। जीएसटी बना आर्थिक एकता का सूत्र, सहकारी संघवाद की दिशा में एक सराहनीय अध्याय वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी प्रणाली लागू हुए एक

वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी प्रणाली लागू हुए एक साल पूरा हो गया। इस टैक्स प्रणाली से पहले अपने देश में अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था काफी अराजक स्थिति में थी। वस्तुत- तब एक देश-अनेक कर का दौर था। सरदार पटेल की ओर से किए गए देश के राजनीतिक एकीकरण के पहले देश में जैसा राजनीतिक परिवेश था कुछ वैसी ही स्थिति अप्रत्यक्ष करों के मोर्चे पर भी थी। जीएसटी से पहले की टैक्स प्रणाली की विसंगतियां देश के आर्थिक एकीकरण में बड़ी बाधा बनी हुई थीं। आर्थिक एकीकरण के लिए यह आवश्यक था कि संविधान की आठ प्रकार की प्रविष्टियों के अधीन 37 अलग-अलग कर प्रशासनों द्वारा लगाए जा रहे 16 तरह के टैक्स और 15 तरह के सेस यानी अधिभार एक सूत्र में पिरोए जाएं।


अधिभार हेतु एकल आधारित व्यवस्था और एकीकृत टैक्स प्रशासन का ढांचा तैयार किया जाए। इस दिशा में पहला महत्वपूर्ण कार्य संविधान में संशोधन का था। अगली चुनौती जीएसटी लागू किए जाने और उसके लिए एक समान कानून एवं अनुपालन के लिए नियम तैयार करने की थी। इसके अतिरिक्त एक और चुनौती सुदृढ़ सूचना प्रौद्योगिकी आधारित पोर्टल के निर्माण की भी थी जो संभवत- विश्व के सबसे बड़े कर प्रशासन का तंत्र बनता और जिस पर सभी राज्यों को एक साथ एक मंच पर लाया जा सके। जीएसटी प्रणाली लागू होने पर तकनीकी कारणों से शुरुआती एक महीने में कई समस्याएं आईं, परंतु जीएसटी काउंसिल द्वारा नियमित अंतराल पर की गई बैठकों के द्वारा उनका उचित समाधान भी तलाशा गया।


जीएसटी काउंसिल के अथक प्रयासों से आज देश में यह टैक्स प्रणाली स्थिरता की ओर अग्रसर है। भारत में जीएसटी लागू करने की प्रक्रिया का संभवतः सबसे सकारात्मक पहलू यह है कि अपनी बैठकों में काउंसिल ने कंपोजीशन की सीमा में बढ़ोतरी जैसे छोटे से छोटे मसले से लेकर राज्य और केंद्र के बीच क्षेत्राधिकार बंटवारे जैसे गंभीर विषयों पर भी सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए और किसी भी मामले में राज्यों अथवा केंद्र को मत प्रयोग करने की नौबत नहीं आई। यह अपने आप में राज्यों की राजनीतिक परिपक्वता एवं केंद्रीय वित्त मंत्री की कार्यकुशलता का परिचायक है। राजस्व प्राप्ति की स्थिति काफी उत्साहवर्धक रही है। जीएसटी लागू होने के बाद पहले आठ महीनों में यानी मार्च 2018 तक कुल 7.41 लाख करोड़ रुपये का राजस्व मिला। औसत मासिक आधार पर यह राशि 92,491 करोड़ रुपये बैठती है। इस आधार पर वार्षिक कर राजस्व 11.11 लाख करोड़ रुपये बनता है। यह वर्ष 2015-16 की तुलना में लगभग 12 प्रतिशत की वृद्धि रेखांकित करता है। जीएसटी के तहत केंद्र द्वारा राज्यों को 14 प्रतिशत वार्षिक वदि दर के आधार पर राजस्व देने की गारंटी दी गई है। हालांकि केंद्र के पास ऐसी कोई राजस्व सरक्षा नहीं है। यह ध्यान देने योग्य बात है कि यह वदि दर ऐसी स्थिति में प्राप्त की जा सकी है। जब क्रेडिट के दावों के सत्यापन की कोई ठोस व्यवस्था तैयार नहीं हो सकी थी और न ही ई-वे बिल की जांच प्रभावी ढंग से हो पा रही है। प्रतिवद्ध रेखांकित के द्वारा राज्यों को