लॉक डाउन खुलने के बाद भारत में रीटेल व्यापार के तौर तरीको में होगा बड़ा बदलाव -कैट 

     # कोरोना लॉक डाउन के 50 दिनों में भारत में 7 .5 लाख करोड़ रुपये का व्यापार नहीं हुआ 


दिल्ली।कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने आज कहा कि गत 24 मार्च को देश भर में लॉकडाउन लागू किया गया था जिसके परिणापस्वरूप लॉक डाउन के गत 50 दिनों में भारतीय खुदरा व्यापार में लगभग 7.50 लाख करोड़ का कारोबार नहीं हुआ जिसके परिणामस्वरूप केंद्र ईवा राज्य सरकारों को  लगभग 1 .5  लाख करोड़ रुपये के  जीएसटी राजस्व का नुकसान हुआ है।कैट ने कहा है कि लॉकडाउन हटाए जाने के बाद देश के व्यापार बाज़ारों में लगभग केवल 20  प्रतिशत ग्राहकों के आने की सम्भावना है क्योंकि कोरोना का डर अभी भी उपभोक्ताओं के बीच बना हुआ है जो उन्हें बाजारों में जाने से रोकेगा। व्यापारियों के इस बेहद बड़े वित्तीय संकट के कारण यह भी उम्मीद है कि लॉकडाउन खुलने के बाद देश भर में कम से कम 20 प्रतिशत व्यापारियों को अपना व्यापार बंद करना पड़ सकता है और उसके साथ ही लगभग 10 प्रतिशत व्यापारी जो इन 20 प्रतिशत व्यापारियों  पर निर्भर हैं, के भी व्यापार बंद करने की आशंका है !    


कैट ने यह भी कहा कि लॉक डाउन के बाद देश में व्यापार करने का तौर तरीका पूरी तरह से बदलेगा जिसके अंतर्गत  सहयोगात्मक और व्यवस्थित व्यवसाय, पेशेवर तरीका , उन्नत और आधुनिक तरीके से युक्त खुदरा व्यापार ,स्वास्थ्य सुरक्षा एहतियाती उपाय, चौबीसों घंटे आंतरिक सुरक्ष, डिजिटल और संपर्क रहित भुगतान और अन्य व्यावसायिक प्रौद्योगिकियों को अपनाना, स्वच्छता बनाए रखना, ग्राहक केंद्रित व्यावसायिक वातावरण नया होगा। व्यवसाय का प्रतिमान। डिजिटल ई कॉमर्स के साथ भौतिक दुकानों का एकीकरण एक अन्य क्षेत्र है और नियमों, विनियमों और कानूनों का कड़ाई से अनुपालन,  व्यापार की मूल बातें होगी जिसके चलते भारत में पूरे खुदरा व्यापार का परिदृश्य बदलेगा ।


कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री  प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि कोविड -19 ने भारतीय खुदरा व्यापार में एक बहुत बड़ी अपूरणीय सेंध लगा दी है जिसका पूरे देश के रिटेल व्यापार पर बेहद विपरीत प्रभाव पड़ेगा। व्यापार का भविष्य बहुत अनिश्चितता की चपेट में है। लॉक डाउन खुलने के बाद व्यापार में धन का चक्र और पैसे की आवाजाही कम से कम 45-60 दिनों के बाद ही शुरू हो सकेगी और व्यापार में धन का चक्र शुरू होने में समय लगेगा और उम्मीद है कि कम से कम दिसंबर, 2020 तक व्यापार पूरे रूप से चल पायेगा ! हालाकिं देश भर के व्यापारी अग्गामी नवरात्र से दिवाली तक होने वाले त्योहारी कारोबार में तेजी की उम्मीद कर रहे हैं ! लॉक डाउन के कारण से आम लोगों का खर्चा बेहद काम हुआ है और लोग पैसे की कुछ बचत कर पाए होने और आगामी दिवाली त्योहार के मौसम के दौरान बचत किये हुए धन के खर्च किये जाने की उम्मीद है !फिलहाल  यही देश में व्यापारियों के लिए आशा की एकमात्र किरण है।


कैट ने कहा कि लॉक डाउन के अनुभवों से सीख लेते हुए अब उपभोक्ताओं के  व्यवहार में बदलाव होगा जो भारतीय खुदरा व्यापार के वर्तमान तौर तरीकों को बदलेगा ! अब एकल अथवा निजी  व्यवसाय के बजाय आपसी सहयोग और कंसोर्टियम बनाने की अवधारणा खुदरा व्यापार के नए मूल सिद्धांत होंगे जिसमें एक ही तरीके के व्यापार करने वाले व्यापारी अथवा विभिन्न समान वस्तुओं के व्यापार में काम करने वाले व्यापारी एक को-ऑपरेटिव मॉडल पर जिसमें समान लाभ साझा करने या निवेश आधारित प्रतिशत के आधार पर लाभ साझा करने की व्यापार पढ़ाती अपनाई जायेगी ! इस तरह के मॉडल से व्यापारियों की क्रय शक्ति अधिक मजबूत होगी और व्यापार के परिचालन और प्रशासनिक खर्चों में कमी आएगी। आने वाले दिनों में बाजार में एक कड़ी प्रतिस्पर्धा होने वाली है जहां खरीद लागत व्यापार में अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसलिए सहयोग की आवश्यकता व्यापारियों के बीच एक व्यापार गठबंधन बनाने को बढ़ावा देगी।भारत में कम से कम 2.5 करोड़ व्यापारी इस गंभीर आर्थिक तबाही का सामना पूँजी के अभाव में नहीं कर सकेंगे ! उनके पास ऐसे समय में अपने व्यापार को चलाने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है क्योंकि उनकी दुकानें एक लंबे समय से बंद हैं जिसमें कोई कारोबार न होने से आय का साधन बंद हो गया है  एक ओर उन्हें वेतन, किराया, अन्य मासिक खर्चों का भुगतान करना पड़ रहा है और दूसरी ओर उन्हें उपभोक्ताओं की डिस्पोजेबल आय में तेज गिरावट के साथ-साथ सख्त सामाजिक दूरियों के मानदंडों के साथ ही अपने व्यापार को चलाना पड़ेगा ! कम से कम आगामी 6-9 महीने तक के समय में व्यापार में सामान्य स्थिति आ पाएगी !इन्ही स्थितियां के कारण भारत के घरेलू व्यापार में एक बड़ा बदलाव होने की सम्भावना है  जो अंततः लंबे समय में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा, लेकिन निकट अवधि में कुछ नकारात्मक प्रभाव हो सकता है !


लॉक डाउन के पहले से ही  देश का व्यापार मंदी का शिकार था और वर्तमान लॉकडाउन के कारण भारतीय खुदरा क्षेत्र सचमुच बेहद दयनीय स्तिथि में है ! इसलिए ही  केंद्र सरकार द्वारा रिटेल व्यापार को एक पर्याप्त आर्थिक पैकेज देना आवश्यक है! यदि यही हालत रहे तो कोरोना महामारी से कम बल्कि आर्थिक महामारी के प्रभावों  से व्यापार बुरी तरह प्रभावित होगा !