(बाल मुकुन्द ओझा)
पानी और गर्मी का चोली दामन का साथ है। देश में गर्मी के कहर ने लोगों को व्याकुल कर दिया है। अनेक हिस्सों में पारा 50 डिग्री को पार कर गया है। गर्मी के रौद्र रूप धारण करते ही पानी ने भी लोगों को रुलाना शुरू कर दिया है। गर्मी और पानी की दोहरी मार से आमजन का जीवन संकट में फंस गया है। सरकार के लाख जतन के बाद भी साफ पेयजल सुलभ करना भारी मुसीबत बना हुआ है। शहर तो शहर, ग्रामीण क्षेत्र भी पेयजल अभाव के घोर संकट से ग्रस्त हैं। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल संकट की बानगी यह है कि गर्मी शुरू होते ही, भूजल स्तर में भारी गिरावट के साथ पानी की किल्लत शुरू हो जाती है। भारत में आज भी लगभग 17 लाख ग्रामीण क्षेत्रों में से लगभग 78 फीसद में ही पानी की न्यूनतम आवश्यक मात्रा पहुंच सकी है। देश के 45 हजार गांवों को नल-जल और हैंडपंपों की सुविधा मिली है लेकिन आज भी 19 हजार गांव ऐसे हैं जहां लोगों की पीने का साफ पानी नहीं मिल रहा है। भारत सरकार की ऑडिट रिपोर्ट 2018 में कहा गया था कि सरकारी योजनाएं प्रति दिन प्रति व्यक्ति को सुरक्षित पेयजल की दो बाल्टी प्रदान करने में विफल रही हैं, जो कि निर्धारित लक्ष्य का आधा था। रिपोर्ट में कहा गया कि खराब निष्पादन और घटिया प्रबंधन के चलते सारी योजनाएं अपने लक्ष्य से दूर होती गईं। वर्ष 2017 तक परियोजना की कुल राशि 89,956 करोड़ रुपये का 90 प्रतिशत हिस्सा खर्च करने के बावजूद यह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में बहुत दूर है। जिस देश में पीने के साफ पानी के लिए लोगों को दर दर भटकना पड़ता है वहां की स्थिति का है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 16 करोड़ लोगों को आज भी साफ पानी नहीं मिल रहा है। करीब 3.77 करोड़ लोग हर साल दूषित पानी के इस्तेमाल से बीमार पड़ते हैं।
वैश्विक संस्थाओं की लगातार चेतावनियों का लगता है लोगों पर कोई असर नहीं पड़ा है। विभिन्न संगठनों की पानी सम्बन्धी रिपोर्टों में साफ कहा गया है की भूगर्भ में अब पानी नहीं रहा है और वर्षात का पानी सहेजने में हम नकारा साबित हुए है। विशेषकर भारत में पानी के प्रति घोर लापरवाही का परिणाम आम आदमी को शीघ्र भुगतना होगा। दुनियाभर में 200 करोड़ से ज्यादा लोग साफ पानी और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं।
गर्मी का मौसम आते ही पानी का लेवल नीचे खिसकने से पेयजल की समस्या गंभीर हो गई है। मौसम की तपिश जैसे-जैसे बढ़ रही है, वैसे-वैसे समस्या गंभीर होती जा रही है। प्रतिवर्ष हो रहे तापमान में वृद्धि तथा समय पूर्व बढ़े मौसम की तपिश से हालात अभी से ही गंभीर हो गए हैं। देश इस समय भीषण जल संकट से गुजर रहा है और इस आसन्न संकट पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो हालत बदतर होने की सम्भावना है। भारत अब तक के सबसे बड़े जल संकट से जूझ रहा है। देश के करीब 60 करोड़ लोग पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। करीब 75 प्रतिशत घरों में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। साथ ही, देश में करीब 70 प्रतिशत पानी पीने लायक नहीं है। साफ और सुरक्षित पानी नहीं मिलने की वजह से हर साल करीब दो लाख लोगों की मौत होती है। पृथ्वी पर कुल जल का अढ़ाई प्रतिशत भाग ही पीने के योग्य है। इनमें से 89 प्रतिशत पानी कृषि कार्यों एवं 6 प्रतिशत पानी उद्योग कार्यों पर खर्च हो जाता है। शेष 5 प्रतिशत पानी ही पेयजल पर खर्च होता है। यही जल हमारी जिन्दगानी को संवारता है।
यूएचओ के अनुसार, भारत में लगभग सत्तानवे लाख लोगों को पीने के पानी के स्वच्छ स्रोत प्राप्त नहीं है। यदि यह आंकड़ा सही है तो यह हमारे लिए बेहद दुखदाई और कष्टकारी है। धरती प्यासी है और जल प्रबंधन के लिए कोई ठोस प्रभावी नीति नहीं होने से, हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। जल जीवन का सबसे आवश्यक घटक है और जीविका के लिए महत्वपूर्ण है। यह समृद्र, नदी, तालाब, पोखर, कुआं, नहर इत्यादि में पाया जाता है।
सरकार को जनता में जागरूकता लाने के लिए विशेष प्रबन्ध और उपाय करने होंगे। है। आम आदमी को जल संरक्षण एवं समझाइश के माध्यम से पानी की बचत का सन्देश देना होगा। वर्षा की अनियमितता और भूजल दोहन के कारण भी पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। आवश्यकता इस बात की है कि हम जल के महत्व को समझे और एक-एक बूंद पानी का संरक्षण करें तभी लोगों की प्यास बुझाई जा सकेगी।