इस अवसर पर देववाणीपरिषद् के त्रैमासिक पत्र "अर्वाचीनसंस्कृतम्"के इकतालीसवें वर्ष के द्वितीय अंक का लोकार्पण कर प्रो.शास्त्री ने उसकी प्रधम प्रति परिषद् की संरक्षिका रमा शुक्ला को भेंट की।
लोकार्पित महाकाव्य की प्रतियां लगभग बीस विद्वानों को भेंट की गयीँ।श्री रामचंद्र देशवाल ने गणितीय चमत्कार प्रदर्शित कर श्रोताओं को आश्चर्यचकित कर दिया।प्रो.सेनापति और डा. सुकेश शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।