दिल्ली वासियों को मिला कोरियन संगीत सामूलनोरी जानने व सीखने का मौका







नई दिल्ली।कोरियन कल्चरल सेंटर ने दक्षिण कोरिया के नेशनल गुगाक सेंटर के सहयोग से ' सामूलनोरी वर्कशॉप 2019 ' का आयोजन किया । इस 12 दिन की वर्कशॉप का उद्देश्य भारतीय युवाओं को कोरियन संगीत के विषय में जानने और सीखने का अवसर प्रदान करना था।  वर्कशॉप  27 सितम्बर तक लाजपत नगर स्थित कोरियन कल्चरल सेंटर और साथ ही नई दिल्ली के जे. बी.एम् स्कूल में आयोजित की गयी थी ।

 

सामूलनोरी कोरियन संगीत का एक प्रकार है जो की कोरियन पारंपरिक संगीत की धुन पर आधारित है। सामूलनोरी में संगीत बजने के लिए चार इंस्ट्रूमेंट्स का प्रयोग होता है जो की कक्वएँगगुआरी , जिंग , जंगजू  और बुक है । वर्कशॉप में दो लेवल्स थे। बिगिनर लेवल जो की शुरूआती स्थर था, उन लोगों के लिए जो सामूलनोरी के बारे में बिलकुल नहीं जानते थे और दूसर एडवांस्ड लेवल उन लोगो के लिए जिन्हे पहले से सामूलनोरी संगीत का अनुभव था।

 

कोरियन संगीत में पी.एच.डी  शिक्षिका पार्क यूँ हा ने कहा " मै भारत में भारतीय छात्रों को कोरियन संगीत सिखाने चौथी बार आयी हूँ। यहाँ आकर मुझे ऐसा महसूस होता है की जैसे अपने ही किसी शहर में हूँ । भारतीय छात्रों को सिखाने में मुझे बहुत ख़ुशी होती है, क्योकि यहाँ के छात्र मुझे बहुत प्यार, आदर और सम्मान देते है । मेरे द्वारा सिखाया गया संगीत छात्र बहुत आसानी से और जल्दी सीख लेते है। और यह देख कर मुझे बहुत ख़ुशी होती है ।वह कहती है की भारतीय छात्र कोरियन संगीत सीखने के लिए बहुत उत्सुक रहते है ।यह बात उनकी आँखों की चमक देख कर समझा जा सकता है , यह देखकर मेरे अंदर भी उन्हें और ज़्यादा सीखने की उत्सुकता बढ़ती है ।

कार्यालय की छात्रा मानसी ने कहा की "मैं पिछले 2 सालों से कोरियाई संस्कृति और संगीत सीख रही हूँ लेकिन आज भी इस कार्यशाला में कोरियाई पारंपरिक संगीत सीखने में मेरी ऊर्जा और उत्साह है क्योंकि यह बहुत दिलचस्प है और मुझे लाउड म्यूजिक बहुत पसंद है। मुझे सामूलनोरी संगीत की लय पसंद है। छात्र आकाश कहते हैं, "मुझे सच में सामूलनोरी संगीत सीखने में बहुत मज़ा आता है क्योंकि यह बहुत दिलचस्प है और यह एक अनोखा संगीत है। यह कार्यशाला वर्ष में एक बार होती है केवल, मुझे लगता है कि यह एक वर्ष में अधिक बार होना चाहिए।