# महापौर आशा शर्मा की मौजूदगी में नगर निगम सभागार में आयोजित हुई स्कूलों के प्रधानाचार्य और अध्यापकों की कार्यशाला
# नगर आयुक्त दिनेश चंद्र ने गीला कूड़ा, सूखा कूड़ा और हानिकारक कूड़ा के पृथकीकरण का भी पढ़ाया पाठ
# यदि मिले हुए होम वर्क में लापरवाही बरतेंगे स्कूल तो निगम प्रशासन कर सकता है दंडित
सर्वप्रथम, नगर आयुक्त ने नगरीय ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन और हथालन नियम 2000 के अनुरूप केन्द्र सरकार ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन नियमावली 2016 और उप्र प्लास्टिक और अन्य जीव अनाशित कूड़ा-कचरा उपयोग और निस्तारण का विनियमन संशोधन अध्यादेश 2018 की धाराओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए प्लास्टिक के दुष्परिणाम व अधिनियम की सुसंगत धाराओं से अवगत कराया। जिनमें प्रतिबन्धित प्लास्टिक-पालिथीन निर्मित कैरी बेग, गिलास, चम्मच, कप-प्लेट आदि का प्रयोग करने पर अर्थदण्ड एवं कारावास आदि का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त, यह भी अवगत कराया गया कि गत 2 अक्टूबर से उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्लास्टिक-पालिथीन पर पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध भी लगा दिया गया है।
बैठक में उपस्थित सभी लोगों को ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन नियमावली 2016 के अन्तर्गत सुसंगत धाराओं के बारे में व्यवहारिक रूप से अवगत कराया गया। साथ ही, यह भी बताया गया कि सॉलिड वेस्ट तीन प्रकार का होता है-गीला कूड़ा, सूखा कूड़ा यानी कि रिसाइकलेबिल और हानिकारक कूड़ा।
इस दौरान बताया गया कि ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन नियमावली 2016 के अन्तर्गत समस्त ऐसे बल्क वेस्ट जनरेटर यथा- केन्द्र सरकार, राज्य सरकार के विभाग अथवा उपक्रमों, स्थानीय निकायों, सार्वजनिक या प्राइवेट सेक्टर की कम्पनियों, अस्पतालों, नर्सिग होम, स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, शैक्षिक संस्थाओं, छात्रावासों, होटलों, बाजारों, पूजा स्थलों, स्टेडियमों और खेल परिसरों द्वारा अधिकृत भवन आदि जिनके द्वारा प्रतिदिन 100 कि.ग्रा. से अधिक कूड़ा उत्सर्जित किया जा रहा है, को ठोस अपशिष्ट प्रबन्धन नियमावली 2016 के प्रावधानों का अनिवार्य रूप से अनुपालन किया जाएगा।
इसके मुताबिक, उनका दायित्व है कि गीले कूड़े से अपने ही प्रांगण अथवा परिक्षेत्र में कम्पोस्ट व बायो-गैस बनायें। जबकि सूखे कूड़े को नगर निगम अथवा नगर निगम द्वारा प्राधिकृत संस्था को ही दिया जाये। सूखा व गीला कूड़ा एवं परिसंकटमय कूड़े को अलग-अलग कूड़ेदान में एकत्रित किया जाये। जबकि परिसंकटमय कूड़ा, सेनेट्ररी पैड अथवा डाईपर्स, निर्माण और विध्वंस सामग्री केवल प्राधिकृत कूड़ा एकत्र करने वाली संस्था को ही दिया जाये।
नगर आयुक्त ने सभी आगन्तुकों को बताया कि भारत एक आस्था प्रधान देश है जिसमें आये दिन विभिन्न आयोजन, भण्डारे आदि किये जाते हैं तथा उनमें प्रतिबन्धित प्लास्टिक, पालिथीन के बने कैरी बेग, गिलास, चम्मच, कप-प्लेट आदि का प्रयोग किया जाता है। इसलिए इस पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से बर्तन बैंक बनाकर आयोजनों व भण्डारों में स्टील आदि के बर्तनों का प्रयोग किया जाये, जैसे कि गुरूद्वारों में किया जाता है।
इस बैठक में उपस्थित लगभग 45 स्कूलों में क्रमशः केन्द्रीय विद्यालय कमला नेहरू नगर, डा भीमराव अम्बेडकर जूनियर हाईस्कूल रजापुर, शताब्दी पब्लिक स्कूल सैक्टर 23 राजनगर, सेन्टमेरी कॉनवेन्ट स्कूल शास्त्रीनगर, अमेटी स्कूल वसुन्धरा, सी.एस.एच.पी. पब्लिक स्कूल प्रताप विहार, सेंट टेरिसा कॉनवेन्ट स्कूल सर्वोदयनगर, देहरादून पब्लिक स्कूल गाजियाबाद, प्राथमिक विद्यालय अम्बेडकर नगर, गीतान्जली पब्लिक स्कूल कविनगर आदि के प्रधानाचार्यों और अध्यापकों को नगर निगम के अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार और नोडल अधिकारी एसबीएम अरूण कुमार मिश्रा को पॉलिथीन का प्रयोग न करने तथा अपने आस-पास प्लास्टिक व पॉलिथीन का प्रयोग न होने दिये जाने के सम्बन्ध में शपथ भी दिलायी गयी। बैठक में उपस्थित सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यशाला का समापन किया गया।