जीएसटी में राजस्व की वृद्धि के लिए कैट ने कर प्रणाली में बुनियादी परिवर्तन का दिया सुझाव

कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने केंद्रीय वित्त मंत्रीपियूष गोयल को आज भेजे एक पत्र में जीएसटी


 से अनुमान के मुताबिक राजस्व संग्रह न होने पर चिंता व्यक्तकरते हुए जीएसटी कर प्रणाली में बुनियादी परिवर्तन करने का सुझाव दिया है ! कैट ने सुझाव देते हुए कहा की अनेक स्तरों पर जीएसटी लगने के बजाय


पूरी सप्लाई चेन में केवलतीन स्थानों पर ही जीएसटी लगाया जाए और उपभोक्ता के सामान लेते समय जीएसटी 


की राशि माल की कीमत में शामिल हो और उपभोक्ता से किसी भी अन्य रूप में कर न लियाजाएइससे सामान खरीदते


समय उपभोक्ता बिल लेने से नहीं कतराएंगे जिससे सरकार के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष राजस्व में बढ़ोतरी होगी ! 


  कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने श्री गोयल को भेजे पत्र में


 कहा है की वास्तव में सामान्य रूप से उपभोक्ता अलग से कर देने मेंकतराता है और माल लेते समय कर की दर 


की अधिकता को देखते हुए व्यापारी से बिल नहीं लेता जिसके कारण बड़ी संख्या में देश भर में बिक्री रिकॉर्ड पर 


नहीं आती है जिससेसरकार को राजस्व का नुक्सान होता है और अक्सर व्यापारियों को कर वंचना के लिए दोषी 


ठहराया जाता है जबकि व्यापारियों का कोई दोष नहीं होता ! सामन खरीदते समयउपभोक्ता द्वारा बिल न लिए


 जाना राजस्व में गिरावट का एक बहुत बड़ा कारण है!


 इस सन्दर्भ में श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने सुझाव दिया है की जीएसटी को विभिन्न स्तरों की बजाय केवल


 तीन स्तरों पर ही लगाया जाए जिसमें पहला दो राज्यों के बीच हुईखरीद बिक्री पर आईजीएसटी , दूसरा किसी भी


 राज्य में हुई पहली बिक्री पर एसजीएसटी एवं सीजीएसटी एवं तीसरा किसी भी राज्य में वार्षिक 50 लाख रुपये से 


अधिक के निर्माण याउत्पादन पर एसजीएसटी तथा सीजीएसटी लगाया जाए और  उसके बाद सप्लाई चेन में किसी


 भी स्तर पर जीएसटी न लगाया जाए बल्कि उसके बाद उपभोक्ता तक पहुँचने तकजीएसटी की राशि सामान की कीमत


 में ही शामिल रहे  तथा  ! कैट ने कहा की जब उपभोक्ताओं को टैक्स पेड सामान मिलेगा और उसे अलग से कोई कर 


नहीं देना पड़ेगा तब वोनिश्चित रूप से सामान लेते समय में बिल अवश्य लेगा ! इससे बड़ी संख्या में जो बिक्री अभी 


रिकॉर्ड में नहीं आती है वो रिकॉर्ड में दर्ज़ होगी और सरकारों का राजस्व काफी मात्रा मेंबढ़ेगा ! यह उल्लेखनीय है की


 राज्य के अंदर व्यापार करने वाले लोगों द्वारा विभिन्न चरणों में की गई खरीद एवं बिक्री पर वैल्यू एडिशन बेहद 


नाम मात्र का होता है जिसके कारणसरकार को मात्र 1 से 2 प्रतिशत राजस्व की हानि होगी जबकि प्रथम बिक्री पर


 जीएसटी लगने से लगभग 10 से 15 प्रतिशत राजस्व का इजाफा होगा और कर वंचना की सम्भावना भीन के बराबर


 होगी !श्री भरतिया एवं श्री खंडेलवाल ने कहा की एक अनुमान के अनुसार जीएसटी में वर्तमान में पंजीकृत लोगों की कुल


 संख्या में लगभग एक लाख निर्माता हैं, लगभग 5 लाख बड़े व्यापारीहैं, लगभग 10 लाख वितरक हैं और एक करोड़


 से ज्यादा छोटे रिटेलर हैं ! सरकार के राजस्व का बड़ा हिस्सा केवल निर्माता, बड़े व्यापारी एवं वितरकों से ही आता है


 जबकि छोटेव्यापारियों से नाम मात्र का कर आता है !   यदि सरकार द्वारा यह कदम उठाया जाता है तो एक तरफ जीएसटी में पंजीकृत लोगों की संख्या लगभग 25 लाख 


रह जायेगी जिससेकानून की पालना में आसानी होगी एवं  जीएसटी पोर्टल का बोझा भी बड़ी मात्रा में काम होगा इस


 व्यवस्था से बड़ी संख्या में देश भर के व्यापारी संतुष्ट होंगे।