सरपंच के खिलाफ लंबित शिकायत में कार्रवाई कर निस्तारण करने के दिए निर्देश

शाहपुरा। सरपंच पद का दुरुपयोग कर निर्माण कार्यों में अनियमितता बरतने के मामलें में दोषी ठहराए जाने के बावजूद कार्रवाई नही करने पर उच्च न्यायालय ने याचिका पर सुनवाई कर पंचायतीराज विभाग के शासन सचिव एवं आयुक्त, जयपुर के संभागीय आयुक्त, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं शाहपुरा पंचायत समिति के विकास अधिकारी को प्रकरण की 90 दिन में जांच कार्रवाई कर उसका निस्तारण करने के निर्देश दिए है। स्थानीय निवासी गौरी शंकर पलसानिया की ओर से दायर याचिका में अधिवक्ता संदीप कलवानिया ने बताया कि प्रार्थी ने ग्राम पंचायत चिमनपुरा के सरपंच दीपेंद्र कुमार बुनकर, तत्कालीन पंचायत प्रसार अधिकारी भागीरथ प्रसाद सैनी एवं सचिव रामस्वरूप बंदरवाल के खिलाफ पद का दुरुपयोग कर विभिन्न निर्माण कार्यों में अनियमितता बरतने एवं नियम विरुद्ध पट्टे जारी करने की शिकायत दर्ज लोकायुक्त सचिवालय में करवाई थी। लोकायुक्त सचिवालय के संयुक्त सचिव ने जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को शिकायत की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। लोकायुक्त सचिवालय एवं जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के निर्देश पर पंचायत समिति शाहपुरा के विकास अधिकारी ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई। जांच कमेटी ने सरपंच एवं ग्राम सेवक पर निजी खातेदारी की भूमि में निर्माण कार्य  कराने एवं अनियमितता बरती जाना पाया गया है तथा सरपंच दीपेंद्र कुमार बुनकर से 1 लाख 22 हजार 467 रुपये, सचिव रामस्वरूप बन्दरवाल से 1 लाख 22 हजार 467 एवं पंचायत प्रसार अधिकारी भागीरथ प्रसाद सैनी से 1 लाख 16 हजार 890 रुपये की राशि की वसूली निकाली है ।  ग्राम पंचायत की ओर से जारी किए गए 33 पट्टों को भी नियम विरुद्ध मानकर निरस्त योग्य माना है। ग्राम पंचायत ने नियमों की अवहेलना कर चहेते लोगो को पट्टे जारी किए थे। जांच रिपोर्ट में आरोप साबित होने के बाद प्रार्थी ने पंचायतीराज विभाग के शासन सचिव को ज्ञापन देकर दीपेंद्र कुमार बुनकर को सरपंच पद  से हटाने की गुहार लगाई लेकिन विभाग ने न तो सरपंच  के खिलाफ कार्रवाई की और न ही राशि की वसूली की है। जिम्मेदार अधिकारियों ने पट्टे भी निरस्त नही कर रहे है और दोषियों को बचाने का प्रयास कर रहे है। अधिवक्ता संदीप कलवानिया ने बताया कि राजस्थान पंचायती राज अधिनियम की धारा 38 में पंचायती राज संस्थाओं के जनप्रतिनिधियों के जांच में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई करने का प्रावधान  है। जांच में सरपंच को दोषी ठहराए जा चुके है और पद का दुरुपयोग करने के आरोप साबित हो चुके है। इसके बावजूद राज्य सरकार सरपंच पद से नही हटा रही है। जबकि पंचायतीराज विभाग ने एक परिपत्र जारी कर रखा है। जिसमें शिकायत प्राप्त पर 90 दिन में जांच कर निस्तारण करने के निर्देश दे रखे है। इसलिए प्रार्थी ने न्यायालय से याचिका को स्वीकार कर दोषी सरपंच पर पंचायती राज अधिनियम एवं विभागीय परिपत्रों के दिशा निर्देशों की पालना में कार्रवाई की गुहार लगाई थी।