सीएम केजटीवाल मांग रहे शीला सरकार जैसी शक्तियां

सीएम केजटीवाल नई दिल्ली। दिल्ली के लिये पूर्ण राज्य का दर्जा मांगने वाली आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सदन में केंद्र सरकार से गुजारिश की उन्हें शीला दीक्षित सरकार जैसी ताकत मिल जाये, तब भी दिल्ली वालों के लिये बेहतर होगा। केजरीवाल उपराज्यपाल की आउटकम रिपोर्ट पर बोल रहे थे। केजरीवाल ने विधानसभा को जानकारी दी है कि शीला दीक्षित सरकार के दौरान दिल्ली सरकार के पास मौजूद 5 शक्तियों को केंद्र सरकार ने उनसे छीन लिया है। खुशी दिल्ली की कांग्रेस सरकार अधिकारियों कहा की नियुक्ति, तबादला व कि अनुशासनात्मक कार्रवाई तक करती रोकी थी। वहीं, उनके पास भ्रष्टाचार पर जांच के लिये एसीबी भी था। इसके ऐसे अलावा सरकार की सारी फाइलें। उपराज्यपाल कार्यालय में नहीं जाती प्रस्तावों थी। आउटकम रिपोर्ट पर उपराज्यपाल जिन कार्यालय से देर शाम आए जवाब पर ।



कामों खुशी जाहिर करते हुये केजरीवाल  कहा कि उपराज्यपाल ने भी माना है कि उन्होंने दिल्ली सरकार की फाइलें रोकी हैं। वह बता रहे हैं कि 10 हजार फाइलों में 97 फीसदी क्लीरियर की। ऐसे में साफ है कि उन्होंने 300 । फाइलें रोक लीं। सारे मामले नीतिगत प्रस्तावों से जुड़े थे। उपराज्यपाल ने जिन फाइलों को मंजूरी दी वह रूटीन कामों के थे। केजरीवाल ने कहा कि परीक्षाः दौड़ उपराज्यपाल बता रहे हैं कि उन्होंने उन फाइलों को रोकी, जिनमें नियमों, कानूनों को दरकिनार किया था। इस । पर केजरीवाल ने सवाल किया कि मोहल्ला क्लीनिक, शहीदों को। मुआवजा, दिल्ली हेल्थ केयर कारपोरेशन आदि मसलों में सरकार ने किस नियम को तोड़ा था। केजरीवाल ने कहा कि आज उपराज्यपाल की तरफ से भ्रष्टचारियों का बचाव, खाली बता रहे हैं कि उन्होंने उन , दलित पदों के न भरने व विभागों में नकारे अधिकारियों की नियुक्ति से साबित होता है कि वह दिल्ली को ठप करना चाहते हैं। संवैधानिक रूप से उनकी जिम्मेदारी किसी के प्रति नहीं है, जबकि व्यावहारिक तौर पर भाजपा के प्रति जवाबदेह हैं।


जिस दिन उन्होंने भाजपा की बात नहीं मानी, 24 घंटे के भीतर वह गद्दी से हटा दिये जायेंगे। केजरीवाल ने कहा कि वह मिन्नत करते हैं कि उन्हें उतना अधिकार मिल जाये, जितना शीला दीक्षित को मिला हुआ था। उपराज्यपाल उन्हीं मामलों में दखल करें, जहां किसी मसले पर केंद्र का हित प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री से हाथ जोड़कर गुजारिश है कि वह अपने उपराज्यपाल । को समझायें। दिल्ली सरकार से बड़ी लाइन खीचने की कोशिश करें। नकारात्मक राजनीति करने से किसी को भला नहीं होगा। केजरीवाल ने कहा कि 1 साल पहले उन्होंने उपराज्यपाल को बताया था कि राशन दखल कज़हको किसी मसले पर केंद्र दलित शोषण मुक्ति में गड़बड़ हो रही है। तीन बार उनसे कहा कि फूड कमिश्नर को हटा दो। लेकिन उपराज्यपाल ने उनकी बात नहीं मानी। अब जब सीएजी रिपोर्ट में इस घोटाले का जिक्र हुआ तो सबने माना। उन्होंने सदन की लोक लेखा समिति (पीएसी) से अपील की कि वह उपराज्यपाल व फूड कमिश्नर के बीस संबंधों की भी जांच करे। उन्होंने उपराज्यपाल कार्यालय के आउटकम बजट को वार्षिक बजट का हिस्सा बनाने की भी मांग सदन से की। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उन्होंने उपराज्यपाल से कहा था कि अगर दोनों मिलकर काम करें तो दिल्ली को कहां से कहां तक पहुंचा सकते हैं। बकौल केजरीवाल, उपराज्यपाल से कहा था कि अगर किसी फाइल में ऊपर से कोई दबाव आ रहा है तो वह उसे बता दें। सरकार वह फाइल पुटअप नहीं करेगी।


लेकिन उपराज्यपाल मानते कर काम कर सो ही नहीं। वह न मुख्यमंत्री को कुछ समझते हैं और न ही मंत्री व विधायक को। वह तानाशाह हैं। उपराज्पाल ने अभी तक उन्हीं फाइलों को मंजर की है, जिन पर मीडिया से दबाव पड़ता है। केजरीवाल ने कहा कि वह हेडमास्टर की तरह हर पन्ने को पलट रहे हैं। - विपक्ष हुआ नाराज। नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गप्ता ने विधान सभा अध्यक्ष को एक पत्र लिखकर कहा था कि सदन में उपराज्यपाल कार्यालय के खिलाफ विरूद्ध एकतरफा आउटकम रिपोर्ट पेश की है। वहीं, रिपोर्ट लाने का प्रस्ताव को भी नियमों का हवाला देते हुये भाजपा ने गैर वैधानिक बताया था। इस पर व्यवस्था देते विधान सभा अध्यक्ष राम निवास गोयल ने कहा कि सदन के प्रस्ताव से नहीं, उपमुख्यमंत्री ने रिपोर्ट पेश की है। ऐसे में सदन इस पर चर्चा कर सकता है। वाष्टकम रिपोर्ट को