बरबादी के मंजर के खिलाफउत्तर भारत हुआ एकजुट

नशे के खिलाफएक बार फि सरकारी मशीनरी । कमर कसने जा रही है। नशे और इसके सौदागरों से निपटने के लिए पूरा उत्तर भारत एक हो गया है। यह अलग बात है की सरकारी स्तर पर ढिलाई और मिलीभगत से ही नशे का नश का प्रचलन घर घर तक पहुँचने में कामयाब हुआ है। देर आये दुरस्त आये की तर्ज पर अभी भी । सरकारी अमला जन सहयोग से जी जान से सरकारी अमला जन सहयोग से जा जान स जुटे तो लाखों नौजवानों को नशे की गिरफ्त में । आने से बचाया जा सकता है। सात राज्यों ने इस दिशा में एक जूट होकर पहल की है। दो । और राज्यों को इस संयुक्त अभियान में शामिल किया जायेगा। इस तरह उत्तर भारत के पजाब, हरि याणा, उत्तर खड, राजस्थान,हिमाचल,दिल्ली केंद्रशासित राज्य चंडीगढ़ सहित जम्मू कश्मीर और उत्तर प्रदेश । एक साथ संयुक्त अभियान में शामिल होकर होकर नशे की बुराई और नशे के सौदागरों के विरुद्ध बड़ी कार्यवाही अमल में लाएंगे। आशा की बड़ा कार्यवाही अमल में लाएगा आशा का जाती है इस पहल के सकारात्मक परिणाम हासिल होंगे। सात राज्यों ने इस मुद्दे पर सोमवार को चंडीगढ़ में बैठक कर एकजुटता दिखाई है। बाकी के दो राज्यों उत्तर प्रदेश और जम्म-कश्मर को भी इस मुहिम का हिस्सा बनाया जाएगा। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर ।अनुसार लाल खट्टर की पहल पर हुई इस बैठक में पंजाब के सीएम कैप्टन अमरेंद्र सिंह व उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत मौजूद रहे। अगली बैठक में दिल्ली, राजस्थान के साथ यूपी और जम्मू कश्मीर के सीएम भी मौजूद रहेंगे। इस तरह से उत्तर भारत के 9 राज्य मिलल नशे के खिलाफमहिम छेड़ेंगे। पंजाब मिलकर नशे के खिलाफ मुहिम छेड़ेंगे। पंजाब के बार्डर राज्य होने की वजह से यहां नशे की नम्करी काम हो रही है। हरियाणा हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, नयी दिल्ली, जम्मू-कश्मीर तथा केंद्रशासित राज्य चंडीगढ़ में भी नशा लगातार फैल रहा है। उत्तर भारत के गांव गांव में नशीले पदार्थों की खुलेआम बिक्री की जा रही है। शराब, चरस, स्मैक, गांजा आदि नशीले पदार्थ परचून के सामान की तरह बेचे जा रहे हैं। नशे की चीजों की खुलेआम बिक्री से बच्चे और महिलाएं भी प्रभावित हो रही हैं। लाखों युवाओं के नशे की चपेट में आने की वजह से मरने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ी है। सभी राज्यों को इसलिए भी साथ जोड़ गया है ताकि नशे के साथ-साथ इसकी जड़ यानी तस्करों को खत्म किया जा सके। इन राज्यों में नशीले पदार्थों की तस्करी करने वालों का पूरा गिरोह एक नेटवर्क के रूप में काम कर रहा है। एक सर्वे के हैं का उठा है। T गर्ने के अनुसार देश की जनसंख्या में 65 प्रतिशत युवा हैं जिनकी उम्र 35 वर्ष से कम है और 1.35 अरब लोगों में से आधे देश की आबादी की उम्र 25 वर्ष से कम है इनमें 90 प्रतिशत युवा नशे का शिकार हैं किसी को भी यह आंकड़ा चौकाने वाला लग सकता है। मगर यह हर्क यह हकीकत है। पंजाब नशे का सबसे बड़ा और संवेदनशील गढ़ है आज वहाँ राज्य का हर चौथा नौजवान किसी न किसी तरह के नशे की गिरफ्त में है। उत्तराखंड में 70 प्रतिशत , हरियाणा में 63 प्रतिशत लोग भांग और गांजा लेने के आदी हैं। राजधानी दिल्ली में 76.7 प्रतिशत आबादी तबांकू का सेवन करती है। उसमें 2.8 प्रतिशत महिलाएं गुटखा-पान मसाला खाती हैं।देश में नशे का प्रचलन यूँ ही बढ़ता रहा तो भारत को नशेड़ी देश बनते देर नहीं लगेगा। आज नशे ने पंजाब को जलाया है कल समूचा देश धू धू कर जलेगा। पंजाब और नशे का रिश्ता काफे पुराना और गहरा है। पंजाब नशीले पदार्थों के मामले में देश में पहले नंबर पर आता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि पंजाब में मादक पदार्थ माफ्यिा, पुलिस अधिकारियों और राजनीतिज्ञों का बड़ा गठजोड़ है। इसी गठजोड़ ने हरे भरे पंजाब को मौत की दहलीज तक पहुंचा दिया है। यह भी सच है कि टटलीज न टा टिशा है। गट भी पान है कि नशे में एक नहीं अपितु अनेक दुर्गुण है। इन दुर्गुणों के कारण भला चंगा व्यक्ति अपनी सुध । बुध खोकर जघन्य अपराधों में लिप्त हो गया है। छेड़छाड़ ,बलात्कार और लूट जैसे गंभीर अपराध भी नशे के कारण ही समाज और देश को बर्बाद करने पर तुले है। आज पंजाब जल रहा है और कल पूरा देश इसके चपेट में आने से कोई भी नहीं रोक पायेगा। एक सर्वे के अनसार भारत में गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले लगभग 37 प्रतिशत लोग नशे का सेवन करते हैं। आजादी के बाद देश में शराब की खपत 60 से 80 गुना अधिक बढ़ी है। इनमें ऐसे लोग भी शामिल है। जिनके घरों में दो जून रोटी भी सुलभ नहीं है। जिन परिवारों के पास रोटी-कपड़ा और मकान की सुविधा उपलब्ध नहीं है तथा सुबह-शाम के खाने के लाले पड़े हुए हैं उनके मुखिया मजदूरी के रूप में जो कमा कर लाते हैं वे शराब पर पूँक्र डालते हैं। इन लोगों को अपने परिवार की चिन्ता नहीं है कि उनके पेट खाली हैं और बच्चे भूख से तड़फरहे हैं। ऐसे लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। ये लोग कहते हैं वे गम को भुलाने के लिए नशे का सेवन करते हैं। उनका यह तर्क कितना बेमानी है जब यह देखा ज्ञान जाता है कि उनका परिवार भूखे ही सो रहा है।