टेप रिकार्ड तो देश के दोनों ही बड़े दलों का हमेशा से सुरीला रहा है लेकिन ट्रैक रिकार्ड ऐसा नहीं रहा है जिस पर आंखें मूंद कर विश्वास किया जा सके। हालांकि दोनों दलों का चुनावी घोषणा पत्र एक साथ सामने रखकर ही उसका तुलनात्मक निचोड़ प्रस्तुत करना अधिक श्रेयस्कर होगा लेकिन बीते दिनों के चुनावों में दोनों दलों द्वारा प्रस्तुत किये गये घोषणापत्र को लेकर तो यह विवेचना की ही जा सकती है कि किसने कितने वायदों को पूरा किया। इस लिहाज से देखें तो बहुत पहले की बातें ना भी करें तो जबसे कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष राहुल गांधी देश की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं तब से लेकर अब तक की विवेचना तो की ही जा सकती है। इसी प्रकार जब से प्रधानमंत्री मोदी ने केन्द्र की राजनीति में कदम रखा है तब से लेकर अब तक की उनकी कथनी और करनी के बीच का अंतर तो तलाशा ही जा सकता है। इस लिहाज से अगर पहले कांग्रेस की बात करें तो उसने वर्ष 2004 और 2009 के चुनावों में सपने तो बहुत ही सुहाने दिखाए लेकिन उन्हें पूरा करने का ट्रैक रिकार्ड उतना खूबसूरत कतई नहीं रहा। मसलन दोनों बार कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किसानों को उनके बैंक खाते में डॉयरेक्ट बेनिफिट पहुंचाने की बात की, लेकिन ना तो आम लोगों का बड़े पैमाने पर खाता खुलवाने की दिशा में कोई पहलकदमी की गई और ना ही उनका पैसा सीधा उनको मुहैया कराना सरकार की प्राथमिकता में रही। नतीजन मनरेगा के मजबूरों को भी नाम मात्र ही डीबीटी की सुविधा मिल सकी। जबकि उस वायदे को जमीनी स्तर पर मोदी सरकार ने किस हद तक पूरा किया है वह किसी से छिपा नहीं है।
इसी प्रकार कांग्रेस ने 2004 और 2009 के मेनिफेस्टो में हर घर तक बिजली पहुंचाने का वायदा किया थ्ज्ञा लेकिन दस साल के शासन में भी वह पूरा नहीं किया जा सका और बाद में मोदी सरकार ने बिजली से वंचित 18 हजार गांवों को युद्ध स्तर पर काम करके रौशन किया और अब चैबस घंटे अनवरत बिजली पाने को कानूनी अधिकार बनाने की भी तैयारी हो रही है। इसी प्रकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को आरक्षण देने और सेना के जवानों को ‘वन रैंक वन पेंशन’ दिलाने का सपना कांग्रेस लगातार दिखाती रही लेकिन उस दिशा में भी कोई पहलकदमी नहीं की गई। कांग्रेस के इन वायदों को भी मोदी सरकार ने ही पूरा किया है। हर मेनिफेस्टो में कांग्रेस लिखती है कि वो भ्रष्टाचार पर प्रहार करेगी, लेकिन कांग्रेस के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के जितने आरोप सरकार पर लगे उतने शायद अब तक की किसी भी सरकार पर नहीं लगे थे। कांग्रेस ने कहने को तो विश्व के सबसे सुयोग्य अर्थशास्त्री को प्रधानमंत्री पद पर बिठाया लेकिन उनके कार्यकाल में मुद्रास्फीति यानि महंगाई की दर दहाई के अंकों में पहुंच गई, राजकोषीय घाटा छह फीसदी से भी अधिक हो गया, बैंकों में जमा आम लोगों की गाढ़ी कमाई का 82 फीसदी पैसा जालसाजी की भेंट चढ़ कर लुट गया। खैर उस वक्त की बात ना भी करें तो मौजूदा वक्त में भी कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ करने की जो बात कही थी उसके दम पर विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उसने मध्य प्रदेश सरीखे राज्य में कितने किसानों का कर्जा माफ किया यह किसी से छिपा नहीं है।
अब तो आचार संहिता की दुहाई देकर एक बार फिर किसानों को भरमाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद दोबारा उसी मुद्दे पर कांग्रेस को लोकसभा में भी किसानों का कितना समर्थन मिल पाएगा यह देखने की बात होगी। वह भी तब जबकि अब तक किसान कर्ज माफ होने की बाट ही जोह रहे हैं। ममसला हंगाईका का, राजकोषीय घाटे काहो, मुद्रा स्फीति या बैंकों की बदहाली का। सभी मोर्चों पर कांग्रेस ने जो सपने दिखाए थे उसे पूरा किया मोदी सरकार ने। महंगाई निम्नतम स्तर पर है, विरासत में मिला आधा राजकोषीय घाटा पाटा जा चुका है और बैंकों की हालत भी लगातार सुदृढ़ हो रही है। आज भारत की अर्थव्यवस्था का आकार विश्व में छठे स्थान पर पहुंच चुका है। यह सब हुआ है बीते पांच सालों में। जाहिर तौर पर विकास के मामले में भाजपा का ट्रैक रिकार्ड तो ऐसा है कि वह अपने ही नहीं बल्कि अपनी पूर्ववर्ती सरकार के वायदे और सपने को भी पूरा कर रही है। चाहे रेलवे में सुधार की बात हो या सड़कों व अन्य ढ़ांचागत संसाधनों के विकास का। जिस तेज गति से बीते पांच सालों में काम हुआ है उसका कोई सानी ही नहीं है। लेकिन भाजपा के ट्रैक रिकार्ड को परखें तो वैचारिक व सैद्धांतिक मसलों पर दावे से यह नहीं कहा जा सकता है कि वह कितने वायदे को कब तक पूरा करेगी।