नई दिल्ली - वैदिक विदुषी, उपनिषदों की मर्मज्ञ डॉ वेदवती वैदिक धर्मपत्नी डॉ वेद प्रताप वैदिक की पुण्य स्मृति में अध्यात्म साधना केंद्र, छत्तरपुर, नई दिल्ली में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित का आयोजन किया गया। यह अजीब संयोग है कि इसी दिन स्वर्गीय डॉ वेदवती वैदिक का जन्म दिन भी पड़ता है।श्रद्धांजलि सभा का संचालन वैदिक ओजस्वी विद्वान आचार्य विद्या प्रसाद मिश्र जी और डॉ शशि प्रभा कुमार ने किया।
सभा में सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश एवं स्वामी संपूर्णानंद, करनाल व स्वामी डॉ रामेश्वरानंद, पुष्कर से पधारे थे । मुख्यतः भावपूर्ण श्रधांजली सुश्री अपर्णा, अर्चना व डॉ शशि प्रभा कुमार, स्वयम डॉ वेद प्रताप वैदिक ने भावुक मन से प्रस्तुत की। स्वामी रामदेव ने फ़ोन पर सार्वजनिक श्रद्धांजलि प्रस्तुत की। डॉ वेद प्रताप वैदिक ने कहा कि श्रधेय वेदवती केवल एक महिला या मां या गृहणी या एक पत्नी नही एक देवी थी, एक महान विदुषी भी थी, उपासना-योग्य एवं स्तुत्य व अनुकरणीय व्यक्तित्व थीं।
ओम सपरा ने कहा कि डॉ वैदिक जी से मेरा संबंध आर्य समाज व हिंदी के नाते 43 वर्ष पुराना अर्थात सन 1976 से है। उनके पिता स्वर्गीय स्वामी वैदिकानन्द पूर्व नाम श्री जगदीश चंद्र वैदिक से मेरा काफी पुराना संबंध रहा उनसे पत्राचार भी होता रहा। और उनके इंदौर स्थित आश्रम में भी सपरिवार गया।
ओम सपरा का कहना है कि डॉ वैदिक आर्य समाज में एकता स्थापित करने और वैमनस्य पूर्णतः समाप्त करने में एक सूत्रधार की महत्वपूर्ण अग्रणी भूमिका निभाते रही है । हमे उनकी इस संदर्भ में सेवाएं अवश्य ग्रहण करनी चाहिये।डॉ वैदिक एवं डॉ वेदवती जी सचमुच एक आदर्श व विलक्षण दंपति थे।
स्वर्गीय डॉ वेदवती वैदिक *वैदिक साहित्य* के प्रसार हेतु एक उल्लेखनीय प्रकाश स्तंभ थीं। ऐसे महान लोगो के नाम के साथ स्वर्गीय शब्द का प्रयोग करना कुछ साहस का कार्य दिखता है। केंद्रीय आर्य युवक परिषद के अध्यक्ष अनिल आर्य और वैदिक विद्वान आचार्य चंद्र शेखर शास्त्री ने भी भावभीनी श्रद्धांजलि प्रेषित की।