कुशल तकनीक द्वारा एवं पुनरूपयोग द्वारा कर सकते हैं।उन्होंने कहा कि प्रशासन और आम जन की सहभागिता से जनपद में न केवल शहरी बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में
सौलिड लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट का कार्य सराहनीय है। जिलाधिकारी ने कहा कि इस मूलभूत परिवर्तन में ग्राम प्रधानों का व ग्राम वासियों का बहुत सहयोग रहा है। फिर भी जब तक लोगों के व्यवहार मे परिवर्तन नहीं आयेगा, तब तक कोई इवेन्ट सफल नहीं हो सकता है। इनेशियटिव लेकर कराया जाये तो कोई कार्य असम्भव नहीं होता है। उन्होंने कहा कि ग्राम भोवापुर जो कि देश के लिए मॉडल निखर कर आया है, उस पर उन्हें गर्व है।
जिलाधिकारी ने कहा कि आज की ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन की कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है कि जो भी कमियां अपशिष्ट प्रबन्धन में आ रही हैं, जैसे कूड़ा कलेक्शन, गीला व सूखा कूड़ा अलग करना एवं उसके ट्रीटमेन्ट, उन्हें हम फरवरी माह के अन्त तक पूर्ण कर लें। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में किशोरियों को सैनिटरी पैड के उपयोग हेतु यूनिसेफ के अधिकारियों से कहा कि वे जागरूकता लाने में सहयोग करें। ताकि ग्रामीण क्षेत्र की किशोरियां भी आंतरिक स्वच्छता के बारे में जागरूक हो सके। उन्होंने कहा कि अपशिष्ट प्रबन्धन में घर-घर को सिखना होगा कि गीला व सूखा कूड़ा हम घर से ही अलग-अलग करके रखें। कूड़ा कलेक्शन की डोर टू डोर गाड़ियों में गीला व सूखा कूड़ा अलग-अलग डाले।
इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी रमेश रंजन, परियोजना निदेशक, जिला विकास अधिकारी, जिला पंचायती राज अधिकारी, समस्त खण्ड विकास अधिकारी सहित अन्य विभाग के अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।