राजस्थान के बजट में पत्रकार और साहित्यकारों को साधने के प्रयास



(बाल मुकुंद ओझा)

राजस्थान के बजट में साहित्यकारों और पत्रकारों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की घोषणाओं ने खुश कर दिया है। विधान सभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने जहाँ पत्रकारों के पर कतरने का काम किया है वहीँ गहलोत ने साबित करदिया है की वे मीडिया फ्रेंडली थे, है और रहेंगे।

पत्रकार और साहित्यकार वस्तुतः जनता के प्रतिनिधि होते हैं। वे जनता के सुख-दुख की आवाज को अपनी लेखनी के माध्यम से व्यक्त कर समाज को सही राह दिखाते हैं। शासन की कमियां उजागर कर शासन को सही राह दिखाते  है। सत्य और तथ्य को बेलाग उद्घाटित करना रचनाधर्मिता है। साहित्यकार और पत्रकार का रचनाधर्मिता  का
क्षेत्र अलग-अलग होते हुए भी दोनों में चोली-दामन का साथ है। दोनों ही सम सामयिक समाज का प्रतिनिधित्व करते हुए अपनी लेखनी के माध्यम से समाजहित में सामाजिक मूल्यों और सम्वेदनाओं को दृष्टि प्रदान करते हैं। रास्ते अलग-अलग होते हुए भी दोनों की मंजिल एक है। दोनों ही संघर्ष पथ के राही के रूप में जीवन मूल्यों को प्रशस्त करते हुए दीनहीन की आवाज को बुलन्द करते हैं। शोषण विहीन समाज की स्थापना में दोनों का अहम योगदान है। मुख्यमंत्री ने इन वर्गों को शासन से जोड़ने का अहम् बीड़ा उठाया है।प्राचीन काल  में साहित्यकार राजाओं के दरबार में खरी खरी सुनाने के लिए ख्यात थे।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार को प्रस्तुत अपने बजट में साहित्यकारों और पत्रकारों से जुड़ी अनेक घोषणाएं की।राजधानी के पत्रकार एक पखवाड़े से आंदोलनरत थे क्योंकि विधान सभा के अध्यक्ष ने उनके प्रवेश पत्रों पर बंदिशे लगा दी थी। पिछली भाजपा सरकार ने भी पत्रकारों को आहत किया था।पेंशन योजना और भूखंड आवंटन का काम रोक दिया था। गहलोत सदा से पत्रकारों के हितेषी रहे है। उन्होंने एक बार फिर पत्रकारों की सुधबुध ली और विभिन्न  लाभकारी योजनाओं की घोषणा कर उपकृत किया। मुख्यमंत्री ने जो घोषणाएं की है उनमें राजस्थानी  लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजनऔर इसके लिए बनेगी स्थाई आयोजन समिति।  इस पर दो करोड़ रुपए होंगे खर्च। गहलोत ने पत्रकारों और साहित्यकारों को  भूखंड देने की भी घोषणा की। इसके अलावा साहित्यकार कल्याण कोष में दो करोड़ जमा कराने की भी घोषणा की है। साथ ही पत्रकार पेंशन योजना  फिर शुरू करने का वादा किया । गहलोत के बजट पिटारे में  जयपुर में बनेगा इंडिया इंटरनेशनल सेंटर। जिस पर  50 करोड़ होंगे खर्च। बाल साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए बनेगी जवाहर लाल नेहरू साहित्य अकादमी।
प्रदेश के पत्रकार और साहित्यकारों ने मुख्यमंत्री की इन घोषणाओं का स्वागत करते हुए आशा व्यक्त की है की इससे प्रदेश में साहित्य के प्रति वातावरण बनेगा और नित नए आयोजन संपन्न होंगे। राजस्थानी साहित्य को भी प्रोत्साहन मिलेगा।