#परिवार के सात सदस्य खो चुके सरदूल सिंह को 35 साल बाद न्याय मिलने की उम्मीद जगी
#दिल्ली कमेटी दोषीओं को फांसी की सज़ा देने की मांग करेगी
दिल्लीः 1984 के सिख कत्लेआम में परिवार के सात सदस्यों को खो चुके स सरदूल सिंह को आज उस समय इंसाफ की आस बंधी है जब कड़कड़डुमा अदालत ने 12 दोषीओं के खिलाफ आरोप तय किए।
आज यहां पत्रकारों से बात करते हुए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लीगल सैल के चेयरमैन स जगदीप सिंह काहलों ने बताया कि 1984 के सिख कत्लेआम दौरान एक परिवार के सात सदस्यों के कत्ल के दोष में माननीय जज जगदीश कुमार की कड़कड़डुमा अदालत की द्वारा धारा 302ए 201ए 396ए 436ए 120बी 144ए 147ए 148 अधीन दोष तय किए गये हैं। उन्होंने बताया कि इससे परिवार के बचे एक सदस्य सरदूल सिंह को 35 साल बाद इनसाफ मिलने की आस बंधी है।
केस का विवरण देते हुए स काहलों ने बताया कि इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1984 में दिल्ली में हुए सिख कत्लेआम दौरान यमुनापार छज्जू काॅलोनी के बाबरपुरए शाहदरा इलाके में सरदूल सिंह के परिवर के सात सदस्यों जिनमें उनके माता.पिताए भाई और चार बहनों को बड़ी बेरहमी से मिट्टी का तेल डाल कर जला दिया गया था और सरदूल सिंह ने भाग कर एक पुरानी ईमारत में छुप कर जानबचायी थी।
उन्होंने बताया कि सरदूल सिंह 12 नवंबर 1984 को थाना शाहदरा में शिकायत दर्ज करवाने के लिए गये थे परन्तु वहां के एस आई तुलसी राम ने दोषी वरिंदर सिंह व दोषीओं को जब थाने में बुलाया तो वरिंदर के पास उस समय हथियार था। इन लोगों ने एस आई के साथ मिल कर सरदूल सिंह को धमका कर दस्तखत करवा लिये थे कि उस की कोई शिकायत नहीं है। इस के पश्चात 19 सितंबर 1985 को सरदूल सिंह ने जस्टिस रंगानाथ कमिशन के पास अपना हलफीया बयान दिया था। जिसके अधीन कमिशन की सिफारिश पर 1991 में इन 12 दोषीओं के विरुद्ध एफ आई आर दर्ज हुई थी लेकिन उस के बावजूद दोषीओं के विरुद्ध कोई कारवाई नहीं की गई। यहां तक कि पुलिस ने चलान भी नहीं पेश किया क्योंकि उस समय की सरकार ने पहले कत्लेआम करवाया फिर दोषीओं को बचाने की पूरी मदद की।
स काहलों ने बताया कि 2015 में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के दखल से मोदी सरकार ने एस आई टी गठित कर 1984 सिख कत्लेआम के केस की जांच करने के लिए कहा था। जिस पर एस आई टी ने अपनी जांच के दौरान इन कातिलों के विरुद्ध चलान पेश करवा कर कारवाई में तेज़ी लाई।
उन्होंने कहा कि एस आई टी की इन मामलों के प्रति दिखाई गंभीरता की वजह से और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के वकील स गुरबख्श सिंह और स हरप्रीत सिंह होरा के प्रयास द्वारा इन दोषीओं पर आज दोष तय हुए हैं और 35 साल बाद न्याय मिलने कीआस बंधी है।
दिल्ली कमेटी के लीगल सैल के चेयरमैन स काहलों ने यह भी बताया कि 12 दोषीओं में 4 की मौत हो चुकी है और 8 दोषी बचे हैं।जिनको हम अभी इनके द्वारा 1984 में किये बेरहमी से कत्लों में ज्यादा से ज्यादा सज़ा दिलायेंगे और हमें उम्मीद है कि माननीय अदालत इनको फांसी की सज़ा ज़रुर सुनायेगी। उन्होंने बताया कि इस केस की अगली सुनवाई 29, 30 और 31 अगस्त को होगी।