सुख और दुःख का साथी है संगीत

(बाल मुकुन्द ओझा)


जिस प्रकार हमारा मन और शरीर आत्मा के बिना अधूरा हैं उसी प्रकार जीवन भी संगीत के बिना अधूरा हैं। संगीत मनुष्य जीवन का एक अभिन्न अंग है जो हमारे कण कण में रचा बसा है। संगीत गायन, वादन व नृत्य का आकर्षक और मनमोहक समावेश है। लोगों को संगीत के प्रति जागरूक करने के लिए 21 जून को संगीत दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीय और पश्चिमी संगीतकारों को उनकी प्रतिभा प्रदर्शित करने का बहुउद्देशीय मंच उपलब्ध कराता है। विश्व संगीत दिवस को 'फेटे डी ला म्यूजिक'के नाम से भी जाना जाता है। इसका अर्थ म्यूजिक फेस्टिवल है। इसकी शुरुआत 1982 में फ्रांस में हुई। इसको मनाने का उद्देश्य अलग-अलग तरीके से म्यूजिक का प्रोपेगैंडा तैयार करने के अलावे एक्सपर्ट व नए कलाकारों को एक मंच पर लाना है। विश्व भर में इस दिन संगीत और ललित कला को प्रोत्साहित करने वाले कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
संगीत वह बात व्यक्त कर देता है जिसे बोला नहीं जा सकता और जिस पर चुप भी नहीं रहा जा सकता। यह भावनाओं की अभिव्यक्ति का द्रुत माध्यम है। संगीत सुख और दुःख दोनों में व्यक्ति का हमारा साथ निभाता है। संगीत दुःखी से दुःखी व्यक्ति को खुश कर देता है। संगीत आनंद की अनुभूति प्रदान करता है। इसीलिए कहा जाता है संगीत कल्याणकारी व मंगलकारी है। संगीत हमारा मनोरंजन करने के साथ सुकून भी देता है।
जीवन में संगीत का बहुत महत्व है। संगीत से हमारे कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है। संगीत शारीरिक और मानसिक रुप से स्वस्थ रखता है। जीवन में खुश और व्यस्त रहने के लिए संगीत सबसे अच्छा तरीका है। संगीत ध्यान और योग से अधिक है, क्योंकि यह हमारे शरीर और दिमाग दोनों को लाभ पहुँचाता है। संगीत भगवान द्वारा दिया गया उपहार है। यह स्वस्थ और सुखी जीवन का रहस्य है। संगीत लिए प्राण वायु ऑक्सीजन की तरह है। बिना संगीत के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। यह तनाव मुक्त होने और मस्तिष्क को आराम प्रदान करने में मदद करने के साथ ही जीवन में कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित करता है। संगीत की प्रकृति प्रोत्साहन और बढ़ावा देने की है, जो सभी नकारात्मक विचारों को हटाकर मनुष्य की एकाग्रता की शक्ति को बढ़ता है। पीड़ित व्यक्ति के लिए संगीत उस रामबाण औषधि की तरह है, जिसका श्रवण पान करते ही तात्कालिक शांति मिलती है।मानव का संगीत के प्रति स्वाभाविक प्रेम ही इस बात का प्रमाण है कि वह कोई नैसर्गिक तत्त्व और प्रक्रिया है।
वर्तमान में संगीत के प्रभाव से मनुष्य की व्याधियों का उपचार करने का प्रयोग भी होने लगा है। कई माताएं अपने बच्चों को खाना खिलने के लिए संगीत का सहारा लेती है। दिल की धड़कनों में भी सुर होता है, गम में और खुशी में उनकी धड़कने की लय अलग-अलग होती है। संगीत के बिना इस संसार में इंसान मात्र एक मशीन होता। सारे भाव क्रोध, दुःख, सुख, अध्यात्म सबके तार संगीत से ही जुड़े हैं। संगीत वह कला है जिसके द्वारा इंसान अपने ह्रदय के सूक्ष्म भावों को स्वर और लय की सहायता से सुन्दर रूप में प्रकट करता है ।
जीवन में संगीत के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों को भी संगीत से अथाह स्नेह है। संगीत न केवल मानव को मानसिक शांति प्रदान करता हैबल्कि शारीरिक चैन देने में भी बहुत प्रभावी भूमिका अदा करता है। हमारे जीवन में संगीत का महत्व हैं। जब मनुष्य अकेला महसूस करता है तब संगीत सुन लेता हैं, जब मन दुखी हो तब संगीत सुन लेते हैं, जब किसी की याद आती है तब संगीत सुन लेते हैं। सुख दुःख के हर क्षण में संगीत का अप्रतिम योगदान है। व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने का हौसला भी संगीत प्रदान करता है। जीवन के अंतिम क्षणों में भी हम संगीत का प्रयोग करते है।
संगीत ऐसा शुद्ध मनोरंजन है जो तनाव का विसर्जन करके गहन शांति प्रदान करता है । संगीत ऐसा सामंजस्य पूर्ण होता है कि हम उसे हर मूड में पसंद करते है । अत्यधिक खुशी में तेज संगीत तो उदासी के समय गजलें, रूमानी मूड में प्रेम संगीत तो धार्मिक भावना होने पर भक्ति संगीत। संगीत ऐसा सात्विक आनंद है जो जाति, धर्म, लिंग, आयु, वर्ग सभी से परे है। संगीत मनुष्य के जीवन में बिना किसी भेदभाव के आनंद की अनुभूति उत्पन्न करता है। इसीलिए संगीत को संजीवनी भी कहा जाता है।