एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ दायर हुई एक और याचिका, सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को तैयार ।

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को एससी-एसटी अत्याचार निवारण (संशोधन) कानून 2018 के खिलाफ एक और याचिका दायर की गई है. कोर्ट आरक्षण संघर्ष समन्वय समिति की इस याचिका पर सुनवाई को तैयार हो गया है. कोर्ट इस अपील को पहले से दायर मेन पेटिशन के साथ ही सुनेगा. एससी पेटिशन के साथ ही सुनेगा. एससीएसटी संशोधन के माध्यम से जोड़े गए नए कानून 2018 में नए प्रावधान 18 के लागू होने से दलितों को सताने के मामले में तत्काल गिरफ्तारी होगी और अग्रिम जमानत भी नहीं मिल पाएगी. याचिका में नए कानून को असंवैधानिक घोषित करने की मांग की गई है. केंद्र को देना है 6 हफ्ते में जवाब इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते में जवाब मांगा था. जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न कानून के अमल पर रोक लगाई जाए. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कानून के अमल पर रोक लगाने की मांग की थी, जिस पर पीठ ने कहा कि बिना सरकार का पक्ष सुने कानून के अमल पर रोक नहीं लगाई जा सकती. कोर्ट ने तत्काल गिरफ्तारी पर लगाई थी रोक सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च 2018 को दिए फैसले में एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग पर एससी-एसटी कानून के दुरुपयोग पर चिंता जताते हुए दिशा-निर्देश जारी किए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून में शिकायत मिलने के बाद तुरंत मामला दर्ज नहीं होगा. डीएसपी पहले शिकायत की प्रारंभिक जांच करके पता लगाएगा कि मामला झूठा या दुर्भावना से प्रेरित अलावा इस कानून में एफआईआर दर्ज तो नहीं है. इसके अलावा इस कानून में एफआईआर दर्ज होने के बाद अभियुक्त को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा. सरकार के संशोधन कानून को दी गई है चुनौती पहले वाली याचिका दो वकीलों-प्रिया शर्मा, पृथ्वी राज चौहान और एक ने दायर की थी.