नई दिल्ली। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष मनजिन्दर सिंह सिरसा और जनरल सकत्तर हरमीत सिंह कालका ने बताया कि दिल्ली हाईकोर्ट ने 1984 के सिख कत्लेआम के दोषी नरेश शरावत के जमानत की अर्जी रद्द कर दी है। उन्होंने बताया कि इस दोषी ने मैडीकल आधार पर जमानत मांगी थी। सिख नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा है कि इस फैसले से उनका विश्वास न्यायपालिका में बढा है।
उन्होंने बताया कि नरेश शरावत जिसे मोदी सरकार द्वारा बनाई एस.आई.टी. ने उम्र कैद की सजा दिलवाई थी, अब वह जेल की सलाखों के पीछे है। दिल्ली कमेटी नेताओं ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अपनी सरकारों के समय अपने इन वफादार अपराधियों को बचाती रही है। जिसके कारण 34-35 साल बाद दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के दखल से मौजूदा सरकार ने सजा दिलवाई है। पर कांग्रेस पार्टी अभी भी इन दोषियों को जेल से बाहर लाना चाहती है।
श्री सिरसा और कालका ने बताया कि बीते दिनों नरेश शरावत के वकील ने अदालत में अर्जी डाली थी कि दोषी का लीवर खराब है और वह चलने व बोलने में सक्षम नहीं है और न ही वह ठीेक तरह से भोजन कर रहा है लेकिन जेल मंे अपराधी का ईलाज कर रहे डाक्टर ने उसकी पोल यह कहकर खोल दी कि ऐसी उसको कोई भी समस्या नहीं है उसका ईलाज जेल में सही तरीके से हो रहा है। इस पर दोषी के वकील ने सरकारी हस्पताल से सेकेंड ओपीनियन लेने की बात की थी जिसकों आज की सुनवाई मंे मानयोग अदालत ने नामन्जूर कर दिया और शरावत की अंतरिम जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया।
दिल्ली कमेटी नेताओं ने अदालत के फैसले पर सतुष्टी जाहिर करते हुए कहा है कि यह कांग्रेस के मुंह पर तमाचा है जो अपराधियों को जेल से बाहर लाने में असफल हुई।