तू मेरी साँस को महकाती रही रात भर ।
मेरी रूह धड़कन में समाती रही रात भर ।।
दिल के आइनें में मुस्काती रही रात भर ।
मेरे एहसासों को पिघलाती रही रात भर ।।
शोख़ नज़र में जो शरारत लबों पे तब्बसुम ।
धड़कनें दिलों की गुनगुनाती रही रात भर ।।
मेरे लबों नें जो तेरे लबों को छुआ तो ।
छायी जो मदहोशी दहकाती रही रात भर ।।
जुल्फों का रुख़सार पे चिलमन सा ढलकना ।
बिखरी जो गालों पे बहकाती रहीं रात भर ।।
बड़ा मासूम सा मेरा हंसीं नाज़नीन है ।
गालों के भवँर में उलझाती रही रात भर ।।
कभी वो बिखरती कभी वो सवँरती हुई सी ।
मुझे क़रीब महसूस कराती रही रात भर ।।