उर्दू परिषद का छठा विश्व उर्दू सम्मेलन 18-20 मार्च तक

                                         देश-विदेश से उर्दू के साहित्यकार और विद्वान लेंगे भाग
नई दिल्ली।उर्दू भाषा के सार्वभौमिक विकास व उर्दू के प्रसार के लिए कार्य करने वाला केंद्र सरकार का सबसे बड़ा संस्थान राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद् 18-20 मार्च, 2019 तक स्कोप भवन, लोधी रोड,नई दिल्ली में तीन दिवसीय विश्व उर्दू सम्मेलन का आयोजन करने जा रही है जिसका विषय ‘‘वर्तमान वैश्विक परिस्थिति में उर्दू भाषा का संरक्षण व संवर्धन’’ हैं। कार्यक्रम का शुभारंभ माननीय प्रकाश जावड़ेकर द्वारा किया जाएगा। विशिष्ठ अतिथि के तौर पर श्री इंद्रेश कुमार होंगे। उद्घाटन सत्र में बीज वक्तव्य डा. तकी आबदी, (कनाडा) प्रस्तुत करेंगे। यह जानकारी उर्दू परिषद के निदेशक डा. शेख अकील अहमद ने प्रेस वार्ता में पत्रकारों को संबोधित करते हुए दी। उन्होंने कहा कि स्वागत व्याख्यान परिषद के उपाध्यक्ष डा. शाहिद अख्तर और परिचय व्याख्यान परिषद के निदेशक डा. शेख अकील अहमद देंगे। धन्यवाद ज्ञापन परिषद की सहायक निदेशक शमा कौसर यजदानी व संचालन मुईन शादाब द्वारा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय विश्व सम्मेलन के लिए जिस विषय का चयन किया गया है उसके परिदृश्य में वैश्विक परिप्रेक्ष्य में उर्दू की वर्तमान स्थिति का आंकलन करते हुए उर्दू के विकास और शिक्षा से संबंधित समस्याओं पर विचार विमर्श किया जाएगा। कार्यक्रम के अंत में सभी विद्वानों के सुझावों के आधार पर उर्दू के विकास के लिए एक एकीकृत रणनीति भी तैयार की जाएगी।
उन्होंने आगे कहा कि उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकि सत्रों का सिलसिला आरम्भ होगा। कुल सात सत्र होंगे। पहला सत्र ‘उर्दू शिक्षा का माध्यम: प्रारंभिक से माध्यमिक स्तर’ दूसरा सत्र ‘शोध स्तर पर उर्दू शिक्षा’, तीसरा सत्र ‘उर्दू की शिक्षा में मदरसों की भूमिका’, चौथा सत्र ‘उर्दू फाईन आटर्स एवं इंफोटेंमेंट,’पांचवा सत्र ‘ विभिन्न देशों में उर्दू की सामाजिक व सांस्कृतिक स्थिति’,छठा सत्र ‘ मीडिया और उर्दू,’ और सातवां सत्र ‘संविधान व अन्य कानूनों में उर्दू की स्थिति,’ विषय पर होगा। पहले दिन के कार्यक्रम की समाप्ति के बाद शाम को 5.30 बजे शामे गजल का आयोजन किया जाएगा। जिसमें प्रसिद्ध गजल गायक तलत अजीज गजल प्रस्तुत करेंगे।
ज्ञात रहे कि इस सम्मेलन में जिन देशों से विद्वान आने वाले हैं उनमें बंग्लादेश, कनाडा, डेनमार्क, मिस्र, फ्रांस, ईरान, जापान, मारिशस, रूस, तुर्की और उजबेकिस्तान के नाम उल्लेखनीय हैं। इसके अतिरिक्त देश के कोने-कोने से 40 से अधिक विद्वानों को निमंत्रण भेजा गया है। और यह कि विभिन्न 35 विश्वविद्यालयों के शोधाकर्ताओं को भी आमंत्रित किया गया है।
उर्दू परिषद् के निदेशक डा. अकील अहमद ने इस अवसर पर कहा कि इस विश्व सम्मेलन का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर उर्दू की समस्याओं को जानना और उर्दू के विकास की गति में विश्व भर में वृद्धि करना है। उन्होंने कहा कि विश्व सम्मेलन में उर्दू के सभी पहलुओं को शामिल करने का प्रयास किया गया है।
संयुक्त प्रेस वार्ता में पत्रकारों को संबोधित करते हुए उर्दू परिषद के निदेशक डा. अकील अहमद ने कहा कि पुलवामा की घटना के कारण पाकिस्तान से आने वाले सभी सदस्यों का निमंत्रण निरस्त कर दिया गया है साथ ही उन्होंने परिषद को मिलने वाली वित्तीय सहायता में 88 फिसद बढोत्तरी करने के लिए केंद्र सरकार का आभार जताया। उन्होंने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का भी उनके शुभकामना सन्देश के लिए आभार जताते हुए बताया कि पहली बार इस आयोजन में 60 रिसर्च स्कॉलर अपने अनुभव एक दूसरे  साथ साझा करेंगे। उर्दू परिषद उर्दू विकास अभियान के तहत अनेक स्कीमों के अलावा उर्दू भाषा की समस्याओं और उसकी अहमीयत एवं विकास के विषयों पर देश के विभिन्न क्षेत्रों में सेमिनार व सिम्पोजियम आदि का आयोजन करती आई है। अब उर्दू परिषद विश्व उर्दू सम्मेलन का आयोजन कर रही है ताकि राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में उर्दू के विकास की संभावनाओं की तलाश की जा सके। उन्होंने कहा कि उर्दू शुद्ध आर्याई भाषा होने के साथ-साथ संपर्क की भी भाषा है। यह भाषा आज अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन, रूस, मिस्र, तुर्की, ईरान, मारीशस जैसे देशों में भी प्रसिद्ध होती जा रही है। उर्दू की नई कालोनियों से उर्दू भाषा और साहित्य को नई दिशा मिली है। विश्व उर्दू सम्मेलन का आयोजन इसी परिदृश्य में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि यह छठा विश्व उर्दू सम्मेलन है। उन्होनें देश के सभी उर्दू प्रेमियों से अपील की कि इस विश्व उर्दू सम्मेलन में भाग लेकर इसे कामयाब बनाएं ताकि उर्दू के विकास के अभियान को और आगे बढ़ाने में बिना किसी धार्मिक भेदभाव के सभी का योगदान हासिल हो सके।