धरती पर भगवान का दूसरा रुप डॉक्टर




                              1 जुलाई डॉक्टर दिवस

(देवानंद राय)

हमारे गौरवशाली सनातन संस्कृति में स्वास्थ्य को अमूल्य धन बताया गया है तो वही अंग्रेजी में एक कहावत है कि अपने शरीर का सही ढंग से देखभाल करें क्योंकि यही तो वह जगह है जहां आप रहते हो पर कभी-कभार जब हमारी सेहत खराब होती है तो हमें डॉक्टर की याद आती है हमारे देश में डॉक्टरों को भगवान का दूसरा रूप कहा गया है डॉक्टर को उनके सेवा भाव और समर्पण को सम्मान देते हैं 1 जुलाई को राष्ट्रीय चिकित्सा दिवस के रूप में मनाया जाता है यह दिन इसलिए भी यादगार है और सम्मान देने के लिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भारत के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ बिधान चंद्र राय जी का जन्मदिन और पुण्यतिथि है विधान चंद्र राय जी को लोग प्यार से बीसी राय के नाम से भी जानते तथा पुकारते थे। डॉ बिधान चंद्र राय का जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था। वह 1948 से लेकर 1962 तक बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री भी रहे उन्होंने बंगाल के 5 शहरों की स्थापना की जो आज बंगाल के बड़े शहरों में गिने जाते हैं जिनमें दुर्गापुर, बिधाननगर, अशोकनगर और हावड़ा शामिल है इस कारण उन्हें बंगाल का आर्किटेक्ट भी कहा जाता है| 4 फरवरी 1961 में उन्हें भारत के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया वैसे दुनिया के अलग-अलग देशों में अलग-अलग तिथियों पर डॉक्टर से डे मनाने का चलन है जैसे अमेरिका में 30 मार्च को यह दिवस मनाया जाता है|दिन प्रतिदिन मेडिकल साइंस की तरक्की और तेजी से बढ़ता जा रहा है और हर रोग हर असाध्य रोग की निदान की उम्मीद है बढ़ा रहा है तो वही डॉक्टर की खुद की भी चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं अपने देश में जरूरी संसाधनों की कमी और डॉक्टरों की कमी नहीं दूसरों को रोग से बचाने वाला डॉक्टर अब खुद ब्लड प्रेशर और डायबिटीज आदि रोगों का शिकार होने लगा है| आज भी सरकारी अस्पतालों में भीड़ इतनी ही है जितनी पहले हुआ करती थी पर भीड़ बढ़ने के साथ डॉक्टरों की संख्या में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई और ना ही उसके अनुरूप वेदों की संख्या बढ़ी नतीजा सभी मरीजों को देख पाने का समय ही नहीं रहता डॉक्टरों के पास सरकार को इन दो बिंदुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए| बदलते नैतिक मूल्य और बदलते भौतिकवादी समय की छाप डाक्टरों तथा डॉक्टरी पेशे पर भी पड़ी है अब यह पैसा सेवा और समर्पण के जगह व्यवसायीकरण की ओर बढ़ रहा है| परंतु फिर भी आज भी ऐसे अनेक डॉक्टर है जो अपने निस्वार्थ और निशुल्क सेवा भाव से इस पेशे की गरिमा को बचाए हुए हैं उनमें से एक है डॉक्टर एनके सिंह जिन्होंने अपने 31 वर्ष के कैरियर में 13600 से अधिक निशुल्क सर्जरी कर चुके हैं तो वही डॉक्टर रतन कुमार जो नक्सल प्रभावित इलाकों में 50 से अधिक कैंप लगा चुके हैं| हमारे देश की चिकित्सा पद्धति तो दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा पद्धतियों में से एक है वर्तमान में आयुर्विज्ञान तथा आयुर्वेद का लोहा पूरी दुनिया मान रही है हमारे देश में सश्रुत को शल्य चिकित्सा अर्थात सर्जरी का जनक कहा जाता है जिन्होंने धन्वंतरी देव से चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त की थी प्लास्टिक सर्जरी का की उपलब्धि भी सश्रुत जी को ही दिया जाता है बताते हैं कि वे 125 तरह के उपकरणों का प्रयोग अपने शल्य चिकित्सा में करते थे तथा उन्हें 300 से अधिक तरीकों से शल्य चिकित्सा करने का ज्ञान था। देखा जाए तो डॉक्टर और सैनिक में कोई विशेष अंतर नहीं है सैनिक सीमा पर हमारे देश की रक्षा करता है तो वही डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर में हमारे जीवन की रक्षा करता है। ईश्वर ने हमें इतना सुंदर शरीर दिया है पर हम उसे सही ढंग से चला ना सके तो रोगों का आना तो निश्चित है पर हर रोग के निदान के लिए भगवान का आना तो निश्चित नहीं है इसलिए उसने अपना एक रूप डॉक्टर के रूप में पृथ्वी पर भेजा है जो हमें रोगों से बचाता है। परंतु बीते कुछ दिनों में जिस प्रकार से डाक्टरों के साथ दुर्व्यवहार और मारपीट की बातें सामने आई जो कतई उचित नहीं है।भले ही दुनिया के हर हिस्से में डाक्टरों को भगवान का दूसरा रूप या धरती का भगवान और न जाने क्या-क्या उपाधियों से सम्मानित किया जाता है परंतु अंतिम सत्य यही है कि वह भी इंसान ही है अ उसकी कमजोरियों और उसकी चुनौतियों को भी हमें समझना होगा और उसे और बेहतर करने को प्रेरित करना होगा इसलिए डॉक्टरों के समर्पण उनके कर्तव्य निष्ठा ईमानदारी और लगन को सम्मान देने के लिए आज का यह दिन उनके नाम, पूरा देश कर रहा है उन्हें सलाम हैप्पी डॉक्टर्स डे ।