गाजियाबाद। जीडीए उपाध्यक्ष कंचन वर्मा ने कहा कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण की तकरीबन एक लाख साठ हजार आवासीय व व्यावसायिक सम्पत्तियों से जुड़ी फाइलों के समुचित तकनीकी रखरखाव के लिए आईटी/कम्प्यूटर विभाग को चुस्त-दुरुस्त व अपडेट किया जा रहा है, ताकि सभी लोगों को एक क्लिक पर ही अद्यतन जानकारियां मुहैय्या करवाई जा सकें। उन्होंनेे
कहा कि इससे न केवल विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों को सम्बन्धित फाइलों की मोनिटरिंग में सहूलियत होगी, बल्कि सम्बन्धित सम्पत्ति धारक को भी महज एक क्लिक पर ही अपेक्षित और यथोचित जानकारी मुहैय्या करवाई जा सकेगी। श्री मती वर्मा अपने कार्यालय कक्ष में वरिष्ठ संवाददाता कमलेश पांडे से अनौपचारिक बातचीत कर रही थीं।
एक सवाल के जवाब में श्रीमती वर्मा ने कहा कि वर्ष 2014 तक की फाइलों की स्कैनिंग हो चुकी है। लेकिन उसके बाद के पांच सालों की स्कैनिंग का कार्य तेजी से चल रहा है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में अभी तक जो टुकड़े-टुकड़े प्रयास विभिन्न उपाध्यक्षों के कार्यकाल में हुए हैं, जिनपर भारी धनराशि भी व्यय हुई है, उन सभी को संयोजित और समयोजित करते हुए आगे बढ़ने की उनकी रणनीति है जिसमें अपेक्षित सफलता भी मिल रही है। उन्होंने कहा कि गूगल मैप के आधार पर होने वाली विभागीय सम्पत्तियों की रिमोट सेंसिंग से यह कार्य बेहद आसान हो जाएगा। इसके मद्देनजर सम्बन्धित फाइलों की स्कैनिंग करवाई जा रही है और उन्हें एक निर्दिष्ट जगह पर अपलोड भी किया जा रहा है। लेकिन इसके पूर्ण स्वरूप को प्राप्त करने में अभी वक्त लगेगा। उनकी पूरी टीम इस दिशा में ततपर है, क्योंकि इसके बिना निर्बाध जानकारी को प्राप्त करना मुश्किलों भरा कार्य है।
उन्होंने आगे बताया कि रिमोट सेंसिंग मैप बनाने के लिए उनका विभाग बंगलुरू, हैदराबाद और लखनऊ के तकनीकी विशेषज्ञों के लगातार संपर्क में है। साथ ही, उनके द्वारा जो भी वैधानिक व तकनीकी सुझाव दिए जा रहे हैं, उन पर फौरी तौर पर अमल भी किया जा रहा है। फिर भी इसकी पूरी प्रक्रिया जटिल व टाइम टेकिंग है, इसलिए इसके पूर्ण रूप से आकार लेने में अभी समय लगेगा। तबतक जीडीए अपना मोबाइल एप्प भी डेवलप करवा लेगा, जिससे विभागीय मोनिटरिंग का कार्य बेहद आसान हो जाएगा।
श्री मती वर्मा ने कहा कि अबतक किसी भी प्लॉट से सम्बंधित इंजीनियरिंग (नक्शा पास करने), सीलिंग और डिमोलिशन के कार्य के बारे में ज्यादातर जानकारी जूनियर इंजीनियर तक ही सीमित रहती थी, जिससे किसी भी प्रकार की शिकायत मिलने के बाद कब कब और क्या क्या कार्रवाई हुई, यह जानने के लिए भी सम्बन्धित जूनियर इंजीनियर पर निर्भर रहना पड़ता था और उसकी ब्रीफिंग या मांगे जाने पर उसके द्वारा सुपुर्द की गई जानकारी पर ही निर्णय लेना पड़ता था, जिससे कभी कभी निहित कारणों के चलते परेशान किये जा रहे सम्पत्ति धारक द्वारा की गई शिकायतों के बावजूद पर्याप्त जानकारी के अभाव में सम्यक निराकरण नहीं हो पाता था। लेकिन जब रिमोट सेंसिंग पद्धति से सारे डेटा अपडेट किए जाएंगे तो किसी के पास कुछ छुपाने या अतिरिक्त रूप से बताने की गुंजाइश नहीं बचेगी। इससे उचित प्रकार से प्राप्त शिकायतों का निपटारा भविष्य में सम्भव हो सकेगा।
एक सवाल के जवाब में श्रीमती वर्मा ने कहा कि यह हैरत की बात है कि जिस ओर शहर बढ़ रहा है, या फिर जिस नदी की ओर शहर बढ़ रहा है, उधर हो रही अनियमितताओं पर जूनियर इंजीनियर बहुत कम ध्यान देते और सम्बन्धित दोषी व्यक्ति अथवा उसके द्वारा किए जा रहे निर्माण के खिलाफ नहीं के बराबर नोटिस जारी करते हैं। जबकि जिन कॉलोनियों को जीडीए ने सेंक्शन किया है, प्रॉपर तरीके से नक्शा पास करके बसाया है, वहां पर छोटी मोटी बातों के लिए उनके द्वारा नोटिश जारी की जाती है। बेशक यह भी एक अपराध है, लेकिन उतना संज्ञेय नहीं, जितना कि जूनियर इंजीनियर बना देते हैं। ऐसी शिकायतें उन तक भी पहुंच जाती हैं, इसलिए जूनियर इंजीनियर को जनहित में अपनी इस प्रवृत्ति पर लगाम लगानी चाहिए। उन्होंने कहा कि रिमोट सेंसिंग पद्धति से जब नक्शा तैयार हो जाएगा तो ऐसी ओछी हरकतों पर काबू पाना बहुत आसान हो जाएगा जिससे जीडीए की प्रतिष्ठा बढ़ेगी।