चोर की दाढ़ी में तिनका













कहावत है कि जो दूसरों की नींद हराम करने के बारे में सोचता भी है उसकी अपनी नींद पहले हराम हो जाती है। ऐसा ही हो रहा है इन दिनों पाकिस्तान के साथ। बालाकोट में भारतीय वायुसेना द्वारा जैश के ठिकानों पर किये गये एयर स्ट्राइक के बाद से लगातार डर के साये में जी रहे पाकिस्तान को अब एक बार फिर भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई को आंजाम दिये जाने का डर सता रहा है। वह भी तब जबकि पाकिस्तान को बेहतर मालूम है कि भारत की फौज तब तक सरहद को पार करने के बारे में सोच भी नहीं सकती है जब तक कि उस तरफ से कोई नाकाबिले बर्दाश्त खुराफात या बदमाशी हो अंजाम ना दिया जाए। यानि भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई की पहल ना तो पहले कभी हुई है और ना ही भविष्य में होने के बारे में सोचा भी जा सकता है। इसके बावजूद अगर पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है और उसे भारत की ओर से संभावित सैन्य कार्रवाई का डर सता रहा है तो निश्चित तौर पर यह मान लेना चाहिये कि पाकिस्तान की जमीन से भारत के खिलाफ कोई बड़ी साजिश रची जा रही है। या तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भारत के खिलाफ रची जा रही साजिश में संलग्न माना जाएगा अथवा यह भी माना जा सकता है कि अपनी जमीन पर चल रही भारत विरोधि गतिविधियों को रोक पाना उनकी सरकार के बूते से बाहर की बात है। दोनों ही सूरतों में इतना तो तय है कि इमरान को पूरी साजिश की जानकारी है। अगर यह जानकारी नहीं होती तो उन्हें भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई का खौफ भी नहीं होता। अगर वे भारत की सैन्य कार्रवाई की संभावना से डरे हुए हैं तो इसका सीधा मतलब यही है कि पाकिस्तान की जमीन पर एक बार फिर भारत के खिलाफ कोई बड़ी साजिश रची जा रही है। वैसे इमरान अगर यह सोच रहे हैं कि पाकिस्तान में होनेवाली भारत विरोधी गतिविधियों के बारे में किसी अन्य को कुछ पता ही नहीं है तो या तो वे अव्वल दर्जे के अहमक हैं या फिर उन्हें बाकी देशों की खुफिया ताकत के बारे में कोई अंदाजा ही नहीं है। बल्कि आज इमरान ने जो डर दर्शा कर सांकेतिक लहजे में अपनी जमीन से भारत विरोधी गतिविधियों के संचालन को स्वीकार किया है उसका खुलासा पिछले हफ्ते अमेरिका भी कर चुका है और भारत की ओर से भी इसको लेकर अपनी नीति दोहराई जा चुकी है। यानि पाकिस्तान में क्या चल रहा है और उसका क्या परिणाम हो सकता है इसके बारे में सिर्फ इमरान को ही नहीं बल्कि अमेरिका और भारत को भी सब कुछ पता है। सबको यह मालूम है कि बालाकोट में एयर स्ट्राइक किये जाने के बाद जिस तरह से आतंकियों का कैम्प ध्वस्त हुआ है, जैश के शीर्ष संचालकों की काफी बड़ी टोली को जहन्नुम रसीद किया गया है और जैश सरगना मसूद अजहर के भाई, साले और बेटे की मौत हुई है उसका बदला लेने के लिये पाकिस्तान में बैठे तमाम आतंकी सरगना बुरी तरह बेचैन हैं। कहने को भले ही तमाम आतंकी संगठनों की बागडोर अलग-अलग सरगनाओं के हाथों में है लेकिन उनका लक्ष्य भी एक ही है और उनके बीच औपचारिक तौर पर काफी पहले ही गठजोड़ भी हो चुका है जिसमें खालिस्तानी आतंकियों को भी शामिल किया जा चुका है। ऐसे में इस आतंकी गठजोड़ के भीतर अगर जैश पर हुए हमले का बदला लेने की भावना मचल रही है तो इसमें कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। बल्कि आश्चर्य तो इस बात का है कि सब कुछ जान कर भी पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ना सिर्फ उन आतंकियों के हमदर्द बने हुए हैं बल्कि उनको संरक्षण देने की नीति में बदलाव करने के लिये भी तैयार नहीं हैं। वह भी तब जबकि उनको बेहतर पता है कि अगर पाकिस्तान द्वारा पोषित व संरक्षित आतंकियों ने भारत में घुसने की हिमाकत की तो उसका बदला लेने के लिये सरहद पार जाकर कार्रवाई करने से भी कतई पीछे नहीं हटा जा सकता है। यानि इमरान को यह भी मालूम है कि भारत पर आतंकी हमला किया जा सकता है, वह भी आम चुनाव के दौरान होना संभावित है और उसका बदला भी चुनाव के दौरान ही लेने में भारत की फौज कतई संकोच नहीं करेगी। तभी तो इमरान ने कहा है कि भारत में आम चुनाव संपन्न होने तक नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच संबंध तनावपूर्ण बने रहेंगे। उन्होंने भारत की ओर चुनाव से पहले ‘एक और दुस्साहस’ की आशंका भी जताई है और इसका प्रतिकार करने के लिये खुद को तैयार भी बताया है। हालांकि इमरान ने पाकिस्तान की तैयारियों को पर्याप्त बताते हुए भारत के किसी भी कदम का माकूल जवाब देने की बात अवश्य कही है लेकिन उन्होंने यह बताने से परहेज बरत लिया है कि आखिर पाकिस्तान की ओर से ऐसी क्या बदमाशी होने वाली है जिसका जवाब देने के लिये एक बार फिर भारतीय सेना को सरहद के पार जाकर पाकिस्तान में पल रहे भारत विरोधी तत्वों को सबक सिखाने के लिये विवश होना पड़ेगा। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, इमरान ने कहा है कि खतरा अभी टला नहीं है। भारत में आगामी आम चुनावों तक स्थिति तनावपूर्ण बनी रहेगी। इमरान ने कहा है कि युद्ध की छाया अब भी पाकिस्तान और भारत पर मंडरा रही है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आम चुनावों से पहले ‘एक और दुस्साहस’ कर सकती है। अगर वाकई इमरान नहीं चाहते कि भारत की ओर से कोई सैन्य कार्रवाई हो तो बेहतर होगा कि वे अपनी ओर से ही आतंकियों पर लगाम लगा कर रखें। या फिर अगर वे ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं तो भारत की मदद लेने से भी उन्हें संकोच नहीं करना चाहिये। यानि गेंद पूरी तरह इमरान सरकार के पाले में ही है। वे जैसा चाहेंगे वैसा ही होगा। अगर वे नहीं चाहते कि भारत के साथ तनाव का सिलसिला आगे बढ़े तो उन्हें इसके लिये भारत के साथ मिलकर पहल करनी होगी। भारत पहले ही बता चुका है कि आतंक को समाप्त करने के लिये हम पाकिस्तान के साथ कांधे से कांधा मिलाकर आगे बढ़ने के लिये तैयार हैं और अगर पाकिस्तान इमानदारी से इस काम को अंजाम देने की दिशा में आगे बढ़ता है तो हर संभव सहयोग मुहैया कराने से कतई परहेज नहीं बरता जाएगा। लेकिन अगर वह आतंकियों को बदस्तूर संरक्षण देना जारी रखेगा तो निश्चित ही उसे इसका अंजाम तो भुगतना ही होगा।