सबको खुश करता, सबका बजट







नरेन्द्र मोदी सरकार में कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष ने साल 2019-20 के अंतरिम बजट प्रस्तावों से  मिडिल क्लासकिसान,सेनारेलवे और अन्य सभी संभव क्षेत्रों को दिल खोलकर बांटा है। इस तरह से उन्होंने सबको खुशकर  करदिया है। अगर बात मिडिल क्लास के लिए टैक्स स्लैब की करें तो अब 5 लाख रुपये तक की आय पर किसी तरह का आयकर नहीं लगेगायह सीमा पहले 2.5 लाख रुपये तक की थी। इस तरह के देश के करोड़ों नौकरीपेशा लोगों को एक बड़ी राहत मिली है। दरअसल मिडिल क्लास कहीं न कहीं ये मानने लगा था कि सरकारें उनसे टैक्स तो कसकर लेती हैंपर उन्हें राहत कभी नहीं देती। अब कम से कम  इस वर्ग को शिकायत करने का कोई मौका नहीं रहा है।  अब सालाना 5 लाख तक की व्यक्तिगत आय वालों को इनकम टैक्स से मुक्त कर दिया गया है। मतलब  जिसकी सालाना आय 5 लाख से कम है उसे कोई भी टैक्स देना नहीं पड़ेगा। बेशकहमारे देश के एक बहुत बड़े नौकरीपेशा वर्ग को इस कदम से राहत मिलेगी।


 भारत की आत्मा तो गांवों में बसती है। किसानों के हितों का ख्याल रखे बिना देश आगे बढ़ ही नहीं सकता है। इस सोच की अभिव्यक्ति होती है इस बजट में। सरकार ने किसानों के लिए बजट  में कई बड़े फैसले लिए हैंजिससे 12 करोड़ किसान परिवारों  को फायदा होगा। अंतरिम बजट में प्रधानमंत्री किसान योजना  शुरू करने की घोषणा की गई हैजिसके तहत 2हेक्टेयर से कम जमीन वाले किसानों को सालाना 6000 रुपए मिलेंगे। ये राशि सीधे किसानों के खाते में आएगी।  इस योजना पर सालाना 75 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगाजिसका पूरा पैसा केंद्र सरकार देगी। ये एक इसतरह का फैसला  जिससे विदर्भ से लेकर पंजाब और देश के सभी भागों के किसान खुश होंगे।


 पिछले काफी समय से श्रमिकों के हितों को सही से देखा नहीं जा रहा था।  इस बार देश के करोड़ों श्रमिकों के चेहरे पर भी मुस्कान ला दी गई है।अंतरिम बजट में श्रमिकों का बोनस बढ़ाकर 7 हजार रुपए और 21 हजार रुपए तक के वेतन वालों को बोनस दिए जाने की घोषणा की गई है। इससे  मासिक 15 हजार रुपए तक कमाने वाले 10 करोड़ श्रमिकों को लाभ मिलेगा।


 जैसी की उम्मीद थीबजट में देश के रक्षा क्षेत्र की आवश्यकताओं पर पूरा ध्यान दिया गया है।  सरकार ने बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के बजट का आवंटन किया है।  बेशकभारत को अपने दो धूर्त पड़ोसी देशों से अपनी रक्षा करनी होती है। इसके लिए आवश्यक है कि हम अपने रक्षा क्षेत्र पर लगातार फोकस करें। वित्त मंत्री ने बताया कि वन रैंकवन पेंशन के तहत सरकार ने रिटायर्ड सैनिकों को 35 हजार करोड़ रुपये दिए हैं। सबको पता है कि सैनिकों की यह बहुत पुरानी मांग थी। पिछले बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 2,95,511 करोड़ रुपये रखे गए थे । यानी इस बार के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए कुछ इजाफा किया गया है। भले ही हम अपने रक्षा बजट को बढ़ा रहे हों परचीन के मुकाबले हमारा  रक्षा बजट तीन गुना कम है।  अमेरिका अपनी जीडीपी का 4 फीसदीरूस 4.5, इजराइल 5.2, चीन 2.5 और पाकिस्तान 3.5 फीसदी रक्षा बजट के लिए आवंटित करता है।  पाकिस्तान के साल 2018-19 के बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए 9.6 अरब डॉलर रखे गए थे। जाहिर हैइतने भारी-भरकम धन का इस्तेमाल मुख्य रूप से हथियारों की खरीद पर होगा। यदि इसे पिछले साल के घोषित बजट से तुलना की जाए तो यह बढ़त करीब 20 फीसदी अधिक बैठती है।


 पाकिस्तान को हमेशा भारत से बराबरी  करने का रोग लग चुका है। वो भारत से क्षेत्रफलआबादी और अर्थव्यवस्था के स्तर पर मीलों-दशकों पीछे है। पर वो भारत से  मुकाबला करने के फेर में अपनी जनता के  साथ अन्याय करता है। भारत को अपना रक्षा बजट इसलिए


 बढ़ाना पड़ता हैक्योंकि हमें भीमकाय से भी


खतरा है। ये बात पाकिस्तानी सरकार को समझ नहीं आती है। दरअसल पाकिस्तान में चुनी सरकारें भी सेना के इशारों पर चलती हैं। वहां सरकारों की कोई हैसियत नहीं है। पाकिस्तान में सेना का वर्चस्व हर जगह दिखता है।


 इस बीचये अच्छी बात है कि अंतरिम बजट में भारतीय रेलवे को सम्मानजनक 1.58 लाख करोड़ का बजट दिया गया है। बता दें, 2018-19 में रेलवे को 1.48 लाख करोड़ और उससे पहले 2017-18 में 1.31 लाख करोड़ आवंटित किया गया था। सरकार को  रेलवे के चार प्रमुख क्षेत्रों-यात्री सुरक्षापूंजीगत एवं विकास कार्योंस्वच्छता और वित्त एवं लेखांकन संबंधी सुधारों पर निरंतर  ध्यान देते रहना होगा। इसके साथ ही


 सरकार रेल पटरियों का तेजी से विस्तार कर रही है।  इस लिहाज से दो स्तरों पर काम होना चाहिए। पहलाउन जगहों में रेल लाइनें बिछाई जाएं जहां पर रेलवे ने अब तक दस्तक ही नहीं दी है।दूसराअब देश के रेल नेटवर्क को आपको दो की बजाय तीन-चार पटरियों पर दौड़ाना होगा। तब ही देश का रेल यातायात सुगम होगा और हादसे कम हो सकेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार पूर्वोत्तर के राज्यों में रेलवे नेटवर्कका विस्तार करेगीये जरूरी है।


कौन नही चाहता कि उसकी अपनी छत हो। इसी विचार को ध्यान में रखते हुए  अंतरिम बजट में अफोर्डेबल हाउसिंग को बढ़ावा दिया गया है।  देश में सस्ते घर बनाने की तरफ ठोस होनी चाहिए। अभी तक इस लिहाज से बड़ी-बड़ी बातें ही होती रही हैं। फिलहाल तो  किसी नौकरीपेशा इंसान के लिए  किसी  मेट्रो या टियर टू या थ्री शहर में घर बना पाना नामुकिन है। सरकार को बजट से हटकर भी अफोर्डेबल हाउसिंग’ के लिए हर संभव प्रयास करने होंगे। इस लिहाज से सरकार पर्याप्त जमीन उपलब्ध करवाए।। क्योंकि अगर बिल्डरों को सस्ती जमीन उपलब्ध करवा दी जाए  तो वे फिर मंहगे घर नहीं बेच सकेंगे। उनकेकामकाज पर नजर भी रखी जाए। अभी तो उन्होंने  अपने लालच के कारण रीयल एस्टेट सेक्टर को तबाह करके रख दिया है। हालांकि दोषियों पर चाबुक भी चलनी शुरू हो गई है।


खैरकोई भी इस अंतरिम बजट से संतुष्ट हुए बिना नहीं रह सकता। ये सबको प्रसन्न करता है।


 


(लेखक राज्य सभा सदस्य हैं)