दुनिया का सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है माउंट एवरेस्ट


                   (बाल मुकुंद ओझा)


न्यूजीलैंड के एडमंड हिलेरी और शेरपा तेनजिंग नॉर्गे पृथ्वी की सबसे ऊँची एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने वाले पहले इंसान थे। उन्होंने 29 मई 1953 को यह कारनामा किया। तभी से हम इस दिन माउंट एवरेस्ट दिवस के रूप में मनाते है। नेपाल के 49 वर्षीय पर्वतारोही कामी रीता शेरपा ने 24वीं बार एवरेस्ट पर फतह किया है। ऐसा करने वाले वे दुनिया के एकमात्र पर्वतारोही हैं।
माउंट एवरेस्ट एशिया में नेपाल और चीन (तिब्बत) की सीमा पर स्थित वृहद हिमालय पर्वत शृंखला का सर्वोच्च शिखर है। यह पृथ्वी का सर्वोच्च स्थल है। माउंट एवरेस्ट को संस्कृत में देवगिरि, तिब्बती में चोमोलुंग्मा, चीनी भाषा (रोमनीकृत) में चु-मु-लांग-मा-फेंग, (पिनयिन) कोमोलांग्मा फेंग, नेपाली में सगरमाथा कहते हैं। हिमालय के दक्षिण-पूर्व, पूर्वोत्तर तथा पश्चिम के तीन बंजर कटक ऊपर उठाते हुए दो शिखरों का निर्माण करते हैं। पहला 8,848 मीटर (एवरेस्ट) और दूसरा 8,748 मीटर (साउथ पीक) ऊँचा शिखर है। इस पर्वत को इसके पूर्वोत्तर पक्ष से, जो तिब्बत के पठार से 3,600 मीटर ऊपर उठता है, सीधे देखा जा सकता है। 1856 में भारत के महान त्रिकोणमितीय सर्वेक्षण में एवरेस्ट की ऊँचाई 8840 मीटर यानि की 29 हजार 2 फीट तक थी। अब तक 5 हजार से अधिक लोग माउंट एवरेस्ट पर पहुँचने में सफल हुए है। माउंट एवरेस्ट के शिखर पर चढ़ने के दौरान 300 लोगों की अकाल मौत हो चुकी है। दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर पहुंचना इतना आसान नहीं होता, ज्यादातर लोग वहां अनजाने डर के साये के साथ ही पहुंच पाते हैं।
माउंट एवरेस्ट पर्वत दुनिया का सबसे ऊंचा पहाड़ है जिस पर चढ़ाई करने का साहस लाखों लोग देखते हैं। एवरेस्ट का शिखर बहुत ठंडा स्थान है जहां किसी भी जीवन के होने कि संभावना नहीं है। माउंट एवरेस्ट और माउंट एवरेस्ट पर्वतारोहियों पर कई फिल्में और किताबें लिखी जा चुकी हैं और हाल ही में जॉन क्रकौएर नामक पर्वतारोही ने अपनी किताब में दिल दहला देने वाले एवरेस्ट पर चढ़ाई के अनुभव को साझा किया है। माउंट एवरेस्ट इतना लंबा है कि इसे अंतरिक्ष से भी देखा जा सकता है लेकिन अंतरिक्ष से यह विशाल पहाड़ पृथ्वी गृह के एक छोटे से हिस्से के रूप में ही दिखाई पड़ता है। यहाँ का वातावरण बर्फीला है और हमेशा से जीवित चीजों के लिए हानिकारक रहा है। यहां पर शिखर पर जुलाई के समय में औसतन केवल -2 डिग्री फारेनहाइट (-19 डिग्री सेल्सियस) रहता है, इसके अलावा जनवरी में ऐवरेस्ट में सबसे ठंडा महीना होता है और इस समय औसत तापमान -33 डिग्री फारेनहाइट (-36 डिग्री सेल्सियस) रहता है और यह -76 डिग्री फारेनहाइट (-60 डिग्री सेल्सियस) तक भी गिर सकता है। माउंट एवरेस्ट पर्वत के निचले हिस्सों में वन्यजीवों में मस्क हिरण, जंगली याक, लाल पांडा, बर्फ तेंदुए और हिमालयी काले भालू कम ऊंचाई में रहते हैं। हिमालयी थार, हिरण, लंगूर बंदर, खरगोश, पर्वत लोमड़ी, मार्टन और हिमालयी भेड़िये भी छोटी संख्यां में मौजूद हैं। एवरेस्ट इतना लंबा है और इसका वातावरण इतना गंभीर है कि यह इंसानों के रहने योग्य नहीं है, लेकिन माउंट एवरेस्ट पर्वत के नीचे कि घाटियों में तिब्बती भाषी लोगों रहते हैं। एक अनुमान के अनुसार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने में लगभग दो महीने लग जाते हैं।