*परशुराम-विक्रम* महाकाव्य का लोकार्पण






नई दिल्ली।   देववाणी परिषद् द्वारा राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान के सभागार में आयोजित भव्य कार्यक्रम में संस्थान के कुलपति प्रो.परमेश्वर नारायण शास्त्री ने  डा.सुधीकान्त भारद्धाज विरचित इक्कीस सर्गों के संस्कृत महाकाव्य "परशुरामविक्रमम्"का लोकार्पण किया। प्रो.शास्त्री ने कहा कि यह सुखद आश्चर्य का विषय है कि संस्कृत में आज भी महाकाव्य लिखे और पढ़े जा रहे हैं।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए परिषद् के अध्यक्ष डा. रमाकान्त शुक्ल ने महाकाव्य के कर्ता डा.भारद्वाज और हिन्दी अनुवादिका डा.कौशल्या भारद्वाज को उत्कृष्ट साहित्यिक साधना के लिए बधाई दी।

  इस अवसर पर देववाणीपरिषद् के त्रैमासिक पत्र "अर्वाचीनसंस्कृतम्"के इकतालीसवें वर्ष के द्वितीय अंक का लोकार्पण कर प्रो.शास्त्री ने उसकी प्रधम प्रति परिषद् की संरक्षिका रमा शुक्ला को भेंट की।

    लोकार्पित महाकाव्य की प्रतियां लगभग बीस विद्वानों को भेंट की गयीँ।श्री रामचंद्र देशवाल ने गणितीय चमत्कार प्रदर्शित कर श्रोताओं को आश्चर्यचकित कर दिया।प्रो.सेनापति और डा. सुकेश शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।