# आरोप:- जनपद प्रशासन के सम्बन्धित विभाग की तकनीकी नादानी से आया गलत आदेश, जिससे अभिभावक हुए दिग्भ्रमित
# विद्यालय के खिलाफ हुई एफआईआर का विरोध किया सजग लोगों ने और प्रशासन से इसे वापस लेने की मांग की
गाजियाबाद। सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल में चल रहे उत्तेजित अभिभावकों द्वारा किये गए विरोध के संबंध में तथ्यात्मक जानकारी देने के लिए जयपुरिया स्कूल प्रबन्धन ने जयपुरिया इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, इंदिरापुरम के सेमिनार हॉल में मंगलवार को एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। इस दौरान विद्यालय प्रधानाचार्या डॉ मंजू राणा, संस्थान के डायरेक्टर देवेंद्र नारंग और वित्त प्रबन्धक विक्रम अग्रवाल ने सामूहिक रूप से विद्यालय का सकारात्मक पक्ष रखा ताकि फीस वृद्धि से सम्बंधित हुई जनपदीय प्रशासनिक चूकों से पैदा हुई भ्रांतियों से भ्रमित कुछेक अभिभावकों की गलतफहमी दूर हो जाए।
डॉ राणा ने बताया कि।इस परिस्थिति की प्रतिक्रिया स्वरुप अभिभावकों ने स्कूल पैरेंट एसोसिएशन जयपुरिया (एसपीएजे) का निर्माण किया एवं डिस्ट्रिक्ट इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल (डीआईओएस) के पास, फीस अध्यादेश पर गैर अनुपालन के तहत एक शिकायत दर्ज करवाई। उसके मद्देनजर स्कूल पैरेंट एसोसिएशन के सदस्यों को स्कूल में बुलाया गया एवं एक सम्मलित सभा आयोजित हुई जिसके अंतर्गत स्कूल ने अभिभावकों को स्पष्ट करते हुए सफाई दी परन्तु उन्होंने उसे नकारते हुए अध्यादेश को सुविधानुसार अपने पक्ष में मान लिया|, जो की पूर्णत: गलत थी।
एसपीएजे ने इस विषय हेतु डिस्ट्रिक्ट फीस रेगुलेटरी कमिटी को सूचित किया और कमिटी ने स्कूल को 19 नवम्बर 2018 को सम्बंधित विषय पर कागज़ात जमा कराने का आदेश दिया, जिसको स्कूल संस्था ने निर्धारित समय पर जमा करवाया दिया। बावजूद इसके, स्कूल को डी.एफ.आर.सी द्वारा 10 जनवरी 2019 को एक निर्णय मिला, जिसके अंतर्गत स्कूल पर अध्यादेश एक्ट को पालन नहीं करने के कारण, एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया। इस सन्दर्भ में स्कूल को अधिक फीस की राशि 30 दिनों के अन्दर लौटाने या फिर समायोजित करने का आदेश मिला।
डॉ राणा ने खुलासा किया कि डी.एफ.आर.सी द्वारा दी गयी फीस प्रणाली जो 2016-17, 17-18, 18-19 पर आधारित थी, जो कि स्कूल की वास्तविक फीस नहीं थी और उसमें दोष था, जिसके पश्चात स्कूल ने माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अपील की। तत्पश्चात माननीय अदालत ने डी.एफ.आर.सी के आदेश को गत 11 मार्च को अंतरिम रूप से रोक दिया। इसके उपरान्त, एसपीएजे के द्वारा पुन: माननीय अदालत में इस अंतरिम रोक को संशोधन करने की अपील की, परन्तु माननीय अदालत ने गत 15 मार्च को इसे ठुकरा दिया। कुछ समय बाद एसपीएजे ने स्कूल के खिलाफ, स्कूल के द्वारा गत 11 मार्च और 19 मार्च को दी गई आखरी नोटिस के खिलाफ पुन: रिट पिटीशन दायर की, परन्तु माननीय अदालत ने गत ३० मार्च को स्कूल के द्वारा दी गई नोटिस पर कोई रोक नहीं लगाई।
यही वजह है कि विद्यालय प्रबंधन ने सभी अभिभावकों को यह सूचित किया कि 4798 छात्रों में से 4500 छात्रों ने पहले ही पूरी फीस भर दी है और 297 अभिभावकों ने पूरी फीस का भुगतान तब तक नहीं किया था। प्रबन्धन के मुताबिक, अभी तक की यह स्थिति है कि ३
37 अभिभावकों ने अंशत: फीस जमा की है जो कि सत्र 2015-16 की फीस गणना पर आधारित है, इसलिए पूर्णत: अमान्य है। जबकि 10 अभिभावकों ने तो फीस की कोई भी राशि जमा नहीं की है। इन 47 अभिभावकों पर लगभग 20 लाख की राशी बकाया है। प्रधानाचार्या डॉ मंजू राणा ने बताया कि अब ये 47 अभिभावक दूसरे 250 अभिभावकों, जिन्होंने पूरी फीस जमा नहीं की है, उन्हें भी स्कूल के खिलाफ विद्रोह में हिस्सा लेने के लिए उकसा रहे हैं। क्योंकि इन 250 अभिभावकों पर लगभग 70 लाख रुपए की राशी बकाया है।
स्कूल प्रबन्धन ने बताया कि गत 4 अप्रैल को मुट्ठीभर अभिभावकों जिन्होंने फीस पूर्णत: या अंशत: नहीं दी, उनके बच्चों को स्कूल में प्रवेश करने से रोका गया। जिसके बाद अभिभावकों ने जोर एवं बल के प्रयोग से, सुरक्षाकर्मियों एवं कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करके सारे नियमों का उल्लंघन करते हुए स्कूल में जबरन प्रवेश किया। इस दौरान वरिष्ठ शिक्षकों ने इन अभिभावकों के छात्रों को स्कूल पुस्तकालय में अनुकूल एवं सुरक्षित वातावरण में रखा। तब मौके पर केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री जनरल वी. के. सिंह की सुपुत्री मृणालिनी सिंह एवं तहसीलदार राजबहादुर द्वारा हस्तक्षेप के पश्चात् इन छात्रों को अभिभावकों को सौंपा गया। इस विषय को शहर के उच्चाधिकारियों के समक्ष रखा गया एवं इन उपद्रवी अभिभावकों के खिलाफ एफ. आई.आर दर्ज किया गया।
बावजूद इसके, गत 5 अप्रैल को इन अभिभावकों ने फिर से अपने छात्रों सहित स्कूल में प्रवेश लेने की कोशिश की, लेकिन प्रवेश न मिलने के पश्चात वह इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन गए। छात्रों को गलत सीख देकर मदद मांगने के लिए उकसाया गया, जिसके कारण स्कूल की प्रतिष्ठा पर दाग लगा। उपद्रवी अभिभावकों ने इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन में स्कूल संस्था के खिलाफ शिकायत दर्ज की, जो कि बाद में स्कूल की प्रधानाचार्या एवं अन्य लोगों के खिलाफ एफ.आई.आर के रूप में दर्ज की गई। उसके बाद, बहुत बड़ी संख्या में जयपुरिया स्कूल के अभिभावक शिक्षक समूह के सदस्य स्कूल के प्रधानाचार्या से मिले और इन उपद्रवी अभिभावकों के कारण स्कूल के असुरक्षित वातावरण में छात्रों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की। इन सदस्यों ने इस तरह के विरोध, जो छात्रों के मानस पटल पर गलत छाप छोड़ रहा है, का भी पुरज़ोर विरोध किया।
लिहाजा, लोकसभा मतदान केंद्र होंने के कारण स्कूल को गत 8 अप्रैल से 11 अप्रैल तक बंद किया गया है। फिर भी स्कूल फीस न देनेवाले अभिभावकों को जरुरत पड़ने पर ट्रान्सफर सर्टिफिकेट देने के लिए स्कूल तैयार है। इनके छात्रों को पूरे वर्ष स्कूल में सहज वातावरण के अंतर्गत शिक्षा ग्रहण करना, परीक्षा देना, परिणाम पत्र ग्रहण करना एवं अन्य सुविधाओं का उपयोग भी करने दिया गया था। लिहाजा, हम प्रशासन से निवेदन करते हैं कि वह इन उपद्रवी अभिभावकों के विरुद्ध अनुशासनिक कारवाई शीघ्र अति शीघ्र करें, ताकि स्कूल का काम-काज सुचारू एवं व्यवस्थित रूप से चल सके।
विद्यालय प्रबंधन द्वारा जारी सूची के मुताबिक, सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल में हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना की निंदा श्रीमती शर्मीला रहेजा, सेक्रेटरी, सहोदय स्कूल काम्पेल्क्स, गज़ियाबाद चैप्टर, गुलशन कुमार भाम्बरी, सेक्रेटरी, इंडिपेंडेंट स्कूल ऑफ़ इण्डिया, गाज़ियाबाद और सविनय गुप्ता चेयरमैन, पेरेंट टीचर फोरम, सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल ने भी की है। उन्होंने यह महसूस किया कि छात्रों के मानस पटल पर इस का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। श्रीमती रहेजा ने एक बयान जारी कर स्कूल के खिलाफ किए गए एफ.आई.आर. की कड़ी निंदा की है। सेठ आनंदराम जयपुरिया स्कूल के पेरेंट टीचर फोरम के प्रतिनिधियों ने इन उपद्रवी अभिभावकों के खिलाफ ज़िला अधिकारी के पास शिकायत दर्ज करवाई और आग्रह करते हुए कहा कि इस विषय पर ध्यान देते हए स्कूल के खिलाफ लगाए गए सभी आधारहीन आरोपों को रद्द किया जाए।