राजस्थान पोर्टल पर दर्ज 19 लाख से अधिक फरियादिओं को कब मिलेगा न्याय?

धौलपुर। बीते 3 साल में राजस्थान पोर्टल पर दर्ज 29 लाख 47 हजार परिवादों में से केवल 10 लाख 45 हजार 748 फरियादियों को ही न्याय मिला है। शेष फरियादी आज भी न्याय के लिए भटक रहे हैं। अगस्त, 2015 से अगस्त, 2018 तक जन सुनवाई के लिए लगे दरबारों में प्राप्त परिवेदनाओं के निस्तारण की जमीनी हकीकत जानने के लिए आरटीआई कार्यकर्ता विकास अग्रवाल ने सूचना का अधिकार-2005 के तहत आवेदन किया पर संबंधित विभाग ने 30 दिन की अवधि में कोई जवाब नहीं दिया। इस पर कार्यकर्ता ने प्रथम अपील की, उसके बावजूद 45 दिन की अवधि में उसे संतोषजनक जवाब नहीं मिला, जब कार्यकर्ता ने राज्य सूचना आयुक्त के समक्ष द्वितीय अपील की तो 6 मार्च, 2019 को जन अभियोग निराकरण विभाग राजस्थान जयपुर ने कार्यकर्ता को सूचना उपलब्ध कराई।  उपलब्ध जानकारी के अनुसार बीते 3 साल में पोर्टल पर दर्ज 29 लाख 47 हजार 192 परिवादों में से केवल 10 लाख 45 हजार 748 परिवादों का ही निस्तारण किया गया है। सूचना में बताया है कि लंबे समय तक विचाराधीन परिवेदनाओं की संख्या 3 लाख 49 हजार 361 है। वहीं तथ्यहीन निस्तारण से असंतुष्ट फरियादियों की संख्या 2 लाख 32 हजार 290 है। समय सीमा में निस्तारण नहीं करने एवं निस्तारण की झूठी रिपोर्ट भेजने के आरोप में 276 अधिकारियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की गई है। बता दें कि राज्य सरकार ने आमजन के श्रम, समय एवं धन की छीजत को रोकने तथा पीडि़त व जरूरतमंद को राहत प्रदान करने की अवधारणा से 18 अगस्त, 2015 को प्रशासनिक सुधार एवं समन्वय विभाग राजस्थान जयपुर के तत्कालीन मुख्य सचिव सीएस राजन ने एक परिपत्र जारी कर राजस्थान संपर्क पोर्टल पर दर्ज परिवेदनाओं के निस्तारण, प्रदत्त एवं निरस्त परिवेदनाओं के सत्यापन आदि के निर्देश दिए थे, अब इन्हीं निर्देशों के आधार पर राजस्थान पोर्टल पर दर्ज परिवेदनाओं की जमीन हकीकत सामने आई है। वसुंधरा राजे की भाजपा सरकार के दौरान सप्ताह में दो शनिवार व रविवार को अवकाश रहने से शेष 5 कार्य दिवसों में से 2 दिन ब्लाक एवं जिले में जन सुनवाई के वास्ते दरबार लगाने के लिए निर्धारित किए गए थे। इन दिनों में संचालित कार्यालयों में बैठकर कार्य करने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों की कुर्सियां खाली रही। इससे अधिकारियों को 3 दिन में लंबित कार्यों को करने का पर्याप्त समय ही नहीं मिला।