नई दिल्ली । पूर्वी दिल्ली के कांग्रेस नेताओं का प्रदेश नेतृत्व में दबदबा रहा है, लेकिन अब यहां के नेता दरकिनार किए जा रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश नेतृत्व में बदलाव होने से आश जगी थी कि कांग्रेस मजबूती से आगे बढ़ेगी। शीला दीक्षित के प्रदेश अध्यक्ष बनने और तीन कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पार्टी में हलचल तेज हो गई थी, लेकिन अब गुटबाजी चरम पर पहुंच गई है। विशेषकर पूर्वी दिल्ली के कई दिग्गज नेताओं को दरकिनार किए जाने की वजह से। यमुनापार के दोनों संसदीय क्षेत्रों में पार्टी के कई दिग्गज नेता कांग्रेस से संबंध रखते हैं। पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से अरविंदर सिंह लवली और उत्तर-पर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र के जयप्रकाश अग्रवाल प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं। वहीं पूर्व विधायक नसीब सिंह व चौधरी अनिल कुमार राष्ट्रीय संगठन में अहम पदों पर रहे हैं। इसके बावजूद प्रत्याशियों के चयन में इन्हें तवज्जो नहीं दी गई है। पार्टी सूत्रों का के लिए सबकुछ कहना है कि शीला दीक्षित ने सातों लोकसभा क्षेत्र के लिए प्रत्याशियों की सूची बनाकर राष्ट्रीय नेतृत्व को भेजी है। उसमें यमुनापार की दोनों सीटों से मात्र एक-एक संभावित उम्मीदवारों की सूची भेजी है। वहीं अन्य संसदीय क्षेत्रों के लिए दो-दो संभावित उम्मीदवारों को सूची में स्थान दिया गया है। पार्टी के एक नेता का कहना है कि प्रदेश नेतृत्व की इस शैली से काफी नाराजगी है। सूची में ऐसे लोगों को स्थान दिया गया है, जिनका यमुनापार से ताल्लुक नहीं है। एक व्यक्ति तो गैर राजनीतिक हैं और दूसरे का क्षेत्र से कोई नाता नहीं है। यह सची तब तैयार की गई, जब गठबंधन को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बात काफी आगे तक बढ़ चुकी है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन तय माना जा रहा है फिर भी इस तरह की सूची बनाई गई है, जिस पर सवाल उठ रहे हैं। पार्टी के एक नेता कहते हैंकि जब गठबंधन की स्थिति है, तब तो इस तरह की सूची तैयार नहीं करनी चाहिए थी।
पूर्वी दिल्ली सीट पर कांग्रेस के लिए सबकुछ ठीक नहीं