अब खैर नहीं पाकिस्तान की






दुनिया भर में आतंक के पालक, पोषक व संरक्षक बल्कि निर्यातक के रूप में भी जगजाहिर हो चुके पाकिस्तान के लिये अब दो ही रास्ते बचे हैं। या तो उसे सुधरना होगा या फिर उसे अपनी करनी का परिणाम भुगतना होगा। यह बात आज उससे भारत ने भी कह दी है और अमेरिका ने भी। भारत सरकार के सबसे वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली ने बेलाग लहजे में बता दिया है कि अब आतंक के मसले पर बैकफुट पर खेलने की दशकों पुरानी नीति से भारत बाहर निकल चुका है। अब इस मोर्चे पर जीत के लिये फ्रंटफुट पर आकर खेलने की नीति अमल में लाई जा रही है जो बदस्तूर जारी रहेगी। जेटली के मुताबिक अब तक भारत की नीति रही थी कि सरहद पार से होनेवाली खुराफातों को हम सीमा के भीतर रह कर ही झेलते थे। आतंक के खिलाफ हमारी नीति आत्मरक्षा की यानि रक्षात्मक थी। यही नीति मुंबई हमले के वक्त भी अपनाई गई और संसद पर हुए हमले के समय में भी अमल में लाई गई। लेकिन अब वक्त बदल चुका है। लिहाजा यह पाकिस्तान को तय करना है कि उसे आतंक को रोकना है या बढ़ावा देने का परिणाम भुगतना है। कुछ ऐसी ही बात पाकिस्तान को अमेरिका ने भी कही है। अमेरिका ने पाकिस्तान को बेलाग लहजे में आगाह किया है कि भारत में एक और आतंकवादी हमला उसके लिए गंभीर संकट पैदा कर देगा। साथ ही अमेरिका ने पाकिस्तान से उसकी सरजमीं पर फल-फूल रहे आतंकवाद और आतंकी सरगनाओं के खिलाफ टिकाऊ, प्रामाणिक और सतत कार्रवाई करने की मांग की है। व्हाइट हाउस प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान स्पष्ट शब्दों में कहा है कि हम पाकिस्तान की तरफ से उसकी धरती पर पल रहे आतंकवाद, खासकर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों के खिलाफ टिकाऊ और प्रामाणिक कार्रवाई देखना चाहते हैं। जिससे उस क्षेत्र में एक बार फिर से युद्ध की स्थिति उत्पन्न ना हो। यानि अमेरिका ने पाक को आगाह कर दिया है कि अब अगर भारत में कोई भी आतंकी हमला हुआ तो उसकी जिम्मेवारी पाकिस्तान की ही होगी और इसके जवाब में भारत की ओर से की जानेवाली कार्रवाई के नतीजे में युद्ध सरीखा माहौल दोबारा उत्पन्न ना हो यह भी पाकिस्तान को ही देखना होगा। हालांकि अमेरिका की यह कोई पहली चेतावनी नहीं है बल्कि वह बालाकोट पर हुए एयर स्ट्राइक से पहले भी बता चुका था कि अगर पाक ने आतंकवाद पर कार्रवाई में देरी की तो भारत को कोई बड़ा कदम उठाने के लिये मजबूर होना पड़ सकता है। अमेरिका की वह चेतावनी बाद में सत्य भी साबित हुई। अब एक बार फिर अगर अमेरिका ने पाकिस्तान को सार्वजनिक तौर पर आगाह करने की पहल की है तो निश्चित तौर पर यही माना जाना चाहिये कि अमेरिका को अवश्य ही इस बात की भनक लग चुकी है बालाकोट की चोट से तिलमिलाए आतंकी सरगना उसका बदला लेने की योजना बना रहे हैं। यानि पाकिस्तान की धरती से भारत को दहलाने की साजिश रची जा रही है जिसकी जानकारी अमेरिका को मिल चुकी है। साथ ही पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद और आतंकी सरगनाओं के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को अमेरिका द्वारा स्पष्ट शब्दों में ‘पर्याप्त नहीं’ बताया जाना यह इशारा करता है कि कहीं ना कहीं बालाकोट का बदला लेने के लिये रची जा रही आतंकी साजिश में पाकिस्तान भी शामिल है और वह उसे रोकने के बजाय बढ़ावा देने की राह पर आगे बढ़ रहा है। अगर अमेरिका की यह सुचना सत्य साबित हुई तो इस बात में कोई संदेह नहीं है कि भारत को एक बार फिर पाकिस्तान की जमीन पर पल-बढ़ रहे आतंक के विषबेल की जड़ों पर प्रहार करने के लिये मजबूर होना पड़ेगा जिसे स्वीकार व बर्दाश्त कर पाना पाकिस्तान के लिये बेहद ही असहज करने वाला और काफी हद तक नामुमकिन सरीखा मुश्किल होगा। ऐसे में अगर दोनों मुल्कों के बीच जंग के हालात बनते हैं तो इसकी सीधी व पूरी जिम्मेवारी पाकिस्तान की ही होगी। अमेरिका ने पाकिस्तान को आगाह करके यह जता दिया है कि आतंक के मसले पर चालाकी के बजाय इमानदारी की राह पकड़ने के अलावा पाकिस्तान के पास कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है। बालाकोट में भारतीय वायुसेना की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की ओर से उठाए गए कदमों के बारे में व्हाइट हाउस का साफ शब्दों में कहना है कि अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान से चाहता है कि वह आतंकी संगठनों के खिलाफ ठोस और निर्णायक कार्रवाई करे। अमेरिका ने यह बताने में भी संकोच नहीं किया है कि अभी पाकिस्तान की ओर से उठाए गए आतंकरोधी कदमों को लेकर पूर्ण आकलन करना जल्दबाजी होगी बल्कि उसने अभी शुरूआती कदम ही उठाए हैं जिसके तहत कुछ आतंकी संगठनों की संपत्तियां जब्त की गई हैं, कुछ आतंकी सरगनाओं की गिरफ्तारी हुई है और जैश के कुछ ठिकानों को प्रशासन ने अपने कब्जे में लिया है। लेकिन सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका का भी यही मानना है कि इन कदमों के अलावा अभी पाकिस्तान की ओर से बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। पाकिस्तान की आतंक को लेकर आईवाॅश की नीति से अमेरिका अब कतई झांसे में नहीं आनेवाला है। तभी तो व्हाइट हाउस ने स्पष्ट शब्दों में यह जानना चाहा है कि पाकिस्तान बताए कि उसने आतंकवाद के खिलाफ क्या कार्रवाई की, क्योंकि अब तक जो कुछ भी कदम उठाए गए हैं वे कतई पर्याप्त नहीं है और अभी पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ बहुत कुछ करना बाकी है। अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दी गई चेतावनी के मुताबिक यदि पाकिस्तान अपनी सरजमीं पर पल रहे आतंकवाद के खिलाफ कोई प्रामाणिक कार्रवाई नहीं करता और निकट भविष्य में भारत में फिर से कोई आंतकवादी हमला होता है, तो ऐसी स्थिति में पाकिस्तान को काफी गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है। अमेरिका ने पाकिस्तान से यह बताने के लिए कहा कि भारतीय एयरफोर्स द्वारा बालाकोट स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी कैंप पर एयर स्ट्राइक करने के बाद उसने अपनी सरजमीं पर पल रहे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ क्या कार्रवाई की? यानि इतना तो साफ है कि पाकिस्तान की नीति आतंक को लेकर अभी बदली नहीं है और वह भारत को दहलाने की साजिशों को संरक्षण देने और उसका हर तरह से पोषण करने में बदस्तूर मशगूल है। ऐसे में आज जेटली ने भारत द्वारा फ्रंटफुट पर आकर जवाब देने की जो बात कही गई उससे इतना तो साफ है कि अब पाकिस्तान की कतई खैर नहीं है।