायती राज विभाग उन स्थलों पर प्रकाश व्यवस्था करायेगा। पशुपालन विभाग द्वारा गौवंश का स्वास्थ्य परीक्षण, चिकित्सा टीकाकरण इत्यादि कराया जायेगा। 

 गौवंश आश्रय स्थलों को स्वालम्बी बनाने हेतु उप्र राज्य जैव ऊर्जा विकास बोर्ड, नियोजन विभाग, खादी एवं ग्राम उद्योग विभाग, ग्राम्य विकास विभाग, उद्यान विभाग के सहयोग से वायोगैस, कम्पोस्ट/वर्मिकम्पोस्ट, पंचगव्य आधारित औषधियां, गौनाईल आदि का उत्पादन एवं ब्रिकय करना होगा। गोबर से गमले भी बनाये जाएंगे। 

 बैठक में मुख्य विकास अधिकारी, सभी उप जिलाधिकारी, अधिशासी अधिकारी, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, जिला विकास अधिकारी, अर्थ एवं संख्याधिकारी, पंचायती राज अधिकारी, उप निदेशक कृषि, एएमए जिला पंचायत, अपर आयुक्त नगर निगम, व अन्य सम्बन्धित अधिकारी भी उपस्थित रहे।