इंटरनेशनल स्कूल पैरेंट्स एसोसिएशन (पंजीकृत) के बीच समझौता होने के पश्चात गत 2 दिनों से चल रहा धरना शुक्रवार को समाप्त हो गया। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, एडीएम सदर की मौजूदगी में चली मैराथन त्रिपक्षीय वार्ता के बाद स्थिति की गम्भीरता के मद्देनजर विद्यालय प्रबंधन ने पैरेंट्स एसोसिएशन की अधिकांश शर्तों को मान लिया है। साथ ही, संस्थान हित में सभी पक्षों से सहयोग मांगा है, जिस पर संघ ने भी सहयोग का आश्वासन दिया है।
बातचीत के मुताबिक, अभिभावक भी 70 प्रतिशत बकाया फीस देने के लिये राजी हो गए और बाकी फीस माननीय न्यायालय द्वारा निर्णय देने के बाद दी जाएगी, जो कि आगामी 5 अप्रैल को आने की संभावना है।पैरेंट्स एसोसिएशन ने अभिभावकों के हक की लड़ाई लड़ने में साथ देने वाले मीडिया बंधुओं, अभिभावकों, शासन-प्रशासन के संयमशील अधिकारियों, एलआईयू गाजियाबाद और स्कूल प्रबंधकों का भी आभार प्रकट किया है। संघ ने कहा है कि सभी लोगों ने जिस तत्परता और कर्मठता के साथ सहयोग किया है, उसके लिये हमलोग सभी अभिभावकों की तरफ से सभी सम्बन्धित पक्षों का आभार व्यक्त करते हैं।
सूत्रों ने बताया कि गुरुवार को शुरू हुए इस धरने के रात भर चलने से केंद्र और राज्य के साथ साथ गाजियाबाद नगर निगम में भी सत्तारूढ़ बीजेपी के नेता बेचैन हो चुके थे। स्थानीय पार्षद मनोज गोयल पर भी त्रिपक्षीय दबाव स्थानीय जनप्रतिनिधि होने के नाते पड़ रहा था, जिसका कोई इजहार नहीं करता। स्थानीय विधायक सुनील शर्मा और सांसद जनरल वी के सिंह भी अपने करीबियों के माध्यम से विद्यालय प्रबंधन और प्रशासन पर दबाव बनाए हुए थे कि आंदोलनरत अभिभावकों को किसी भी सूरत में मनाया जाए। क्योंकि राजनेताओं को शक हो रहा था कि कांग्रेस से जुड़े लोगों ने यदि परोक्ष रूप से इसे तूल दिलवाए रखा तो 11 अप्रैल को मतदान के दिन कहीं लेने के देने न पड़ जाएं।
यही वजह है कि अघोषित रणनीति के मुताबिक सबसे पहले सन वैली इंटरनेशनल स्कूल के बकायेदार अभिभावकों के नाम और बकाया राशि पब्लिक डोमेन में डाली गई, ताकि अभिभावक संघ में फूट पड़ जाए। उसके बाद, अभिभावक संघ से शासनादेश या न्यायदेश की ऑरिजिनल प्रति मांगी गई और सोशल मीडिया पर वायरल अनुरोध को फर्जी बताते हुए अभिभावकों को सावधान किया गया। इधर, एडीएम सदर भी यह तय करके गाजियाबाद से निकले थे कि आज इस मामले को रफा दफा करवाकर ही दम लेंगे। और उन्होंने वैसा ही किया, जिससे गाजियाबाद जनपद प्रशासन की साख बच गई। क्योंकि अभिभावक संघ ने धमकी दी थी कि यदि स्कूल प्रबंधन ने उनकी मांग नहीं मानी तो शुक्रवार से यह धरना आमरण अनशन में तब्दील हो जाएगा, जिससे प्रशासन एलर्ट था।
अभिभावकों का आरोप था कि जिला शुल्क नियामक समिति द्वारा फीस अधिनियम के तहत फीस वापस करने के जो आदेश प्राइवेट स्कूलों को दिए गए हैं, उसी के मद्देनजर 180 अभिभावकों ने अपने अपने बच्चों की फीस जमा नहीं कराई, जिसके चलते स्कूल प्रबन्धन ने बच्चों के परीक्षाफल रोक लिए और उनकी कापियां भी वर्ग कक्षा में नहीं दिखाई, जिससे छात्र और उनके अभिभावकों की बेचैनी बढ़ गई, जो गुरुवार को धरने में तब्दील हो गई थी।
इस सम्बन्ध में सनवैली इंटरनेशनल स्कूल पेरेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों का कहना था कि जिला शुल्क नियामक समिति के आदेश के खिलाफ विद्यालय प्रबंधन ने माननीय न्यायालय की शरण ली है। जिसके प्रतिउत्तर में 180 अभिभावकों ने भी न्यायालय का दरवाजा खटखटाते हुए एक याचिका दायर की है, जिस पर आगामी पांच अप्रैल की तारीख लगी हुई है। इसलिए दोनों पक्षों को उम्मीद है कि उनके पक्ष में कुछ सकारात्मक न्यायदेश आएगा, जिससे अन्य पक्षों की मनमानी पर रोक लगेगी।
यही वजह है कि गुरुवार की सुबह एसोसिएशन के बैनर तले अभिभावक गण विद्यालय पहुंचे औऱ प्रबंधकों से कहा कि कोर्ट का आदेश आने पर ही वे फीस जमा कराएंगे। इसके साथ ही अभिभावकों ने यह भी कहा कि बच्चों का अहित ना हो, इसके चलते अभिभावक गण 60 फीसदी फीस अभी जमा करा देते हैं, और शेष 40 फीसदी फीस न्यायालय के आदेश के मुताबिक जमा कराएंगे। लेकिन अभिभावकों का आरोप था कि स्कूल प्रबंधकों ने तब कोई जवाब नहीं दिया। इससे आक्रोशित अभिभावक गण विद्यालय के गेट के बाहर धरने पर बैठ गए। फिर गुरुवार की रात वहां पर टैंट और प्रकाश की व्यवस्था करके धरना जारी रखा गया। लेकिन शुक्रवार की शाम होते होते इस मामले का सम्मान जनक हल निकल गया।