जिन्दगी पर भारी पड़ रही हादसों की रफ्तार

(बाल मुकुन्द ओझा)


देश में सड़कों और हाईवे की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। इसी के साथ हादसों की रफ्तार भी थमने का नाम नहीं ले रही। एक सर्वे रिपोर्ट की माने तो चीन के बाद भारत में सड़क हादसों में जान गंवाने वाले लोगों का आंकड़ा सबसे ज्यादा है इसका सबसे बड़ा कारण है कि गाड़ियों की स्पीड लिमिट पर निगरानी का कोई ठोस तंत्र विकसित नहीं होना है। भारत में कोई दिन नहीं ऐसा नहीं जाता जब देश के किसी भाग में सड़क हादसा न होता हो। ऐसा लगता है जैसे सड़के आतंकी हो गयी है और हादसे थमने के नाम नहीं ले रहे है। देश में मोटर वाहन कानून 2019 लागू होने के बाद भले ही सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई हो मगर दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या में कमी नहीं आयी। विडंबना यह है की लोग अभी भी जान हथेली पर रखकर चल रहे है। सख्त कानून का उनपर कोई असर नहीं हुआ है। अब तो भारत सरकार ने भी मान लिए है की सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। इस साल नो महीनों के आंकड़ों पर गौर करें पाएंगे तो देश में प्रतिदिन लगभग 420 लोग सड़क हादसों में अपनी जान गवां रहे है। 
 सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में बताया कि पिछले साल जनवरी से सितंबर माह के मुकाबले 2019 में इसी अवधि में सड़क हादसों में  मरने वालों की संख्या 0.2 प्रतिशत बढ़ गई है। पिछले साल जनवरी से सितंबर माह के बीच देश में कुल 3.46 लाख सड़क हादसे हुए, जिनमें 112469 लोगों की मौत हुई जबकि 3.55 लाख लोग घायल हुए। वहीं, इस साल जनवरी से सितंबर के दौरान सड़क दुर्घटनाएं 2.2 प्रतिशत की कमी के साथ घटकर 3.39 लाख हुईं। हालांकि, इस अवधि में मृतकों की संख्या 0.2 प्रतिशत इजाफे के साथ 112735 पर पहुंच गई।
सड़क दुर्घटनाओं में पैदल चलने वाले लोग भी सुरक्षित नहीं है। आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है देश में हर साल पैदल चलने वाले 20 हजार लोग सड़क दुर्घटनाओं के शिकार हो रहे हैं। यह आंकड़ा सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए लोगों की कुल संख्या का करीब 12 प्रतिशत है। वर्ष 2016 में देश में सड़क दुर्घटनाओं में 1,50,785 लोग मारे गए, जिसमें 15,746 पैदल यात्री थे। वर्ष 2017 में सड़क दुर्घटनाओं में 1,47,913 लोग मारे गए, जिसमें 20,457 पैदल यात्री  हैं इसी भांति  साल 2018 में 1,51,417 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए, जिसमें 22,656 पैदल यात्री शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन के अनुसार, दुनिया भर में वाहनों की कुल संख्या का महज तीन प्रतिशत हिस्सा भारत में है, लेकिन यहां होने वाले सड़क हादसों और इनमें जान गंवाने वालों के मामले में भारत की हिस्सेदारी 12.06 प्रतिशत है। सड़क हादसों में भारत को हर साल मानव संसाधन का सर्वाधिक नुकसान होता है। अंतरराष्ट्रीय सड़क संगठन (आईआरएफ) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 12.5 लाख लोगों की प्रति वर्ष सड़क हादसों में मौत होती है।  इसमें भारत की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से ज्यादा है। इन सभी दुर्घटनाओं के पीछे शराब मादक पदार्थों का इस्तेमाल, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, वाहनों में जरुरत से अधिक भीड़ होना, वैध गति से अधिक तेज गाड़ी चलाना और थकान आदि होना है। महानगरों और नगरों में  किसी चैराहे पर लाल बत्ती को धता बताकर रोड पार कर जाना, गलत तरीके से ओवरटेकिंग, बेवजह हार्न बजाना, निर्धारित लेन में न चलना और तेज गति से गाड़ी चलाकर ट्रैफिक कानूनों की अवहेलना आज के युवकों का प्रमुख शगल बन गया है। कहने का तात्पर्य है विकास के साथ साथ जिस सड़क संस्कृति की जरूरत होती है वह हमारे देश में अभी तक नहीं बन पाई है। सड़क दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण यही है।
भारत का विश्व में सड़क हादसों में वर्ष 2006 से पहला स्थान चला आ रहा हैं। देश में सड़क दुर्घटनाओं में 48 प्रतिशत ऐसे युवा हैं, जिनकी आयु 14-35 वर्ष के मध्य है। विकासशील देश में जहां युवाओं की देश को जरूरत है वही देश का युवा वर्ग तेज गति और लापरवाही के कारण प्रतिदिन हादसों का शिकार हो रहे हैं। हमारे देश  में लगभग 420 लोग रोजाना सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं। एक सड़क दुर्घटना की कीमत चालक के परिवार के अलावा देश को भी चुकानी पड़ती है। 
सड़क सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है, आम जनता में खासतौर से नये आयु वर्ग के लोगों में अधिक जागरुकता लाने के लिये इसे शिक्षा, सामाजिक जागरुकता आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों से जोड़ा गया है। सड़क दुर्घटना, चोट और मृत्यु आज के दिनों में बहुत आम हो चला है। सड़क पर ऐसी दुर्घटनाओं की मुख्य वजह लोगों द्वारा सड़क यातायात नियमों और सड़क सुरक्षा उपायों की अनदेखी है। गलत दिशा में गाड़ी चलाना, सड़क सुरक्षा नियमों और उपायों में कमी, तेज गति, नशे में गाड़ी चलाने आदि । सड़क हादसों की संख्या को घटाने के लिये उनकी सुरक्षा के लिये सभी सड़क का इस्तेमाल करने वालों के लिये सरकार ने विभिन्न प्रकार के सड़क यातायात और सड़क सुरक्षा नियम बनाये हैं। हमें उन सभी नियमों और नियंत्रकों का पालन करना चाहिये जैसे रक्षात्मक चालन की क्रिया, सुरक्षा उपायों का इस्तेमाल, गति सीमा को ठीक बनायें रखना, सड़क पर बने निशानों को समझना आदि।