अति-उत्साह से गुड़-गोबर

पाकिस्तान स्थित करतारपुर साहब गुरूद्वारा तक भारतीय श्रद्धालुओं को आने-जाने की इजाजत दिलाने के लिये कांग्रेस नेता व पंजाब सरकार के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू की ओर से जिस तरह का अति-उत्साह दिखाया जा रहा है उससे वाकई अब गुड़-गोबर की स्थिति बनती दिख रही है। वर्ना जिस तरह से आंतरिक राजनीति में संतुलन साधते हुए मोदी सरकार ने सिद्ध को आगे करके पाकिस्तान के मसले पर सटीक चाल चली थी उसकी सफलता के लिये आवश्यक था कि वे खामोशी से परे मामले का मजाहिरा। करते। वैसे भी उन्होंने अपने हिस्से का काम पूरा कर ही दिया था और अब अगली चाल पाकिस्तान को चलनी थी जिसको लेकर उसके दिमाग की दही हो रही थी। लेकिन सिद्ध ने पाकिस्तान की कमजोरियों का राजनीतिक लाभ लेने के लिये जिस तरह की बचकानी हरकतें की हैं उससे पूरा गुड़-गोबर होता दिख रहा है और उनको आगे करके सरकार द्वारा विदेश नीति के मोर्चे पर की गई पूरी कवायद पर पानी फिरने के आसार उत्पन्न हो गए हैं। यह सिद्ध की बचकानी हरकतों व अति-उत्साह का ही नतीजा है कि सत्तारूढ़ भाजपा से लेकर राजग के घटक व समर्थक दल भी उनसे बुरी तरह चिढ़ गए हैं। और जहां एक ओर अकाली दल के कोटे से केन्द्र में मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने सिद्ध को नीचा दिखाने में कोई कोताही नहीं बरती है वहीं दूसरी ओर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के हवाले से भाजपा ने भी सिद्धू की जमकर खबर लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। वास्तव में अब यह बात खुलकर सामने आ ही गई है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिये सिद्धू को भारतीय विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने ही इजाजत दी थी लेकिन सिद्धू को तोते की तरह रटाकर व समझाबुझाकर जिन शर्ती व नसीहतों के साथ पाकिस्तान भेजा गया था उसकी। उन्होंने वाकई धज्जियां उड़ा दीं और अब करतारपुर मामले में वे पाकिस्तान के पक्ष में बोलकर भारत के हितों को कमजोर कर रहे हैं। पाकिस्तान यात्रा के दौरान सिद्ध का वहां के सेना प्रमुख कमर जावेद बावजा के गले लगना खास तौर से पूरे देश को बेहद नागवार गुजरा और इसके लिये उन्हें जमकर झाड़ भी पिलाई और खूब खिंचाई भी हुई। लेकिन सिद्धू ने यह कहकर सबको चुप करा दिया कि वाजवा ने उनसे करतारपुर कॉरीडोर खोलने का वायदा किया और इसी वजह से उन्होंने उसके गले लगकर उसका धन्यवाद। किया। वास्तव में देखा जाये तो करतारपर कॉरीडोर को लेकर आजादी के बाद से ही देश की तमाम सरकारें पाकिस्तान से बातचीत करती रही हैं। लेकिन पाक ने कभी इस भावना का सम्मान नहीं किया और यहां तक कि बंटवारे और आजादी के बाद दोनों देशों के बीच श्रद्धालुओं को बेरोकटोक आने-जाने की इजाजत देने का जो समझौता हुआ था उसका भी पाकिस्तान ने कभी अनुपालन नहीं किया। लेकिन पता नहीं वाजवा ने सिद्धू को क्या कह दिया और सिद्ध ने इसका क्या मतलब समझ लिया कि अब वेराजनीतिक लाभ के लिये सिद्ध करतारपुर कॉरीडोर के मामले में देश हित के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। दरअसल सिखों के पहले गुरू गुरूनानक देव के निवास स्थान करतारपुर साहिब गुरूद्वारा जाकर अरदास करने की ख्वाहिश निवास स्थान करतारपुर साहिब गुरूद्वारा जाकर अरदास करने की ख्वाहिश रखने वालों को देश की आजाद के बाद से ही मायूसी हाथ लगती आ रही । है और भारत के लोग सरहद पर से ही दूरबीन के सहारे उस पवित्र स्थान का दर्शन करते रहे हैं जहां गुरूनानक देव ने देह त्याग किया था। सिद्धू की मानें तो उनकी पाकिस्तान यात्रा के दौरान बाजवा ने उन्हें वादा किया कि गुरूनानक देव के 500वें प्रकाश पर्व के मौके पर भारतीय श्रद्धालुओं के लिये वीजा की बंदिशें हटा ली जाएंगी और उन्हें करतारपुर साहेब आकर अरदास करने की छूट दी जाएगी। हालांकि सिद्ध की बातों की पुष्टि पाक के हुक्मरानों ने भी अनौपचारिक तौर पर की है लेकिन भारत सरकार को अभी तक इसके बारे में पड़ोसी मुल्क की ओर से कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। खैर यह मसला लंबे समय से लंबित है और जिस तरह का दबाव पाक पर बना हुआ है उसमें संभावित है कि वह दुनिया को दिखाने के लिये अपनी ओर से एकतरफा पहल करते हुए एक-दो दिन के लिये श्रद्धालुओं को वहां जाने की इजाजत भी दे दे। लेकिन इस संभावना को भुनाने के लिये सिद्धू ने जिस तरह की हरकत की है वह वाकई बेहद शर्मनाक है। पूरे मामले का राजनीतिक लाभ लेने और भारत सरकार की ओर से पाक पर बनाए गए दबाव के साथ खिलवाड़ करने के क्रम में सिद्धू ने कैसी बचकानी हरकत की है उसे इसी बात से समझा जा सकता है कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री व कांग्रेस के राज्यसभा सांसद एमएस गिल ने कल सुषमा स्वराज से मुलाकात का समय मांगा जबकि मिलने के लिये गिल के साथ सिद्भू भी सुषमा के पास पहुंच गए। इस मुलाकात में सिद्ध अपने साथ एक फोटोग्राफर को भी ले गये थे ताकि बाद में दुनिया को बता सकें कि उनके कहने पर ही भारत सरकार पाक के साथ संबंध सुधारने और करतारपुर साहेब का दरवाजा खुलवाने की पहल कर रही है। सिद्धू का यही अति-उत्साह सुषमा को बेहद नागवार गुजरा और उन्होंने यह कहते हुए उन्हें कड़ी फटकार लगाई कि जब वे बाजवा के गले लग रहे थे तब उन्हें एक बार भी इस बात का ख्याल क्यों नहीं आया कि उसके ही इशारे पर रोजाना हमारे सैनिक शहीद होते हैं, बच्चे अनाथ होते हैं और औरतें विधवा होती हैं। सिद्ध को पाक जाने की इजाजत सुषमा ने अवश्य दी थी लेकिन इसके साथ उनके सामने तीन शर्ते भी रख दी गई थीं कि अव्वल तो वे वहां अति-उत्साह नहीं दिखाएंगे। और दूसरे ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे जिससे देश की भावना आहत हो। साथ ही उन्हें सुषमा ने हमेशा यह बाद अपने दिमाग में रखने की हिदायत दी थी कि उन्हें लौटकर भारत ही आना है और यही उनका अपना देश है। लेकिन सिद्ध ने वाजवा से गले मिलने के लिये जिस करतारपुर कॉरीडोर का झूठ फैलाने की कोशिश की और अब इस मसले का राजनीतिक लाभ लेने का प्रयास कर रहे हैं वह वाकई बेहद दुखद और शर्मनाक है। सिद्ध को समझना चाहिये कि विदेश नीति का मसला दलगत राजनीति से बहुत ऊपर होता है। और यह दो देशों के बीच हितों के संतुलन पर टिका होता है जिसमें भारतीय नागरिक होने के नाते उनका फर्ज भारत का हित सुरक्षित करना है। लेकिन ऐसे संवेदनशील मामले पर राजनीतिक श्रेय बटोरने की कोशिश करके वाकई उन्होंने बेहद शर्मनाक तस्वीर प्रस्तत की है जिससे उनकी वह मेहनत जाया होती हुई दिख रही है जो उन्होंने कथित शांति दूत के रूप में पाक जाकर की थी।