धोखा है पाकिस्तान का शांति पैगाम







              (देवानंद राय)

भारत में चुनावी सरगर्मियां से ज्यादा बेचैनी पाकिस्तान में थी.चुनाव से पहले हमारे कई तथाकथित पाक प्रेमी गैंग के नेता और बुद्धिजीवी इस प्रेम की पींगे बढ़ाने समय-समय पर पाक की ओर अपनी नापाक यात्रा करते रहे। जिनका मुख्य मकसद पाकिस्तान में जाकर हिंदुस्तानी सरकार की बुराई करना मोदी की आलोचना करना और चुनाव में सहायता की मांग करना। यह बात अब समझ से परे नहीं रह है कि पाकिस्तान कौन सा हेल्प दे रहा है ? इन पाक प्रेमी गैंग को| परंतु यह स्पष्ट है कि उनके नापाक हरकतों से देश को विदेशों में और विदेशी मीडिया में इनके इस प्रकार के कृत्यों से अक्सर देश को शर्मसार होना पड़ता है| पर हाल ही में चुनाव से लेकर चुनाव परिणाम आने तक पाक ने अपनी हेकड़ी दिखाने से बाज नहीं आया| भले ही उसके हाथ में भारत ने अपनी जबरदस्त रणनीति और कूटनीति के द्वारा कटोरा थमा दिया है|आज पाकिस्तान पूरे विश्व में भीख मांगने को दर-दर भटक रहा है पर चुनाव परिणाम आते ही पाकिस्तान ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा तथा भारत और कश्मीर मसले की समीक्षा करके और शाहीन-3 मिसाइल का परीक्षण कर कुछ ऐसा संदेश देने की कोशिश की कि वह अभी भी भारत से डरा नहीं है और ना ही एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक से कुछ सबक सीखा है|मिसाइल परीक्षण करके भारत को उसने परोक्ष रूप से अपने भीतर पल रहे शैतानी करतूतों की झलक दिखाने का प्रयास किया और साथ ही शांति वार्ता का प्रस्ताव देकर वही पुरानी गले मिलकर पीठ में छुरा घोंप ने वाली चाल चलने का प्रयास कर रहा है| परंतु चुनावी परिणाम कुछ ऐसा था कि विपक्ष से लेकर पड़ोसी पाकिस्तान भी भी सकते में हैं यही कारण है कि कल तक मिसाइल परीक्षण करने वाले लोग आज शांति का प्रस्ताव  लेकर पहुंच गए यही कारण है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री महमूद शाह कुरैशी से लेकर पाकिस्तानी पीएम इमरान तक खुले तौर पर भारत बातचीत और शांति का पैगाम भेजने में लगे हुए हैं। हमें इन पाकिस्तानियों के शांति संदेश के पैगाम को पूर्ण शांति नहीं मानना चाहिए यह कायर कभी भी पीठ पीछे वार कर सकता है।इतिहास गवाह है कि ऐसा कई बार हुआ है वर्ष 1997 में पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ के द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंद्र कुमार गुजराल के साथ शांति वार्ता का पहला प्रस्ताव दिया गया था तब से अब तक जाने कितने शांति वार्ता और न जाने कितने कबूतर उड़ाए गए ? पर बदले में हर बार हमें धोखा मिला| हमने अपने जवानों और लोगों को खोया। पाकिस्तान भी भारत के बढ़ते वैश्विक ताकत को समझ रहा है।पाकिस्तान को यह समझना चाहिए कि पूरे विश्व में उसकी छवि एक विफल राष्ट्र की तरह पहचाने जाने लगी है जो कभी भी कई खंडों में टूट सकता है।इस कारण अपनी धरती पर आतंकवादियों को पालने से कहीं बेहतर होगा कि वह अपने आवाम की भलाई पर ध्यान दें सही शिक्षा दे नाकि भारत विरोधी इतिहास पढ़ाये। मोदी जी तथा इमरान की मुलाकात अगले महीने होने वाली शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन(एससीओ) के शिखर सम्मेलन किर्गिस्तान में हो सकती है| चारों तरफ पहाड़ियों से घिरे किर्गिस्तान जिसके उत्तर में कजाकिस्तान, पश्चिम में उज्बेकिस्तान और दक्षिण पश्चिम में तजाकिस्तान है और इसके पूर्व में चीन है| यहां की राजधानी बिश्केक है। किर्गिस्तान में होने वाले शिखर सम्मेलन पाकिस्तान भारत और चीन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होने वाला है चीन भारत के बढ़ते वैश्विक ताकत से सशंकित हैं तो वहीं पाकिस्तान भारत से कई बार खाने के बाद बातचीत पर आगे बढ़ना चाहता है परंतु भारत को अपनी रणनीति और कूटनीति में जरा भी ढील नहीं देनी चाहिए क्योंकि यह दोनों पड़ोसी विश्वासपात्र नहीं है। क्योंकि सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बावजूद भी सीमा पर सीजफायर नहीं रुके और ना ही सीमा पार से गुपचुप तरीके से आतंकियों का घुसपैठ। अभी हाल ही में हमारी सेना ने एक मुख्य आतंकवादी को 72 हूरों के पास पहुंचा दिया फिर ऐसे माहौल में भारत कैसे पाकिस्तान के शांति पैगाम को अपना ले। एक तरफ पाक मीडिया का एक बड़ा अखबार भारत में मोदी की जीत को चिंता बताता है तो वहीं दूसरी ओर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के शुभकामना और शांति पैगाम को मतभेद खत्म करने में बड़ा कदम बताता है। यह दोहरा रवैया अब नहीं चलेगा जब आप एक तरफ चुनी ही सरकार पर संदेह करते हैं और एक थोपी गई सरकार के विचारों पर विश्वास करते हैं तो इस प्रकार शांति वार्ता से कोई फायदा नहीं होने वाला पाठ तथा पाक मीडिया और इस्लामिक फतवा निकालने वाले बुद्धिजीवी। पहले मोदी सरकार पर विश्वास करना सीखें फिर बातचीत का कदम बढ़ाए हाल ही में किर्गिस्तान के बिस्केक में 21 और 22 मई को आयोजित शंघाई सहयोग संगठन परिषद के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी पाक के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी ने भी भारतीय विदेश मंत्री सुषमा जी से भी शांति प्रस्ताव की बात कही। परंतु भारत को आतंकवाद पर "जीरो टॉलरेंस" की नीति पर रहते हुए पाकिस्तान को पहले अपने धरती से आतंकवाद खत्म करने को कहना चाहिए तभी बातचीत की प्रक्रिया आगे बढ़ानी चाहिए| पाकिस्तानी पीएम इमरान और कुरैशी पहले आतंकवाद रोके और सीमा पार पर होने वाली हर हफ्ते सीजफायर को रोके| यह किस तरह का खेल खेला जा रहा है कि पाकिस्तानी पीएम के प्रधानमंत्री को मोदी पर फोन करने के कुछ घंटे पहले ही पाकिस्तानी रेंजर्स के द्वारा रजौरी नौशेरा सेक्टर में गोलीबारी की गई| मार्च 2019 तक अब तक 60 बार सीजफायर तोड़ा जा चुका है| पाकिस्तान पहले अपने रवैए को सुधारें फिर बातचीत की पेशकश करें| पाकिस्तान खुद दिवालिया होने के कगार पर है वहां की सरकार कभी प्रधानमंत्री आवास की लग्जरी कारें बेचती है तो कभी अपने सबसे बड़े बैंक का गवर्नर बदलती है ताकि उनके देश की हालत पतली होने से बचे और कर्ज मिल सके पर इन सबके बावजूद वे अपने रक्षा बजट में कटौती नहीं कर रहे हैं भारत का भय दिखाकर जनता से भरपूर टैक्स वसूल कर वहां के जनरल खूब मौज कर रहे हैं। जो लोग आतंकवादियों के महिमामंडन के नाम पर डाक टिकट जारी करते हैं और भारत से उम्मीद करते हैं कि हम बातचीत करेंगे और बदले में पीछे से गोले डालते रहेंगे तो वह अब नहीं होने वाला यह नया भारत है जो बातचीत कम एक्शन ज्यादा लेता है और जरूरत पड़ने पर घर में घुसकर मारता भी है पाकिस्तान और भारत के ग्लोबल पावर को भलीभांति समझ चुका है इस कारण वह इस प्रकार के शांति प्रस्ताव लाकर पूरे विश्व में अपनी सहानुभूति पाना चाहता है और दूसरा उसका पैंतरा यह भी है कि वर्तमान में भारत को नजरअंदाज करना मतलब पूरे विश्व में खुद को नजरअंदाज कर जाना होगा।भारत को वर्तमान में आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर कायम रहना चाहिए तभी पाकिस्तान के अकल ठिकाने लगेंगे।