इण्डिया करप्शन सर्वे में राजस्थान सिरमौर

( बाल मुकुन्द ओझा)


दुनिया के भ्रष्टाचार पर नजर रखने वाली संस्था ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के द इंडिया करप्शन सर्वे 2019 को सही माने तो भारत में हर दूसरा व्यक्ति रिश्वत देकर अपना काम करवाता है। यह सर्वे राजस्थान दिल्ली, बिहार, हरियाणा और गुजरात समेत करीब 20 राज्यों के 248 जिलों में किया गया। दो लाख लोगों के इस सर्वे में राजस्थान सबसे भ्रष्ट राज्य में शुमार किया गया है। लाख दावों के बावजूद राजस्थान में भ्रष्टाचार में कहीं कोई कमी नहीं आयी है। पिछली वसुंधरा सरकार में भ्रष्टाचार के बढ़ने का आरोप लगाकर सत्ता में काबिज होने वाली गहलोत सरकार में भी भ्रष्टाचार कम नहीं हुआ है। विभिन्न सर्वे एजेंसियों की रिपोर्टों से तो यही जाहिर हुआ है। इन दिनों राजस्थान में भ्रष्टाचार की घटनायें सुर्खियों में है। राजस्थान में कुछ वर्षों में भारतीय प्रशासनिक सेवा, पुलिस सेवा और राज्य सेवा के अनेक बड़े अधिकारी रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकडे गए। इनमें से बहुत से बड़े अधिकारी जेल के सींकचों में बंद रहने के बाद जमानत पर बाहर आकर फिर बहाल हो गए। सरकार चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की उनके रुतबे पर कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है और उनके द्वारा किया गया भ्रष्टाचार सिर्फ शिष्टाचार है। जिनसे करोड़ों रूपयों की धन राशि बरामद हुई है वे भी जनता को सरेआम ठेंगा दिखा रहे है। इससे यह साफ जाहिर होता है भ्रष्टाचार ने इस राज्य में अपनी जडे मजबूती से जमा ली है। जनता के खून पसीने की कमाई को हड़प करने का जरिया भ्रष्टाचारियों ने अपना लिया है। यह तो भ्रष्टाचार की एक बानगी है। सच तो यह है कि भ्रष्टाचार ने अपना दामन चहुंओर फैला रखा है। राजस्व, पुलिस, तहसील, कलेक्ट्रेट, जेडीए, स्थानीय निकाय, सिंचाई, जलदाय, रसद, सड़क, पंजीयन जैसे दर्जनों कार्यालय हैं जहां बिना सुविधा शुल्क के कोई काम नहीं होता। ये विभाग सरकार की नाक के नीचे कार्यरत हैं जिसकी जानकारी प्रशासन के सम्पूर्ण अमले तक है मगर भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि इसे समाप्त करने का साहस या दुस्साहस किसी में नहीं है।
 हालाँकि भारत में रिश्वत की घटनाओं में पिछले साल के मुकाबले 10 प्रतिशत की गिरावट बताई गई है। ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल सर्वे में ये भी कहा गया है कि बीते 12 महीनों में 51 फीसदी भारतीयों ने रिश्वत देने का काम किया है। सर्वे के अनुसार अब भी रिश्वत के लिए नकद का इस्तेमाल सबसे ज्यादा किया जाता है।  सर्वे के मुताबिक, सबसे ज्यादा रिश्वत प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन और जमीन से जुड़े मामलों में दी जाती रही है। दुनियाभर के 180 देशों की सूची में भारत तीन स्थान के सुधार के साथ 78वें पायदान पर पहुंच गया है। वहीं इस सूचकांक में चीन 87वें और पाकिस्तान 117वें स्थान पर हैं।  
135 करोड़ की आबादी का आधा भारत आज रिश्वतखोरी के मकड़जाल में फंसा हुआ है। भ्रष्टाचार पर सर्वे की विभिन्न रिपोर्टों से यह खुलासा हुआ है। स्थिति यह हो गई है की बिना रिश्वत दिए आप एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकते। हमारे देश में भ्रष्टाचार इस हद तक फैल चुका है कि इसने समाज की बुनियाद को हिला कर रख दिया है। जब तक मुट्ठी गर्म न की जाए तब तक कोई काम ही नहीं होता। भ्रष्टाचार एक संचारी  बीमारी  की भांति इतनी तेजी से फैल रहा है कि लोगों को अपना भविष्य अंधकार से भरा नजर आने लगा है और कहीं कोई भ्रष्टाचार मुक्त समाज की उम्मीद नजर नहीं आरही है। मंत्री से लेकर संतरी और नेताओं तक पर भ्रस्टाचार के दलदल में फंसे है। हालात इतने बदतर हैं कि निजी क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। सिविल सोसाइटी और मीडिया के दवाब में सरकारी एजेंसियां  भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई को अंजाम तो दे रही हैं मगर उनकी गति बेहद धीमी है।
 भारत में स्कूल, अस्पताल, पुलिस, पहचान पत्र और जनोपयोगी सुविधाओं के मामले में फोर्ब्स के एक सर्वे में भाग लेने वाले लगभग आधे लोगों ने कहा कि उन्होंने कभी न कभी रिश्वत दी है। 53 प्रतिशत लोगों का मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि 63 प्रतिशत मानते हैं कि आम लोगों पर उनके प्रयासों से कोई असर नहीं पड़ेगा। ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल इंडिया के सर्वे में तीन प्रतिशत की गिरावट के कोई ज्यादा मायने नहीं निकाले जासकते हालाँकि मोदी सरकार का दावा है उनके प्रयासों से भ्रष्टाचार में कमी आयी है।