रोबोट करेगा गुर्दा प्रत्यारोपण
नई दिल्ली, 19 दिसंबर, 2018: मैक्स हॉस्पिटल, साकेत के यूरोलॉजी एवं रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग ने गुर्दा प्रत्यारोपण के क्षेत्र में शल्य चिकित्सा में हुई प्रगति पर चर्चा करने के लिए मैक्स ट्रांसप्लांट-सर्जिकॉन 2018 आयोजित किया। यह सम्मेलन विशेष रूप से गुर्दा प्रत्यारोपण के क्षेत्र में हो रही सर्जिकल प्रगति के लिए समर्पित था। इस सम्मेलन के दौरान एक लाइव सर्जरी का प्रदर्शन करके ऑपरेशन से जुड़ी जटिलताओं के प्रबंधन पर भी फोकस डाला गया। इस दो दिवसीय सम्मेलन में पूरे देश के अग्रणी चिकित्सकों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम के दौरान गुर्दे की बीमारियों के प्रबंधन के लिए नवीनतम प्रवृत्तियों और उपचार विकल्पों पर विभिन्न प्रतिष्ठित वक्ताओं ने जानकारी दी और अपने अनुभव को साझा किया।

मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के यूरोलॉजी, रेनल ट्रांसप्लांट, रोबोटिक्स और यूरो-ओन्कोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनंत कुमार का कहना है कि , ‘‘पिछले कुछ सालों में, गुर्दा प्रत्यारोपण और अंग सहायता के क्षेत्र में नवाचारों और प्रौद्योगिकियों के मामले में कई प्रगति हुई है। रोबोट की मदद से किए जाने वाला गुर्दा प्रत्यारोपण बेहद उपयोगी हो गया है क्योंकि इसमें मरीज बहुत जल्द स्वास्थ्य लाभ करता है, कम दर्द होता है, घाव जल्दी भर जाते हैं और ऑपरेशन के बहुत छोटे निशान रहते हैं। गुर्दा प्रत्यारोपण के लिए नियमित सर्जरी में रोगी की बड़ी मांसपेशी को काटकर गुर्दा प्रत्यारोपण किया जाता है जबकि इसके विपरीत रोबोटिक सर्जरी में केवल एक छोटा चीरा लगाकर गुर्दा प्रत्यारोपण किया जाता है और मांसपेशियों को काटा नहीं जाता है। सर्जरी के दौरान खून का बहुत कम नुकसान होता है और मानव त्रुटि भी बहुत कम होती है।’’ 

रोबोट- असिस्टेड सर्जरी के कारण सर्जरी के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव हो रहा और यही वर्तमान में दुनिया भर में की जा रही है। इस तरह की सर्जरी में खून का बहुत कम नुकसान होता है, जल्द रिकवरी होती है, अस्पताल में बहुत कम समय तक रहना पड़ता है और रोगी बहुत जल्द सामान्य जीवन जीने लगता है। मैक्स हॉस्पिटल के वरिष्ठ ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. रुचिर महेश्वरी का कहना है कि, ‘‘हमारे देश में अंगों की मांग और आपूर्ति के बीच काफी विसंगति है। हर साल क्रोनिक किडनी फेल्योर के लगभग 2 लाख नए रोगी पंजीकृत होते हैं जबकि केवल 5000 प्रत्यारोपण सर्जरी ही की जाती है। दाताओं की अनुपलब्धता के अलावा, उपचार विकल्पों में प्रगति के बारे में लोगों के बीच जागरूकता की कमी इसका प्रमुख कारण है। आम तौर पर जब किसी व्यक्ति को एक गुर्दा दान करने के लिए कहा जाता है तो वे अपने स्वयं के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित हो जाते हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि एक गुर्दा दान करने से शारीरिक क्षमताओं, जीवन की गुणवत्ता या किसी व्यक्ति की दीर्घायु प्रभावित नहीं होती है।’’ 

इस सम्मेलन के दौरान विषेशज्ञों ने गुर्दा प्रत्यारोपण में नई उभरती हुई विधियों पर चर्चा की। उन्होंने कई नाडिय़ों में प्रत्यारोपण सर्जरी, मृत दाता से अंग लेने पर कानूनी समस्याएं, शव से प्रत्यारोपण में जटिलता, एबीओ असंगत गुर्दा प्रत्यारोपण को समझना, नए इम्युनोसप्रेसेंट की भूमिका, एवीएफ  के मामले में कठिन सर्जरी आदि पर भी चर्चा की। डॉ. अनंत ने कहा, ‘‘हम लेप्रोस्कोपिक तरीकों से भी दाता से गुर्दे को निकालते हैं ताकि दाता को न्यूनतम असुविधा हो और उत्कृष्ट कॉस्मेटिक परिणाम हो। अधिकांश लोगों में दूसरा, या यहां तक कि तीसरा प्रत्यारोपण भी हो सकता है। हालांकि, दूसरे प्रत्यारोपण के लिए आमतौर पर अधिक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। दूसरे प्रत्यारोपण की सफलता भी औसतन पहले प्रत्यारोपण जितनी ही अच्छी होती है। रोबोट-असिस्टेड गुर्दा प्रत्यारोपण की मदद से दूसरी प्रत्यारोपण सर्जरी करना अपेक्षाकृत आसान होता है।’’ लैप्रोस्कोपिक डोनर नेफ्रे क्टोमी और रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण का लाइव प्रदर्शन इस आयोजन की मुख्य विशेषताएं थी। रोबोटिक किडनी प्रत्यारोपण ओपन किडनी प्रत्यारोपण की विकृति को कम करने के लिए नई उभरती हुई प्रक्रिया है। यह मोटे रोगियों और युवा महिलाओं के लिए वरदान है।