डॉ कामिनी वर्मा सहित देश के विख्यात साहित्यकारों व शिक्षाविदों को किया गया सम्मानित





नई दिल्ली। भारत  उत्थान न्यास के तत्वाधान में  *भारत के उत्थान में शिक्षा और साहित्य की भूमिका* विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन नई दिल्ली आईटीओ स्थित हिंदी भवन सभागार में किया गया।

कार्यक्रम का शुभारंभ शशि पाण्डेय के मधुर कण्ठ से सरस्वती वन्दना का सस्वर वाचन से हुआ। कार्यक्रम में देश के विभिन्न प्रान्तों से आये हुए मनीषियों ने भारतीय समाज में किस प्रकार से प्रत्येक वर्ग का संवर्धन किया जा सकता है   उस पर विचार विमर्श किया। इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि विश्व विख्यात संस्कृत विद्वान् पद्मश्री  डॉ रमाकांत शुक्ल  ने प्राचीन और वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर प्रकाश डालते हुए सुधार हेतु समाधान प्रस्तुत किया। संत कबीरदास की बात करते हुए उन्होंने *भाती में भारतम्* गीत  से सम्पूर्ण सभागार को मन्त्रमुग्ध कर दिया। मुख्य वक्ता सुजीत कुंतल भारत के उत्थान में समरसता,सद्भाव ,और शिक्षा साहित्य के माध्यम से *तमसोमय ज्योतिर्गमय* का मार्ग प्रस्तुत करते हुए ज्ञान की क्रांति लाने की बात कही। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे डॉ आर डी पालीवाल ने  शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किये। भदोही की डॉ कामिनी  ने कहा कि बाल्यकाल से नैतिक  शिक्षा दी जानी चाहिए। इस सभागार में देश के विभिन्न भागों  से आये कवियों  ने अपने कविता पाठ के माध्यम से देश में व्याप्त कुरीतियों और  भ्रष्टाचार की ओर संकेत किया। हल्द्वानी से  सौम्या दुआ, मेरठ से प्रदीप त्यागी, डॉ ईश्वरचन्द्र गंभीर,  दिल्ली से संगीता शर्मा व आर एस अरोड़ा के कविता पाठ से सभागार करतल ध्वनि से ओत- प्रोत हो गया। विशिष्ट अतिथियों में -डॉ कामायनी शर्मा कानपुर, गोपाल तुलस्यान कानपुर,साध्वी हरिप्रिया हिमाचल से, विजयलक्ष्मी भट्टाचार्य दिल्ली से ,डॉ परमजीत कौर कानपुर, डॉ विदुषी शर्मा दिल्ली से ।

सम्मानित अतिथियों में- काशी नरेश राजकीय स्नाकोत्तर महाविद्यालय  ,ज्ञानपुर उत्तर प्रदेश की डॉ कामिनी वर्मा , डॉ सीता शुक्ला कानपुर,  प्रो लता चौहान बेंगलुरु,,डॉ चेतना अजमेर, डॉ अरुण अंचल रोहतक, डॉ गीतादत्त, गोहाटी से , ने भी उक्त विषय पर अपने उत्तम विचार प्रस्तुत किये।  अवधेश सिंह , आशुतोष अग्निहोत्री  आदि सम्मानित अतिथि उपस्थित रहे ।  सभी सम्मानित अतिथियों का "सारस्वत सम्मान " से अलंकृत किया गया।इस अवसर पर  निशा नंदिनी *असम* की दो पुस्तकों का *स्वामी विवेकानन्द की प्रेरक कहानियाँ* *बच्चों को जीने दो* का ,पालीवाल प्रकाशन की एक पुस्तक  *वेदायन* का एवम् बीनारानी की एक पुस्तक *तू चुप क्यों हैं?* का लोकार्पण डॉ रमाकांत शुक्ल व अन्य अतिथियों द्वारा किया गया। वागीश्वरी संस्थान की संस्थापिका डॉ नीरू मोहन 'वागीश्वरी' ने बहुत ही सुंदर ढंग से मंच संचालन किया।  धन्यवाद ज्ञापन भारत उत्थान न्यास दिल्ली के अध्यक्ष राजकिशोर सिन्हा ने किया उन्होंने सभी अतिथियों सहित वागीश्वरी संस्थान का सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया । भारत उत्थान न्यास  एवम् वागीश्वरी संस्थान के  सम्पूर्ण सहयोग द्वारा संगोष्ठी का सफलतापूर्वक समापन राष्ट्रीय गान द्वारा सम्पन्न हुआ।|