नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सिर्फ मतदान करने के लिए ही जागरूक नहीं कर रहा है, बल्कि प्रत्याशियों को चुनने पर भी जोर दे रहा है। संघ का मानना है कि इनमें से कोई नहीं यानी नोटा को लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। इसके चलते खराब उम्मीदवार के जीतने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। संघ की यह चिंता तब ज्यादा बढ़ जाती है जब पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में नोटा ने मध्य प्रदेश में करीब 11 सीटों पर भाजपा का खेल बिगाड़ा था। वैसे, वर्ष 2013 से देश के चुनावों में नोटा के विकल्प पर संघ का रुख कोई नया नहीं है। कई मौकों पर सर संघचालक मोहन भागवत नोटा को खारिज कर चुके हैं। पिछले वर्ष सितंबर माह में विज्ञान भवन में हुए तीन दिवसीय व्याख्यानमाला में भी उन्होंने कहा थाकि नोटा के कारण हम सर्वोत्तम को भी खारिज कर देते हैं और इसका फायदा सबसे बुरा उम्मीदवार उठा लेता है। अब जबकि बात आम चुनाव की है और दांव पर मोदी सरकार है तो संघ ज्यादा सतर्क है। संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक नोटा लोकतंत्र के लिए बड़े खतरे की तरह है। क्योंकि यह लोगों में लोकतंत्र के प्रति अविश्वास बढ़ाने के साथ उपलब्ध अच्छे प्रत्याशी की तुलना में खराब प्रत्याशी के जीतने की संभावना को बढ़ा देता है। उन्होंने बताया कि इसे लेकर लगातार मतदाताओं को जागरूक करने का अभियान चल रहा है। इसमें मतदाताओं को यह समझाया जा रहा है कि हर कोई पूर्ण नहीं होता है। हर किसी में कमियां होती हैं। पिछले माह से ही संघ का नेशन फर्स्ट-वोटिंग मस्ट और युवा मतदाता-भाग्य विधाता अभियान चल रहा है, जिसमें अधिक से अधिक लोगों को मतदात सूची से जोड़ने के साथ उन्हें मतदान के लिए प्रेरित किया जा रहा है। संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि नोटा जिस भी कारण आया हो, पर इसको बढ़ावा देने में साजिशें भी शामिल हैं जो देश के लोकतंत्र को कमजोर करना चाह रही हैं।
नोटा को लोकतंत्र के लिए खतरा मानता है RSS