पाक से संबंधों में मिठास घोलेगी भारतीय चीनी


बेरोजगारी से लेकर निर्धनता के मोर्चे पर जूझ रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक उम्मीद जगाई है। वो कह रहे हैं कि भारत पाकिस्तान संबंधों को मजबूती देने के लिए दोनों देश आपसी कारोबारी संबंधों को गति दें। यही तो भारत कहता रहा है। इसलिए उसने एकतरफा फैसले लेते हुए पाकिस्तान को 2012 में सर्वाधिक तरजीही वाला देश (मोस्ट फेवर्डनेशन) का दर्जा दिया था। उसने यह पहल करके अपनी मंशा साफ कर दी थी कि वह अपने पड़ोसी से कारोबारी संबंध मजबूत करना चाह रहा है। मोस्ट फेवर्ड नेशन, विश्व व्यापार संगठन और इंटरनेशनल ट्रेड नियमों के आधार पर व्यापार में सर्वाधिक तरजीह वाला देश बन जाता है। यह दर्जा मिलने के बाद उस देश को ये भरोसा मिल जाता है कि उसे कारोबार में नुकसान नहीं होगा। भारत इमरान खान की पहल का स्वागत ही करेगा। भारत हर बिन्दु पर पड़ोसी से बात करने को तैयार है। भारत की विदेश नीति का मुख्य आधार संवाद है। भारत का अटल विश्वास है कि बातचीत के रास्ते से जटिल मसलों को हल किया जा सकता है। भारत- मानता है कि यदि दोनों पड़ोसी देश अपने संबंधों को सामान्य करके अपने कारोबारी रिश्तों को गति दें तो दिपक्षीय व्यापार मौजूदा सालाना 5 अरब डॉलर से 30 अरब डॉलर दिखातेरुपये तक पहुंच सकता है। निश्चित रूप से आपसी संबंधों की तल्खियों पर भारी पड़ से संबंधों में मिठास सकते हैं व्यापारिक संबंध। अब हिंसा और जंग के विकल्प समाप्त हो चुके हैं। दोनों मुल्क पांच युद्ध कर चुके हैं। भारत ने पांचों बार पाकिस्तान को धल में मिलाया है। हालांकि हर बार उसने ही भारत पर हमला किया था। अब भारत भी पाकिस्तान से केवल युद्ध जीतने का इरादा नहीं रखता है। वैसे भारत की शक्ति पाकिस्तानी से कहीं अधिक है। ये पाकिस्तान के हित में होगा कि वो भारत से प्रेम और सौहार्द के संबंध स्थापित कर ले। दोनों देशों को अब अपनी युवा आबादी के हितों को देखना होगा। भारत की दो-तिहाई आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है। पाकिस्तान की 65 फीसद आबादी 35 साल से कम है। इन नौजवानों के भविष्य के बारे में सोचने का वक्त है। मिठास चीनी की भारत से पाकिस्तान कपास और चीनी का भरपूर आयात करता है। भारत ने 2015-16 में करीब 46 लाख डॉलर की चीनी सरहद के उस पार भेजी। उस चीनी की मिठास भारत- पाकिस्तान संबंधों में मिठास घोलेगी। भारत पाकिस्तान से सीमेंट लेता है। तो यह मानना होगा कि आपसी संबंधों में कड़वाहट आने के बाद भी दोनों मुल्क अपने कारोबारी संबंधों को खत्म नहीं होने दे रहे है। अब आवश्यकता है। कि इन संबंधों को नई बुलंदियों पर लेकर जाया जाए। यह कुछ समय पहले की बात है जब पाकिस्तान के प्रमुख शहरों के बाजारों में टमाटर 200 प्रति किलोग्राम बिक रहा था। इतनी अधिक कीमत पर टमाटर के दाम पहुंचने के बाद भी पाकिस्तान ने भारत से टमाटर आयात करने के संबंध में नहीं सोचा। स्पष्ट है कि वहां के हुक्मरानों का एक हिस्सा भारत को लेकर नजरिया संकुचित ही रखता है। वो भारत से दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए सोचते हैं, उत्साह नहीं दिखाते। इसमें कोई शक नहीं कि पाकिस्तान भारत से टमाटर खरीद कर अपने बाजारों में आराम से सस्ते दामों पर बेच सकता था। इस कदम से वहां के अवाम को राहत मिलती। पर ये नहीं किया गया। परहेज भारत से हालांकि पाकिस्तान दनिया के सभी देशों से आपसी व्यापार को करने के लिए तैयार रहता है, पर उसे भारत से आपसी व्यापार को बढ़ने में तकलीफ हो रही है। वहां एक भारत विरोधी लॉबी है, जो भारत से संबंधों को सुधारने के प्रयासों में रोड़ा अटकाती है। पाकिस्तान के कारोबारी जगत को भी शंका बनी हुई है कि अगर दोनों देश आपसी व्यापार करने लगे तो पाकिस्तान के घरेलू उद्योग तबाह हो जाएंगे। ये शंका निर्मूल है। क्या भारत के पड़ोसी देशों के उद्योग भारत से माल का आयात करने के कारण तबाह हो गए? नहीं। भारत से माल का आयात करके पाकिस्तान का भाड़े का खर्चा भी कम हो सकता है। अभी यूरोप के देशों, संयुक्त अरब अमीरात, अमेरिका वगैरह से बहुत सी चीजों का आयात करने से उसे भारी भाडे का खर्च भी झेलना पड़ता है। पर भारत से कारोबारी संबंधों को सुधारने का नाम नहीं लेता। उसे तो अधिक पैसा खर्च करने में भी कोई दिक्कत नहीं आती। भारत हर वर्ष गेंहू, सीमेंट, ज्वेलरी, चमड़े के सामान का आयात करता है। वह यह सामान पाकिस्तान से ले सकता है। इससे पाकिस्तान की बदत्तर होती आर्थिक स्थिति सुधर सकती है। बेशक, भारत- पाकिस्तान के बीच व्यापार में बढ़ोतरी से वह ताकतें मजबूत होंगी जो शांति चाहती हैं और उनको नुकसान होगा जो चरमपंथ के रास्ते पर हैं। अब भारत-पाकिस्तान के संबंधों की नई इबारत लिखे जाने का वक्त है। इमरान खान पर यह जिम्मेदारी है कि वे दोनों देशों के संबंधों को सौहार्दपूर्ण बनाएं। इमरान खान यह जाने लें कि उनके सकारात्मक कदमों को तो भारत हाथों-हाथ ले लेगा। वे अपने देश का रक्षा बजट घटाएं और भारत से तिजारती रिश्ते बढ़ाएं तो वे एक नया पाकिस्तान बना सकते हैं। हालांकि उनके मार्ग में वहां की सेना तमाम अवरोध खड़ा करेगी। पाकिस्तानी सेना के जनरल कमर जावेद बाजवा, जो इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह के अवसर पर नवजोत सिंह सिद्ध से गलबहिया कर रहे थे, वे इमरान खान को सांस नहीं लेने देंगे। वह इमरान खान पर दबाव बनाकर रखेंगे ताकि कश्मीर के मुद्धे पर माहौल गर्म और तनावपूर्ण बना रहे। यह पाकिस्तानी सेना का मूल चरित्र है। पाकिस्तानी सेना घनघोर भारत विरोधी है। क्या इमरान खान पाकिस्तान सेना के दबावों को झेल सकेंगे? इस सवाल का उत्तर फिलहाल देना जल्दी होगा। पर इमरान खान को कहीं ना कहीं पता है कि वे पाकिस्तान के वजीरे आजम बने तो पाकिस्तान सेना के कारण ही हैं। अब इमरान खान पर ये चुनौती रहेगी कि वे अपनी सेना को समझाएं कि देश की जर्जर हो गई अर्थव्यवस्था में सुधार किए बिना वे पाकिस्तान को विकास के मार्ग पर नहीं लेकर जा सकते। ये लक्ष्य उसी हालत में पाया जा सकता है। जबकि पाकिस्तान भारत के साथ अपने संबंधों को सामान्य बनाएं। इमरान खान को पाकिस्तान का रक्षा बजट भी कम करना होगा। पाकिस्तान में 2018-19 के लिए 5,661 अरब रुपये का बजट पेश किया गया था। उसमें रक्षा बजट में करीब दस फीसदी की भारी बढ़ोतरी की गई थी। पिछले वित्त वर्ष के दौरान पाकिस्तान का रक्षा बजट 999 अरब रुपये का था, जो इस बार बढ़कर 11 सौ अरब रुपये कर दिया गया है। बहरहाल, इमरान खान समझ रहे हैं। कारोबारी संबंधों की शक्ति को। उनके सामने भारत और चीन का शानदार उदाहरण है। भारत और चीन अपने जटिल सीमा विवाद को सुलझाने की चेष्टा करते हुए आपसी व्यापार को बढ़ रहे हैं। वर्तमान में दोनों देशों का दिवपक्षीय व्यापार 100 अरब रुपये के आसपास पहुंच रहा है। जबकि भारत-पाकिस्तान के आपसी व्यापार की स्थिति दयनीय बनी हुई है।