तीन दिवसीय मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल शुरू 
दिल्ली। राजधानी दिल्ली के साहित्य अकादेमी सभागार में तीन दिवसीय मैथिली लिटरेचर फेस्टिवल का शानदार आगाज हो चुका है. मैथिली लेखक संघ की ओर आयोजित इस महोत्सव में पड़ोसी देश नेपाल सहित देशभर से मैथिली प्रेमी व साहित्यकार भाग लेने के लिए उपस्थित हैं. ये दूसरी बार है जब राजधानी में फेस्टिवल का आयोजन किया गया है. मैथिली भाषाभाषी भारी संख्या में दिल्ली और आसपास के क्षेत्र में निवास करते हैं लिहाजा ऐसे कार्यक्रम से समाज, संस्कृति, कला, साहित्य आदि के प्रति नई पीढ़ी जागरूक होते हैं.

 

प्रसिद्ध आलोचक मोहन भारद्वाज को समर्पित इस फेस्टिवल के उदघाटन से पहले भारद्वाज सहित दिवंगत मैथिली अभियानी किशोरीकान्त मिश्र, प्रफुल्ल कुमार सिंह मौन, हरेकृष्ण झा, विवेकानंद ठाकुर, नरेश मोहन झा, डॉ. मुनीश्वर झा आदि मनीषियों के अवदान की चर्चा करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इसके बाद कार्यक्रम की शुरुआत की गई. संचालन किसलय कृष्ण ने किया.

 

उदघाटन सत्र से पहले संजीव कश्यप ने यात्री-नागार्जुन लिखित मिथिला गीत गाकर लोगों को भू-भाषा के प्रति अनुराग से उद्वेलित कर दिया. स्वागत वक्तव्य देते हुए मैथिली लेखक संघ के महासचिव और फेस्टिवल संयोजक विनोद कुमार झा ने सबका स्वागत करते हुए प्रवासी दिल्लीवासी मैथिली अनुरागियों को सहयोग-समर्थन के लिए धन्यवाद दिया. इस अवसर पर डॉ. नरेन्द्र झा, अशोक, वीरेन्द्र मल्लिक शेफालिका वर्मा, बुद्धिनाथ मिश्र, महेन्द्र मलंगिया, मंत्रेश्वर झा, नीरज पाठक आदि गणमान्य लोगों ने अपने विचार रखे. इस सत्र के अंत में विभिन्न लेखकों के नौ पुस्तकों का विमोचन किया गया. सत्र का संचालन डॉ. कमल मोहन चुन्नू ने किया.

 

अगले सत्र में गुंजनश्री के संचालन में कवि नारायणजी की कविताओं पर विद्यानन्द झा, तारानन्द वियोगी और कल्पना झा ने विमर्श प्रस्तुत किए. इस अवसर पर कवि नारायणजी ने अपनी पांच कविताओं का पाठ किया. इस सत्र के अंत में मैथिली पत्रिका पकठोस का विमोचन किया गया.

 

भोजनावकाश के बाद फेस्टिवल के धीया-पूता सत्र में मैथिली बाल साहित्य पर मैथिल प्रशान्त के संचालन में प्रवीण भारद्वाज, कुमकुम झा, वीरेन्द्र झा और अक्षय आनंद सन्नी ने विमर्श प्रस्तुत किया. बाद के सत्र में कथाकार अशोक की कहानियों पर विभूति आनंद, श्रीधरम, पन्ना झा, हीरेन्द्र कुमार झा ने शुभेन्दु शेखर के संचालन में विमर्श सत्र आयोजित हुआ. 'आउ खिस्सा सुनू' सत्र में सोमदेव की कहानी का पन्ना झा ने पाठ किया, वहीं राजीव मिश्र ने ध्वनि संयोजन किया. अंतिम दो सत्रों में बुद्धिनाथ मिश्र की अध्यक्षता में कवियों ने गीत-गजल प्रस्तुत किया तो वहीं बुद्धिनाथ झा की अध्यक्षता में हास्य कवियों ने शमां बांध दिया.

 

बताते चलें कि अगले दो दिनों में फेस्टिवल में विभिन्न विषयों पर समालोचना सत्र सहित सोशल मीडिया, रंगमंच और सिनेमा पर भी विमर्श होने हैं. पहले दिन की सफलता के बाद आगामी सत्र के लिए लोगों में जिज्ञासा है. इस साहित्यिक-सांस्कृतिक समागम को लेकर उत्साह चरम पर देखने को मिला.